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नारी एवं बाल विकास की गाथा -थर्ड कर्व

नारी एवं बाल विकास की गाथा -थर्ड कर्व

by सत्यप्रकाश मिश्र
in दिसंबर -२०१३, साहित्य
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पुस्तक का नामः थर्ड कर्व- सॅगा ऑफ विमेन एण्ड चाइल्ड
डेवलपमेंट- गुजरात
लेखकः संदीप सिंह
प्रकाशकः वीवा बुक्स प्रा. लि. 4737/23, अंसारी रोड, दर्यागंज,
नई दिल्ली- 110 002
पृ. 110, मू. 595 रु.
पुस्तक प्राप्ति के लिए सम्पर्कः लेखक
मो. (0) 99671 35000

देश में स्त्रियों और बच्चों के विकास के लिए अनेक अभिमान छिड़े, अनेक कानूनों को भारतीय संविधान की छत्रछाया में अमली जामा पहनाया गया, अनगिनत योजनाएं और स्कीमें उसके विकास की कहानी को आगे बढ़ाने के लिए रची गईं लेकिन आजादी के छह दशक बाद भी स्थिति में अपेक्षानुरूप परिवर्तन नहीं आया है। हाल ही में संदीप सिंह द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘थर्ड कर्व -सेज ऑफ विमेन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट- गुजरात’ को पढ़ने के बाद अनायास ही नारी के उत्थान का सुनहरा काल निकट आता प्रतीत हो रहा है।

वैसे गुजरात का नाम आते ही विवादों की आंधी भी कुछ इस तरह से उसके साथ हो लेती है मानो यहीं शिशुपाल के 100 पाप हो रहे हैं। यहां प्रगति के कर्णधार रहे नरेंद्र मोदी का नाम आते ही आलोचनाओं का ऐसा सिलसिला शुरू होता है कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया उनके हर कथन और दावे पर अधिकाधिक टीआरपी कमा कर अपनी झोलियां भरने की पुरजोर कोशिशें करती है। ऐसे पूर्वाग्रह की भावना से ग्रस्त आलोचकों और टिप्पणीकारों के लिए यह पुस्तक उस सच्चाई का दर्पण दिखाती है जिसके सामने आते ही वे शुतुरमुर्ग की तरह अपने सिर को रेत में घुसा लेते हैं और हर बार सत्य को नकारने की कोशिश करते हैं।

नारी! तुम केवल श्रद्धा हो विश्वास – रजत – नग पगतल में,
पीयूष-स्रोत सी बहा करो जीवन के सुंदर समतल में।
देवों की विजय, दानवों की हारों का होता युद्ध रहा,
संघर्ष सदा उर-अंतर में जीवित रह नित्य-विरुद्ध रहा।
आंसू से भीगे अंचल पर मन का सब कुछ रखना होगा
तुमको अपनी स्मित रेखा से यह संधिपत्र लिखना होगा।

कविवर्य जयशंकर प्रसाद जी की इन पंक्तियों से नारी के प्रति जो श्रद्धा का भाव झलकता है वह भारतीय संस्कृति और स्थायी भाव रहा है किंतु गुजरात के नरेंद्र मोदी के विकास के मॉडल में आंसू से भीगे अंचलों के लिए कोई स्थान नहीं है। जब नारी शिक्षित, स्वस्थ और जागृत होगी तभी देश का सर्वांगीण उत्थान होगा। केवल और केवल तभी देश का भविष्य यानी बच्चे चरित्रवान, देशभक्त और समाज के प्रति समर्पित होंगे। एक दूरदर्शी और सुनहरे सपनों को लेकर शुरू हुई गुजरात की विकास यात्रा का एक महत्वपूर्ण अध्याय ‘थर्ड कर्व’ में लिखा गया है। मूलत: भारतीय प्रबंधन के मॉडल को प्रचलित करने का बीड़ा उठा चुके संदीप सिंह ने पाश्चात्य विद्वानों के शोध प्रबंधों और सिद्धांतों का संदर्भ लेकर भारतीय दर्शन के दृष्टिकोण से इस सुंदर पुस्तक की रचना की है। जैसे कि लेखक ने अपनी पुस्तक के आरंभ में ही डोनाल्ड नॉरमैन, डैनियल गोलमैन, नोएल एम तिची, वॉरेन जी बेनिस के कार्मों का संदर्भ तो लिया ही है , साथ ही टेड बॉल, मार्टिन डी मेरी, और लिज़ वर्लान-कोल की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर लिखी पुस्तक ‘क्रिएटिंग सेकंड कर्व हेल्थकेयर सिस्टम्स’ के शीर्षक को विस्तार देते हुए ‘थर्ड कर्व’ की रचना की है।

