छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक

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हिंदवी स्वराज्य की स्थापना करनेवाले छत्रपति शिवाजी महाराज का 350वां राज्याभिषेक वर्ष हर्षोल्लास के साथ संपूर्ण देश में मनाया जा रहा है। काशी के पंडित गागाभट्ट क्यों छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक करवाना चाहते थे और इसके पीछे उनकी मनोभावना क्या थी? इसका सुंदर वर्णन यहां प्रस्तुत किया गया हैं।

स्वराज्य – सुशासन

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छत्रपति शिवाजी महाराज का शासन सुशासन और राज्य सुराज्य क्यों कहलाता था? इसे समझने के लिए उनके कार्य, उनके विचार, उनके निर्णय और उनकी योजनाओं को जानने तथा उनका चिंतन मनन करने की आवश्यकता है। वर्तमान के राज्यकर्ता यदि छत्रपति शिवाजी महाराज के स्वराज्य या राष्ट्र प्रथम के संदेश को अपने आचरण में उतार लें तो भारत में पुन: सुराज्य लौट आएगा।

राजमाता जिजाबाई

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छत्रपति शिवाजी महाराज की मां जिजाबाई महाराज की मां ही नहीं; पिता और गुरु भी थी। जो स्वराज्य महाराज ने निर्माण किया था उसके पीछे प्रेरणा जिजाबाई ही थी।

महाराष्ट्र का विनोदी लोकनाट्य : तमाशा

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लोककला को महाराष्ट्र में मूल्यवान वैभव की तरह सम्हाल करके रखा गया है। यहां इन कलाओं का उद्भव ग्रामीण-लोकरंजन और ज्ञानोपदेश के लिए हुआ। यद्यपि कुछ लोक कलाएं धार्मिक व आध्यात्मिक आस्था से भी जुड़ी हैं।

शिव राज

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शिवाजी महाराज की जयंती तिथि के अनुसार फाल्गुन कृष्ण व्दितीया को अर्थात 10 मार्च को पड़ती है। इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण।

छत्रपति शिवाजी राज्याभिषेक हुआ

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राजदरबार का निर्माण किया गया। 32 मन के सोने से छत्र और राज सिंहासन का निर्माण किया गया। श्रीनृपशालिवाहन शक 1596, आनंदनाम संवत्सर ज्येष्ठ शुद्ध 13 शनिवार, सूर्योदय पूर्वं तीन घटका महाराज सिंहासन पर बैठे (6 जून 1674)। महाराज ने इस अवसर पर सबको कुछ-न-कुछ दिया। पूरे राज्याभिषेक पर 50 लाख रुपये का खर्च आया।

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