युद्ध से संसाधन जीते जा सकते, मानव मन नहीं
साहिर लुधियानवी की एक नज़्म है कि, "ख़ून अपना हो या पराया हो; नस्ल-ए-आदम का ख़ून है आख़िर। जंग मशरिक़ ...
साहिर लुधियानवी की एक नज़्म है कि, "ख़ून अपना हो या पराया हो; नस्ल-ए-आदम का ख़ून है आख़िर। जंग मशरिक़ ...
दुनिया में एक नहीं अनेक सभ्यताओं का निर्माण, विकास और संरक्षण नदियों के कारण हुआ है। मानव सभ्मता के विकास ...
Copyright 2024, hindivivek.com