आज के दौर में जहां सरकारें लैपटॉप, टीवी, साइकिल इत्यादि देकर जनता की भौतिक इच्छाओं का भरपूर दोहन और शोषण कर रही हैं वहीं गुजरात में ‘शक्ति’ मानी जाने वाली नारी को सशक्त करने के चरणबद्ध प्रयास किए हैं और इसका विस्तार से वर्णन इस पुस्तक में पढ़ने को मिलता है। योजनाओं को व्यवहार में लाने की कल्पना जब तक नहीं की जाती तब तक ऐसी योजनाओं की सफलता पर प्रश्नचिह्न लगना स्वाभाविक है। विधवा स्त्रियों के लिए सिलाई मशीन और उसका प्रशिक्षण देने की योजना बनी और फिर एक दिन आईएएस अधिकारियों और विधायकों, सांसदों से कहा गया कि बताइए एक विधवा हो चुकी महिला किस तरह से सिलाई मशीन प्राप्त करने के लिए आवेदन करेगी। आश्चर्य की बात है कि इसका जवाब किसी के पास नहीं था, स्वयं मुख्यमंत्री के पास भी नहीं। जब तक योजनाओं के बारे में लोग जानेंगे नहीं तब तक उनका उपयोग भला अपेक्षित वर्गों तक कैसे पहुंच सकेगा। सरकारी प्रक्रियाओं के प्रति अनभिज्ञता खुद सरकार के भीतर होना सभी सरकारों के लिए सत्य होगा लेकिन उसे स्वीकार करना तथा सुधारना केवल मुख्ममंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ही संभव है।

किसी समस्या का समाधान केवल भावनाओं के आधार पर नहीं किया जा सकता बल्कि भावनाओं के औचित्य एवं उसके प्रकटीकरण के उचित तरीके पर यह निर्भर करता है। यहां पर सरकारी योजनाएं महिलाओं एवं बच्चों के कल्याण हेतु हर व्यावहारिक नजरिए को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई हैं और उनका क्रियान्वयन जनता और सरकार की साझेदारी के साथ सुनिश्चित किया गया है। विकास के नरेंद्र मोदी मॉडल में स्त्रियां केवल शराब विरोधी अभियानों, वन रक्षा जैसे आंदोलनों में साधन की तरह उपयोग में नहीं लाई गई हैं बल्कि उन्हें उपेक्षित वर्ग की कक्षा से उन्नत करते हुए समाज के विकास में साझेदार की तरह देखा गया है। नारी को हजारों वर्षों से शक्ति के रूप में देखने की परंपरा के अनुसार राज्य क ा विकास इसी नारी शक्ति के इर्द गिर्द घूमता है।

लेखक ने अनेक सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के तरीकों और उनके परिणामों के आकलन की प्रणालियों का बड़े ही स्पष्ट शब्दों में किया है। टेक्नोलॉजी के जरिए आवेदन करना हो, आंगनवाडी कर्मचारियों का ऑनलाइन प्रशिक्षण हो, जच्चा-बच्चा के इलाज और पोषण की ऑनलाइन ट्रैकिंग हो- ईममता के माध्यम से सरकारी योजनाओं को फलदायी बनाने के प्रयासों का वर्णन मैनेजमेंट की भाषा में पढ़ने को मिलता है। ग्राफ्स, तालिकाओं और स्तंभालेखों के जरिए आंकडे अपने आप विकास की कहानी कहते हैं। नवजात शिशुओं, माताओं, पिछड़े वर्ग की महिलाओं, स्कूली लड़कियों, रोजगार के लिए इच्छुक नारियों के प्रशिक्षण से लेकर कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए जागरण अभिमान तक कई कार्यक्रम इस विकास का जरिया बने हैं।

माता यशोदा गौरव निधि के जरिए आंगनवाडी कर्मचारियों के लिए चल रही रू.50,000 तक का बीमा देने कराने की योजना, आंगनवाडी योजना को श्रेष्ठता लागू करने वाली कर्मचारियों के लिए माता यशोदा अवॉर्ड, मोबाइल आंगनवाडी केंद्र, कन्या केलवणी और शाला प्रवेशोत्सव कार्यक्रम, नारी गौरव निधि, चिरंजीवी योजना, तरुण संपर्क, मिशन मंगल जैसी सभी योजनओं पर पुस्तक विस्तार से प्रकाश डालती है।

मैनेजमेंट के छात्रों के लिए अध्ययन हेतु यह पुस्तक मील का पत्थर साबित हो सकती है जिन्हें अक्सर ऐसा ही प्रतीत कराया जाता है मानो सिर्फ कॉर्पोरेट कल्चर से ही विकास को ‘नर्चर’ किया जा सकता है और सरकारी योजनाएं तो केवल नाम के लिए होती हैं। गुजरात के नरेंद्र मोदी मॉडल ऑफ डेवलपमेंट ने इन मिथकों तोड़ा ही नहीं है बल्कि देश के सामने विकास के नए आयाम दिए हैं। मोदी आलोचक भी इस पुस्तक को पड़कर अपनी आलोचना की धार को मोदी के प्रति थोड़ी कुंद तो अवश्य ही कर सकते हैं। भारतीय प्रबंधन के मॉडल के अध्येता और बिजनेस ऑफ फ्रीडम तथा इंडियन ओशन स्ट्रैटेजी जैसी पुस्तकें लिख चुके संदीप सिंह की इस किताब ‘थर्ड कर्व’ की कीमत रू. 595 है। इस उदात्त प्रयास के लिए लेखक धन्यवाद के पात्र हैं जिन्होंने विकास के इस अभियान को विशुद्ध रूप से भारतीय प्रबंधन के मॉडल की कसौटी पर परखा और वर्णित किया।

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