हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
कितने जागरूक भारतीय मतदाता ?

कितने जागरूक भारतीय मतदाता ?

by सौरभ शुक्ल
in राजनीति
0

विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का महापर्व अपने तृतीय चरण को पूर्ण कर चुका है | इस चरण में सर्वाधिक बैठकों का समावेश हुआ | इसीलिए इसे सबसे बड़ा चरण भी कहा जा रहा है | लोकसभा की 543 बैठकों में से 302  बैठकों पर मतदान पूर्ण हुए | 302  बैठकों में से सर्वाधिक 116 बैठकों पर तृतीय चरण में मतदान हुए |अनेक क्षेत्रों में मतदाताओं का उत्साह देखने योग्य था किन्तु अनेक स्थानों पर उदासीनता रही |

असम में लोकसभा की 14 बैठकें हैं और गुजरात में 26, इस दृष्टिकोण से गुजरात का प्रभाव भारतीय राजनीति में असम से अधिक माना जाता है |

पिछड़े प्रदेश के रूप में जाने जानेवाले असम में 80% मतदान हुआ और औद्योगिक, आर्थिक और रोजगार के मामले में सबसे आगे रहने वाले प्रदेशों में से एक गुजरात में 64% मतदान हुआ | अनेक राजनैतिक विशेषज्ञ इसे साक्षरता, शिक्षा और जागरूकता की दृष्टि से देखते हैं | सही भी है, मतदान, राजनैतिक जागरूकता का पहला पैमाना होना चाहिए | किस क्षेत्र में कितने प्रतिशत मतदान हुआ इससे उस क्षेत्र की राजनैतिक जागरूकता का अनुमान लगाया जा सकता है |इसे इस प्रकार से भी देखा जा सकता है कि देश समाज और देशवासियों के भविष्य के प्रति कोई क्षेत्र कितना उत्साही या उदासीन है |

तो क्या असम उत्साही और गुजरात उदासीन है ? तर्क तो इस ओर ही इशारा कर रहा है | देखा जाय तो देश को सबसे अधिक प्रधानमंत्री देनेवाला और देश में राजनैतिक उथल – पुथल करने की क्षमता रखनेवाला प्रदेश उत्तर प्रदेश भी 80% मतदान तो नही कर पाया है |

गुजरात पिछले 10-12 सालों में राजनीति को लेकर काफी उत्साही हुआ है | जहां का युवा पैसे कमाने के प्रति अधिक रुचि रखता था आज अनेक क्षेत्रों में काम कर रहा है | अनेक सामाजिक कार्य गुजरात में हो रहे है | इस बदलाव में राजनीति के प्रति बदलते नज़रिये का बड़ा योगदान है | लोग राजनैतिक चर्चाओं में भाग लेते हैं | पहले भाग लेते थे अर्थात पलायित हो जाते थे | राजनैतिक जागरूकता और मतदान के प्रति रुचि बढ़ी है |

मतदान का प्रतिशत कम होने के अनेक कारण हैं | 23 अप्रैल 2019  को गुजरातवासियों ने 43 डिग्री सेल्सियस में मतदान किया | एक अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दे पर ध्यानाकर्षण करना चाहता हूँ |
बड़े शहरों में अनेक छोटे – छोटे शहरों, आस – पास के गावों से लोग नौकरी रोजगार के लिए आते हैं | यहां बस जाते हैं | अनेक जीवनोपयोगी दस्तावेजों में से एक मतदाता पहचान पत्र भी बनवाते हैं, अर्थात अपना नाम मतदाता सूची में जुड़वा लेते हैं |

अनेक नौकरी पेशा लोग जो स्थानांतरित होकर यहां आते हैं वो भी इस प्रक्रिया को पूर्ण करते हैं | किन्तु जब ये किसी अन्य शहर चले जाते हैं तो अधिकांश लोग अपना नाम मतदाता सूची में से कम कराने की प्रक्रिया नहीं कराते | शायद भूल जाते हैं |

इस कारण भी मतदान प्रतिशत का गणित बिगड़ जाता है | आइये समझते हैं…
मान लीजिये किसी मतदान केंद्र पर 100 मतदाता हैं | इनमें से 10 ऐसे हैं जिनका नाम मतदाता सूची में है किन्तु अब वो वहां नहीं रहते | किसी अन्य स्थान पर चले गए हैं | अब इस मतदान केंद्र पर मान लीजिये 60 लोगों ने मतदान किया | मतदाता सूची के हिसाब से इस केंद्र पर 60% मतदान हुआ जबकि वास्तविक रूप से देखा जाय तो मतदान का प्रतिशत हुआ 67% क्योंकि 10 लोगों ने अपना नाम मतदाता सूची से कम ही नहीं करवाया था |
ऐसा भी नहीं है कि शत-प्रतिशत नागरिक जागरूक हैं और ऊपर बताया गया गणित ही कम मतदान का एक मात्रा कारण है | अनेक मतदाता उदासीन भी हैं जिसका कारण चुनावों के प्रति उनकी नीरसता है | अनेक स्थानों पर मतदान का बहिष्कार भी हुआ, जिसके राजनैतिक कारण है मतदान के प्रति उदासीनता नहीं |

गुजरात में मतदान का प्रतिशत कम अवश्य दिखाई दे रहा है लेकिन गुजरात ने मतदान का 52 साल पुराना कीर्तिमान तोड़ा है |

चुनाव आयोग चुनावों के आयोजन में अत्यंत परिश्रम करता है | गुजरात के जूनागढ़ के गीर में एक ऐसा केंद्र है जहां एक ही मतदाता है | चुनाव आयोग इस एक मतदाता के लिए मतदान केंद्र पर सारी सुविधाएं उपलब्ध करता है | शायद यह ही एक मात्र केंद्र होगा जहां 100% मतदान हुआ हो | हमें चाहिए कि चुनाव आयोग के प्रयासों को सम्मान देते हुए हम स्वयं अपना नाम मतदाता सूची में जुड़वाने और काम करवाने के प्रति जागरूक रहें |

तभी हम उत्सव प्रेमी देश के उत्सव प्रेमी नागरिक देश के महात्यौहार का उत्सव सही मायने में मना सकेंगें।

 

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: hindi vivekhindi vivek magazinepolitics as usualpolitics dailypolitics lifepolitics nationpolitics newspolitics nowpolitics today

सौरभ शुक्ल

Next Post
मुफ्तखोर मेहमान

मुफ्तखोर मेहमान

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0