आध्यात्मिक चेतना का केन्द्र

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भारत विश्व का प्राचीनतम राष्ट्र है। वैदिक चिन्तन राष्ट्र को एक सजीव सत्ता स्वीकार करता है। सिर्फ मानचित्र पर उभरी रेखा में ही राष्ट्र नहीं होता बल्कि राष्ट्र एक भावना है, विचार है, एक प्राण शक्ति है जो मानव सोच और व्यवहार को प्रभावित करती है।

उत्तराखंड भारत की सांस्कृतिक धरोहर – स्वामी विश्वेश्वरानंद महाराज

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सनातन धर्म की पुनर्स्थापना आद्य शंकराचार्य ने की। उन्होंने शस्त्र नहीं चलाया, केवल शास्त्र के माध्यम से ही समाज में सनातन धर्म की पुनर्स्थापना की। इसलिए शास्त्र परम्परा का संरक्षण व संवर्धन होना चाहिए। यह उद्गार व्यक्त करते हुए अपने साक्षात्कार में संन्यास आश्रम के महामंडलेश्वर आचार्य स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि महाराज ने उत्तराखंड के आध्यात्मिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला। पेश है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश –

उत्तराखंड की एक सांस्कृतिक परम्परा जागर

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जागर की यह परम्परा आज की नहीं अपितु तब से चली आ रही है जब से मानव ने जन्म लिया है। आज विज्ञान की उन्नति के कारण कथित सभ्य समाज इसकी खिल्ली उड़ाता है लेकिन आदिकाल से वैज्ञानिक जिस आत्म तत्व की खोज लाखों वर्षों से करता आ रहा है, उस आत्म तत्व को उत्तराखंड का जागर तन-मन के पर्दे पर डमरू और थाली बजाकर क्षण में उपस्थित कर देता है।

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