भाजपा: वैचारिक धुंधकाल के निराकरण का तंत्र

Continue Readingभाजपा: वैचारिक धुंधकाल के निराकरण का तंत्र

विमर्श या नैरेटिव के नाम पर भारत में एक अघोषित युद्द चला हुआ है। इन दिनों भारत में चल रहा विमर्श शुद्ध राजनैतिक है। राजनीति और कुछ नहीं समाज का एक संक्षिप्त प्रतिबिंब ही है। विमर्श में यह प्रतिबिंब विषय व समयानुसार कुछ छोटा या बड़ा होता रह सकता है।…

राज ठाकरे के वर्तमान तेवर के मायने

Continue Readingराज ठाकरे के वर्तमान तेवर के मायने

राज ठाकरे अचानक इस ढंग से पूरे देश में कई दिनों तक चर्चा के विषय रहेंगे और उनके साथ भारी संख्या में जनशक्ति दिखाई देगी इसकी कल्पना शायद ही किसी ने की होगी। लंबे समय से ऐसा लग रहा था जैसे राज ठाकरे राजनीति में सक्रिय है ही नहीं। पिछले…

हिन्दू धार्मिक नेताओं का एकजुट होना जरुरी

Continue Readingहिन्दू धार्मिक नेताओं का एकजुट होना जरुरी

बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ जो कुछ भी हुआ वह कोई मामूली घटना नहीं थी। जब इस्कॉन ने विरोध की तारीख और समय के बारे में विस्तार से सब कुछ घोषित किया, तो क्या सभी धार्मिक नेताओं, मठाधिपती, अखाड़ा प्रमुख आदि सभी की यह जिम्मेदारी नहीं थी कि वे आगे आएं और बांग्लादेश में हिन्दू अल्पसंख्यकों के साथ खड़े हो जाएं?

ये बैनर, ये पोस्टर, ये कटआउट्स की दुनिया…

Continue Readingये बैनर, ये पोस्टर, ये कटआउट्स की दुनिया…

मैं और मेरा माली अक्सर ये बातें करते हैं, ये बैनर न होते तो कैसा होता, ये पोस्टर न होते तो कैसा होता...। अरे,अरे! कहीं आप यह तो नहीं सोच रहे हैं कि मैं जावेद साहब की रचना को तोड़ने‡मरोड़ने की कोशिश कर रहा हूं। नहीं जी ! मेरी इतनी हिम्मत कहां।

End of content

No more pages to load