मेरा एकात्म विश्ववंद्य भारत
मेरे प्रवास में एक बार पहाड़ों पर स्थित एक पुराने मंदिर में दर्शन करने के लिए जाना तय हुआ। हम जा रहे थे तो देखा एक बालिका एक मोटे से बालक को गोद में लेकर पहाड़ चढ़ रही थी। उसके लिए वह कठिन हो रहा था। रास्ते में एक साधु खड़े थे। उन्होंने उससे पूछा- तुम क्यों इतना बोझ उठा रही हो? उसने उत्तर दिया