सेवा का वैश्‍विक आयाम

व्यक्तिगत सम्पन्नता के शिखर पर पहुंचने के बाद अक्सरलोग अपना सामाजिक उत्तरदायित्व भूल जाते हैं। परंतु जब कुछ लोग इस उत्तरदायित्व को पूरा करने के लिये प्रयत्नशील दिखाई देते हैं तो लगता है कि समाज में मानवता अभी भी जिंदा है।
अफ्रीका के मोजाम्बिंक निवासी और उद्योगपति रिजवान आडतिया ने अपने कार्यों के बूते यही मिसाल पेश की है। उन्होंने ‘मिशन २०१५-३०’ के माध्यम से यह स्वप्न देखा है कि जरूरतमंद लोगों का जीवन स्तर सुधारा जाये जिससे उनके उन्हें आंतरिक शांति प्राप्त हो सके। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिये उन्होंने इन १५ सालों में विभिन्न ऐसे एनजीओ की सहायता करना की योजना बनायी है जो जरूरतमंद लोगों की किसी न किसी प्रकार से सहायता करती है। मोजाम्बिक के साथ ही उन्होंने भारत में भी इस मिशन का विस्तार करने की योजना बनाई है।
रिजवान आडतिया ने भारत को इसलिये चुना क्योंकि वे मूलत: गुजरात के पोरबंदर के रहनेवाले हैं। सन १९८६ में अपने बडे भाई की किराने की दूकान संभालने के लिये वे मोजाम्बिक गये थे और वहीं बस गये, परंतु भारत के लिये उनका प्रेम कम नहीं हुआ। वे भारत के इतिहास और विज्ञान में गहरी आस्था रखते हैं। वे कहते हैं दुनिया ने विज्ञान में भले ही प्रगति कर ली हो परंतु भारत में जो ज्ञान है वह और किसी के पास नहीं है। यहां के अध्यात्म, योग और ध्यान को वे अपने जीवन का अहम हिस्सा मानते हैं पिछले ३० सालों से वे नियमित रूप से ध्यान करते हैं औरपिछले ७ सालों से योग का अभ्यास कर रहे हैं। यू एन जनरल असेंबली में जब भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आग्रह पर जब २१जून को विश्व योग दिन के रूप में मान्यता मिली तो रिजवान बहुत प्रसन्न थे।
रिज़वान कहते हैं कि लोग अपने व्यवसाय में इस कदर व्यस्त हुए हैं कि, अपना परिवार, अपना समाज, अपना धर्म, इतना ही नहीं बल्कि, अपना खुद का स्वास्थ्य इन सभी के प्रति वे बहुत ही लापरवाही बरत रहे हैं। अपने बडे भाई की किराने की दुकान को रिएवान ने एक बडे उद्योग समूह में परिवर्तित कर दिया है। कॉजेफ समूह नामक संस्था के माध्यम से चलने वाला यह उद्योग मुख्यत: खाद्य पदार्थों का उत्पादन और विक्रय करता है। इसके अलावा भी उनके अन्य कई व्यवसाय इस समूह के माध्यम से चलाये जाते हैं। इतना बडा समूह होने के बावजूद भी वे समाज के प्रति अपनी ‘कॉर्पोरेट रिसपांन्सिबिलिटी’ नहीं भूलते।
वे अपनी संस्था ‘रिजवान आदतिया फाउंडेशन’ के माध्यम से समाज की विभिन्न आवश्यकताओं को पूर्ण करना चाहते हैं। वे अफ्रिका के विभिन्न विद्यालयों के लिये शिक्षावृत्ति प्रदान करते हैं जिससे धन के अभाव में वहां कोई अशिक्षित न रहे। भारत में भी नानापालकर स्मृति समिति(मुंबई), श्री नमिनाथजी जैन फाउंडेशन(मुंबई), डी.जे एज्यूकेशन एण्ड चेरिटेबल ट्रस्ट(कच्छ), रोटरी क्लब(ठाणे) आदि विभिन्न संस्थाओं से जुडे हैं। ये संस्थाएं भारत में स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में कार्यरत हैं।
रिज़वान आडतिया ने नाना पालकर स्मृति समिति को दो डायलिसिस यंत्र प्रदान किए हैं। बोरिवली के गोपाल शेट्टी डायलिसिस सेंटर और नेमिनाथजी जैन फाउंडेशन संस्थाओं को प्रत्येक को छ: यंत्र देने का आश्वासन दिया गया है। रिज़वान आडतिया फाउंडेशन द्वारा प्रेरित सनराइज़ चैरिटेबल ट्रस्ट पोरबंदर में एक ऐसा विवाह मंडल चलाता है, जो वयस्क अविवाहित, तलाकशुदा तथा विधवाओं और विधुरों के विवाह कराने में सहायता प्रदान करता है।
‘मिशन २०१५-३०’ इन १५ वर्षों में वे दुनिया के उनसभी विकासशील तथा पिछडे देशों के जरूरतमंद लोगों को सहायता करने की कोशिश कर रहे हैं जो धन के अभाव में शिक्षा, स्वास्थ्य और मूलभूत आवश्यकताओं से वंचित हैं। इसके लिये उन्होंने ुुु.ीळूुरपरवरींळर.ेीस बनाई है तथा लोगों से भी आव्हान किया है कि वे उनका मिशन पूर्ण होने में सहायता प्रदान करें।

 

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