शक्ति के विस्तार का अध्याय है सुंदर कांड

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स्मृति का विस्मृति में बदलना, शक्ति होते हुए भी शक्ति का भान ना होना ही, हमारे दुःख का कारण होता है..इसलिए ऐसी मन:स्थिति को असुंदर माना गया है। वहीं जब हमारी विस्मृति स्मृति में बदल जाती है, जब हमें स्वयं में प्रतिष्ठित शक्ति का बोध होता है तब हम में…

कलिकाल में हनुमान जी की भक्ति का महत्व

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रामायण युग में दिव्य शक्तियों से परिपूर्ण होकर अवतरित रामभक्त हनुमान जी को कौन नहीं जानता और कौन नहीं मानता ? रामभक्त हनुमान जी सर्वगुण सम्पन्न,बाल ब्रह्मचारी और प्रभु राम तथा उनके भक्तों के कठिन से कठिन कार्य करने के लिए सदा तत्पर हैं । हनुमान जी आज कलयुग के…

छत्रपति शिवाजी के शिल्पी समर्थ रामदास

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हमारे सनातनी संत केवल संत होकर तपस्या, धार्मिक अनुष्ठान, पूजा पाठ व मोक्षप्राप्ति के हेतु ही कार्य ही नहीं करते हैं अपितु समय समय पर देश समाज की राजनीति को राजदरबार (संसद) से लेकर, समाज के चौक चौबारों तक व युद्ध की भूमि में जाकर रणभेरी बजाने तक का कार्य…

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