गंदी हरकतों का बोलबाला, आख़िर ये कैसी हवाई यात्रा!

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हवाई यात्रा करने वालों को सभ्रांत माना जाता है। उनके बारे में सामान्य धारणा होती है, कि वे बेहद शरीफ और बड़े लोग होते हैं। वास्तव में ये काफी हद तक सही भी है। पर कुछ दिनों से लगातार ऐसी घटनाएं हुई जिससे इन हवाई यात्रियों की बनी-बनाई छवि टूटने…

रिश्तों में विसंगति कहीं शादी की परंपरा तोड़ने की साज़िश तो नहीं?…

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हमारे देश में शादी को पवित्र बंधन माना गया है। खासकर हिन्दू धर्म की बात करें तो शादी को दो आत्माओं का मिलन कहा गया है। जिसमें न केवल दो प्राणी बल्कि दो परिवार एक दूसरे के सुख दुःख के भागी बनते है। विवाह से समाज की सबसे छोटी इकाई…

मराठी के बाद उठी उर्दू बोर्ड की मांग

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हम किसी दुकान को उसके नाम से ही पहचानते हैं लेकिन उस दुकान का नाम किस भाषा में लिखा हुआ है हमें उससे कोई सरोकार नहीं होता है और होना भी नहीं चाहिए क्योंकि अलग अलग राज्यों की अपनी भाषा होती है और सभी को अपनी भाषा का इस्तेमाल करने…

नियमन के दायरे में होना चाहिए मोबाइल टैरिफ

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प्रमुख टेलीकॉम कंपनियां अपना मजबूत कार्टेल बनाकर उपभोक्ताओं को तिल-तिल करके मार रहीं हैं क्योंकि कोरोना के बाद वैसे भी देश में आम आदमी मंहगाई की मार से त्रस्त है, ऐसे समय में टैरिफ में बढ़ोतरी को वापस लिया जाना चाहिए। कुल मिलाकर मोबाइल टैरिफ सरकारी नियमन के दायरे में होना चाहिए अन्यथा ये टेलीकॉम कंपनियां कभी भी मनमानी कर सकतीं हैं जो आम आदमी के जेब पर भारी पड़ेगी।

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