स्वयं प्रकाशित तेजपुंज
शिवाजी पार्क के मैदान पर सुनाई देनेवाले ओजपूर्ण आह्वान ‘शिवतीर्थ पर एकत्रित हुए मेरे हिंदु भाइयों, बहनों और माताओं’ अब सुनाई नहीं देगा। शिवाजी पार्क की मिट्टी को भीड़ का गणित सिखाने वाला एक औलिया नेता अब हमारे बीच नहीं रहा।
शिवाजी पार्क के मैदान पर सुनाई देनेवाले ओजपूर्ण आह्वान ‘शिवतीर्थ पर एकत्रित हुए मेरे हिंदु भाइयों, बहनों और माताओं’ अब सुनाई नहीं देगा। शिवाजी पार्क की मिट्टी को भीड़ का गणित सिखाने वाला एक औलिया नेता अब हमारे बीच नहीं रहा।
भारत का इतिहास गवाह है कि जब-जब भारत पर विपत्तियां आई हैं या भारत का जन-मन टूटने के कगार पर पहुंचा या उसका अस्तित्व और पहचान दांव पर लगी और ऐसा लगने लगा कि अब इस देश को नष्ट होने से कोई नहीं बचा सकता, तब-तब कोई न कोई ऐसा चमत्कार हुआ अथवा कहा जाए कि चेतना का ऐसा ज्वार उठता रहा,