फिजी विश्व हिंदी सम्मेलन – वैश्विक हिंदी की दस्तक

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निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल अंग्रेजी पढ़ि के जदपि, सब गुन होत प्रवीन पै निज भाषा-ज्ञान बिन, रहत हीन के हीन भारतेंदु हरिश्चंद्र विश्व हिंदी सम्मेलन, फिजी की चर्चा प्रारंभ करने से पूर्व एक व्यथा या विवाद की…

नंदी इतिहास में और हमारी चेतना में भी

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कालजयी कवि थे जयशंकर प्रसाद जब उन्होंने नंदी को जितना धर्म का प्रतिनिधि कहा था उतना उसकी मंथर गतिविधि को भी ध्यान में रखा। याद करें ‘आनंद’ सर्ग। था सोम लता से आवृत वृष धवल, धर्म का प्रतिनिधि , घंटा बजता तालों में उसकी थी मंथर गति-विधि । जबकि शास्त्र…

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