डिग्रियों पर विवाद और ज्ञान की महिमा

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अकसर तर्क अंहकार को जन्म देता है, जो अपरिपक्व ज्ञान पर आधारित होता है। हमारे देश में प्रमाण-पत्र और उपाधि (डिग्री) आधारित शिक्षा यही कर रही है। भारत में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, लेकिन शालेय शिक्षा कुशल-अकुशल की परिभाषाओं से ज्ञान को रेखांकित किए जाने के कारण महज कागजी…

“जीवन विद्या” को सीखें और जिंदगी का स्वरूप समझें

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"असुर", "मनुष्य" और "देवता" देखने में एक ही आकृति के होते हैं । अंतर उनकी प्रकृति में होता है। "असुर" वे हैं, जो अपना छोटा स्वार्थ साधने के लिए दूसरों का बड़े से बड़ा अहित कर सकते हैं, "मनुष्य वे हैं", जो अपना "स्वार्थ" तो साधते हैं पर "उचित अनुचित"…

अमेरिका में बज रहा भारत का डंका

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भारतीय मूल के लगभग दो करोड़ लोग इस समय विदेशों में फैले हुए हैं। लगभग दर्जन भर देश ऐसे हैं, जिनके राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री वगैरह भारतीय मूल के हैं। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक तो इसके नवीनतम उदाहरण हैं। भारतीय लोग जिस देश में भी जाकर बसे हैं,…

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