‘100’ तक पहुंचने का सफर ‘0’ से ही शुरू होता है
आज की कहानी पुणे के निवासी रामभाऊ की है। अंगूठा छाप रामभाऊ पढ़े लिखे तो नहीं थे पर "हुनरमंद" ज़रूर थे। वह पेशे से एक माली हैं और बंजर धरा को हरीभरी करने की कला में माहिर हैं। रामभाऊ घर-घर जा कर लोगों के बगीचे संभालते थे। गुज़र बसर लायक…