हो रहा है भारत निर्माण?

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स्वाधीनता के बाद आई तीन पीढ़ियों में उठ खड़े होने का जज्बा क्या खत्म हो गया? इस प्रश्न को उठाने का तात्पर्य नैराश्य जगाना नहीं है, लेकिन यह बताना है कि हमें जागृत होना पड़ेगा। समझना पड़ेगा कि देश में विकास के बदले विनाश की स्थिति पैदा करने वालों को कैसे पाठ पढ़ाया जाए। लोकतंत्र में चुनाव के जरिए सीख दी जाती है और यह रणक्षेत्र करीब ही है।

शिवाजी का सुराज-शासन प्रबंधन का दीपस्तंभ

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भारत का इतिहास गवाह है कि जब-जब भारत पर विपत्तियां आई हैं या भारत का जन-मन टूटने के कगार पर पहुंचा या उसका अस्तित्व और पहचान दांव पर लगी और ऐसा लगने लगा कि अब इस देश को नष्ट होने से कोई नहीं बचा सकता, तब-तब कोई न कोई ऐसा चमत्कार हुआ अथवा कहा जाए कि चेतना का ऐसा ज्वार उठता रहा,

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