संस्कृत  साहित्य  परम्परा

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कुमाऊं और गढ़वाल में कई ऐसे साक्ष्य प्राप्त हुए हैं जिनसे यह स्पष्ट हो जाता है कि उत्तराखंड में संस्कृत साहित्य की परंपरा मौजूद थी। इन साक्ष्यों तथा ऐतिहासिक धरोहरों में से अधिकतर बहुत ही जीर्ण-क्षीर्ण स्थिति में हैं। इन धरोहरों का रखरखाव तथा संस्कृत का प्रचार-प्रसार इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि उत्तराखंड की द्वितीय राज्यभाषा भी संस्कृत है।

सस्यवेद : भारतीय कृषि विज्ञान

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कुछ प्राचीन कृषि ग्रन्थ -- कृषि पराशर (पराशर) कृषि संग्रह पराशर तंत्र वृक्षायुर्वेद (सुरपाल) कृषिगीता (मलयालम में, रचनाकार : परशुराम) नुश्क दर फन्नी फलहत (फारसी में, दारा शिकोह) कश्यपीयकृषिसूक्ति (कश्यप) विश्ववल्लभ (चक्रपाणि मिश्र) लोकोपकार (कन्नड में, रचनाकार: चावुन्दाराया) उपवनविनोद (सारंगधर) ऋषियों ने कृषि को हमारी आत्म निर्भरता के लिए बेहद…

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