भारत का मार्ग

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संस्कृति और धर्म के चिन्तन में मनुष्य उसका केन्द्र्र बिन्दु होता है। प्रश्न उठता है कि मनुष्य कौन है? कहां से आया है? मनुष्य को जीवन क्यों जीना है? वे कौन से आधार स्तम्भ हैं, जिन पर मनुष्य का अस्तित्व टिका हुआ है? मनुष्य का सुख क्या है? वह उसे कैसे प्राप्त होता है?

कितने दूर कितने फास

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स्वामी विवेकानंद तथा डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के विचारदर्शन फर मुंबई में एक कार्यशाला का आयोजन करने का जब निर्णय हुआ, तब अनेक कार्यकर्ताओं ने तरह-तरह की आशंकाएं उफस्थित कीं।

दु:ख मुक्ति: तथागत, विवेकानन्द और बोधिसत्व

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हमारे देश में एक महान व्यक्ति, भगवान गौतम बुद्ध हुए थे। उनका कार्य इतना महान एवं बड़ा था कि उन्हें ईश्वर का अवतार माना जाता है। आश्चर्य की बात यह है कि स्वयं भगवान गौतम बुद्ध ने ईश्वर के अस्तित्व को अस्वीकार किया है।

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