सिख पंथ के सेवक संत अतरसिंह

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संत अतरसिंह जी का जन्म 28 मार्च, 1866 को ग्राम चीमा (संगरूर, पंजाब) में हुआ था। इनके पिता श्री करमसिंह तथा माता श्रीमती भोली जी थीं। छोटी अवस्था में वे फटे-पुराने कपड़ों के टुकड़ों की माला बनाकर उससे जप करते रहते थे। लौकिक शिक्षा की बात चलने पर वे कहते…

पेशावर पर भगवा लहराया

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पेशावर पर बलपूर्वक कब्जा कर अफगानी अजीम खाँ की सेनाएँ नौशेहरा मैदान तक आ चुकी थीं। यह सुनकर महाराजा रणजीत सिंह ने हरिसिंह नलवा एवं दीवान कृपाराम के नेतृत्व में उनका मुकाबला करने को स्वराजी सैनिकों के जत्थे खैराबाद भेज दिये। महाराजा के साथ बाबा फूलासिंह अटक नदी के किनारे…

राष्ट्र और संस्कृति के लिये समर्पित जीवन और बलिदान

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दसवें सिख गुरु गोविन्द सिंह जी की गणना यदि हम अवतार की श्रेणी में करें तो अनुचित न होगा। उनका पूरा जीवन भारत राष्ट्र, सत्य, धर्म और संस्कृति की रक्षा केलिये समर्पित रहा । मानों वे इस राष्ट्र के लिये ही संसार में आये थे । उन्होंने मुगल सल्तनत द्वारा…

सिख गुरु तेग बहादुर के बलिदान का विस्मरण

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भाई सती दास , भाई मती दास और भाई दयाला को नाना विघि यातनाएं देकर हत्या करने के बाद अंततः मुगलों ने गुरु तेग बहादुर जी की भी हत्या कर दी और सिर धड़ से अलग कर दिया । इसके बाद मृत शरीर को अपमानित करने के लिये शरीर के…

जयंती विशेष: त्यागमल से गुरु तेग बहादुर तक का सफर

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राष्ट्र और धर्म की रक्षा के लिए सिख धर्म गुरुओं द्वारा दिये गये बलिदान को कभी भी अनदेखा नहीं किया जा सकता है। भारत जब मुगलिया जंजीर में जकड़ा हुआ था तब सिख धर्म गुरुओं ने कड़ी लड़ाई लड़ी और अपने बच्चों तक का बलिदान दिया। गुरु गोबिंद सिंह जी ने…

सेवा और समर्पण के साधक गुरु अंगददेव

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सिख पन्थ के दूसरे गुरु अंगददेव का असली नाम ‘लहणा’ था। उनकी वाणी में जीवों पर दया, अहंकार का त्याग, मनुष्य मात्र से प्रेम, रोटी की चिन्ता छोड़कर परमात्मा की सुध लेने की बात कही गयी है। वे उन सब परीक्षाओं में सफल रहे, जिनमें गुरु नानक के पुत्र और…

व्यर्थ न हो पुरखों का बलिदान

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आईएसआई के इशारे पर काम करने वाले समूह सिख्स फॉर जस्टिस के द्वारा झूठ की बुनियाद पर रेफरेंडम 2020 यानि जनमत संग्रह करने का प्रयास किया गया। जनमत संग्रह को सिख समाज ने खारिज कर दिया। इसी प्रकार नवंबर 2021 के प्रथम सप्ताह में लंदन में भी खालिस्तानी समर्थकों के द्वारा जनमत संग्रह करवाया गया, जिसमें लगभग तीन करोड़ पंजाबी जनता के मत लगभग 200 लोग तय करते देखे गए।

विश्व को प्रेम व भक्ति का संदेश देने वाले महान संत- गुरूनानक 

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सिख समाज के महान संत व गुरू गुरूनानक का जन्म कार्तिक शुक्ल  पूर्णिमा के दिन 1469 ई में रावी नदी के किनारे स्थित रायभुएकी तलवंडी में हुआ था जो अब ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है। अब यह स्थान पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित है। गुरु नानकदेव…

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