आधुनिक एवं धर्मनिरपेक्ष संविधान और सनातन भारत

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(26 नबम्बर1949) हम भारतीयों का संविधान बनकर तैयार हुआ था। आज 72 बर्ष बाद हमारा संविधान क्या अपनी उस मौलिक प्रतिबद्धता की ओर उन्मुख हो रहा है जिसे इसके रचनाकारों ने  भारतीयता के प्रधानतत्व को आगे रखकर बनाया था।आज इस सवाल को सेक्यूलरिज्म औरआधुनिकता के आलोक में  विश्लेषित किये जाने…

नारी एवं बाल विकास की गाथा -थर्ड कर्व

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देश में स्त्रियों और बच्चों के विकास के लिए अनेक अभिमान छिड़े, अनेक कानूनों को भारतीय संविधान की छत्रछाया में अमली जामा पहनाया गया, अनगिनत योजनाएं और स्कीमें उसके विकास की कहानी को आगे बढ़ाने के लिए रची गईं लेकिन आजादी के छह दशक बाद भी स्थिति में अपेक्षानुरूप परिवर्तन नहीं आया है।

संसद की दीवारें भी कुछ कहती हैं

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भीतर जाकर संसद भवन को बारीकी से देखने का अवसर मुझे नहीं मिला परन्तु राज्यसभा के सांसद न्यायाधीश डॉ. ए. रामा ज्वाईस को मैं धन्यवाद दूंगा, जिनकी पुस्तिका

बाबा साहब और धम्म

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‘मनुष्य’ को ही केन्द्र में रखा। उन्होंने कर्मकाण्ड रहित धम्म को ही स्वीकार किया और देश बाह्य धर्मों को नकार दिया। तथागत द्वारा बताए गये मार्ग पर चलते हुए समाज और मनुष्य को जोड़ने का कार्य किया।

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