महाराष्ट का सांस्कृतिक वैभव पंढरपुर की ‘वारी’

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‘वारी’ यानी पैदल यात्रा। पंढरपुर तीर्थक्षेत्र। पंढरपुर की ‘वारी’ महाराष्ट्र का सांस्कृतिक वैभव और पारमार्थिक ऐश्वर्य है। इस ‘वारी’ की प्राचीन परम्परा व इतिहास है। पंढरपुर की ‘वारी’ का जिक्र चौथी और पांचवीं सदी में मिले ताम्रपटों में मिलता है।

महाराष्ट्र का विनोदी लोकनाट्य : तमाशा

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लोककला को महाराष्ट्र में मूल्यवान वैभव की तरह सम्हाल करके रखा गया है। यहां इन कलाओं का उद्भव ग्रामीण-लोकरंजन और ज्ञानोपदेश के लिए हुआ। यद्यपि कुछ लोक कलाएं धार्मिक व आध्यात्मिक आस्था से भी जुड़ी हैं।

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