‘100’ तक पहुंचने का सफर ‘0’ से ही शुरू होता है

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आज की कहानी पुणे के निवासी रामभाऊ की है। अंगूठा छाप रामभाऊ पढ़े लिखे तो नहीं थे पर "हुनरमंद" ज़रूर थे। वह पेशे से एक माली हैं और बंजर धरा को हरीभरी करने की कला में माहिर हैं। रामभाऊ घर-घर जा कर लोगों के बगीचे संभालते थे। गुज़र बसर लायक…

प्रसन्न रहने के यथोचित कारण ढूंढने होंगे

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जीवन में बालक से लेकर बूढ़े तक सभी प्रसन्नता चाहते हैं और उसे पाने का प्रयत्न करते रहते हैं । ऐसा करना भी चाहिए। क्योंकि स्थायी "प्रसन्नता" जीवन का चरम लक्ष्य भी है । यदि मनुष्य जीवन में "प्रसन्नता" का नितांत अभाव हो जाए तो उसका कुछ समय चल सकना…

आपके घर की दीवारें सब सुनती हैं

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कभी आपने किसी घर में जाते ही वहाँ एक अजीब सी नकारात्मकता और घुटन महसूस की है ? या किसी के घर में जाते ही एकदम से सुकून औऱ सकारात्मकता महसूस की है ? मैं कुछ ऐसे घरों में जाता हूँ जहां जाते ही तुरंत वापस आने का मन होने…

सत्कर्म करने के लिए उच्च स्तर की मनोभूमि चाहिए

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"सत्कर्म" अनायास नहीं बन पड़ते । उनके पीछे एक प्रबल दार्शनिक पृष्ठभूमि का होना आवश्यक है । सस्ती नामवरी लूटने के लिए या किसी आवेश में आकर कभी-कभी घटिया स्तर के लोग भी बड़े काम कर बैठते हैं, पर उनमें स्थिरता नहीं होती । यश कामना की पूर्ति भी हर…

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