तस्माद् योगी भवार्जुन

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कुरुक्षेत्र की युद्धभ्ाूमि। धीरगंभीर आवाज में संदेश दिया गया ‘तस्माद् योगी भवार्जुन’। ५ हजार से भी अधिक वर्ष पूर्व का वह काल। अन्याय-अधर्म के विरुद्ध संघर्ष प्रारंभ करने का निश्चय हुआ है। कौरव (अधर्म)- पांडव (धर्म) की सेनाएं आमने सामने खड़ी हैं, इशारे की प्रतीक्षा में। दोनों सेनाओं के मध्य खड़ा है एक रथ, सारथी है गोपवंशी योगेश्वर कृष्ण, रथी है महापराक्रमी, राजवंशी वीर, बुद्धिमान अर्जुन।

गुरु बिनु होइ न ज्ञान

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सनातन वैदिक संस्कृति तथा जीवन पद्धति की समृद्ध परम्परा मेंगुरु का स्थान सर्वोच्च है। गुरु में दो अक्षर हैं ‘गु’ जिसका अर्थ है अन्धकार तथा ‘रु’ का अर्थ है प्रकाश! अर्थात गुरु वह तत्व है जो अन्धकार को मिटाता है और प्रकाश को फैलाता है।

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