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भारतीय अस्मिता की परिचायक-सुषमा स्वराज

भारतीय अस्मिता की परिचायक-सुषमा स्वराज

by pallavi anwekar
in विशेष
4

पिछले वर्ष मॉरिशस में हुए 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधियों के मंडल में शामिल होने का सौभाग्य मुझे मिला था। बहुत हर्ष का विषय था। पहला अंतरराष्ट्रीय प्रवास और वह भी इतने सम्माननीय तरीके से। 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन के उद्घाटन सत्र के बाद विभिन्न कमरों में अलग-अलग सत्र चल रहे थे। हिंदी से जुडे विभिन्न विषयों पर चर्चा हो रही थी। एक सत्र के दौरान अचानक से खबर आई कि सुषमा स्वराज थोडी देर में आएंगी परंतु किसी भी प्रकार से सत्र को रोका न जाए। थोडी देर में उनका आगमन हुआ। अंतिम से दूसरी पंक्ति में किनारे वाली कुर्सी पर मैं बैठी थी। शिष्टाचार के नाते मैं जैसे ही उठने लगी, उन्होंने मुझे इशारा करके वहीं बैठे रहने को कहा और स्वयं मेरे पीछे बैठ गईं। सत्र खतम होने बाद वे मंच पर गईं और जितना उन्होंने सुना उस आधार पर अपनी राय व्यक्त की। भारत की विदेश मंत्री और उस विश्व हिंदी सम्मेलन की कर्ताधर्ता होने के नाते वे सीधे मंच पर भी जा सकती थीं, परंतु अपनी वजह से सत्र में किसी भी प्रकार की बाधा न आए, इस बात का ध्यान रखना ही उनका बडप्पन था।


हर साडी की मैचिंग कोटी, माथे पर बडी बिंदी, मांग में सिंदूर, बडा जूडा, चेहरे पर मधुर सौम्य मुस्कान, भाषा पर पकड, विषयों का गहन अध्ययन और ओजस्वी व्यक्तव्य। इन सारे गुणों का एक साथ मिश्रण अर्थात सुषमा स्वराज। 2014 में मोदी सरकार में विदेश मंत्री रहीं सुषमा स्वराज अब हमारे बीच नहीं हैं। भाजपा के कद्दावर नेताओं में से एक सुषमा स्वराज पिछले कई दिनों से बीमार चल रहीं थीं।
सन 1970 में राजनीति में कदम रखने वाली सुषमा स्वराज के नाम कई राजनीतिक रिकॉर्ड हैं। वे किसी राजनीतिक पार्टी की पहली प्रवक्ता, सबसे कम उम्र की केबिनेट मंत्री, भाजपा की प्रथम महिला मुख्य मंत्री, पहली महिला विदेश मंत्री, प्रथम आउटस्टैंडिंग पार्लियामेंटरी अवार्ड प्राप्त करने वाली महिला और पहली महिला विपक्ष नेता थीं।
वैसे तो उनके व्यक्तित्व के कई पहलू हैं परंतु उन्हें सबसे अधिक याद किया जाएगा भारतीय संस्कृति के प्रति उनकी आस्था तथा उनके ओजस्वी भाषणों के लिए।
सुषमा स्वराज का व्यक्त्वि, उनका रहन-सहन सम्पूर्ण भारतीय महिला का प्रगटीकरण था। साडी को बंधन या असुविधाजनक मानने वाले लोगों के लिए निश्चित ही सुषमा स्वराज उत्तम उदाहरण हैं क्योंकि अत्यंत सामान्य परंतु शालीन तरीके से पहनी हुई साडी ने सुषमा स्वराज के व्यक्तित्व को हमेशा ही निखारा।

रक्षाबंधन पर प्रतिवर्ष वर्तमान उपराष्ट्रपति वैंकैया नायडू को राखी बांधना हो या लाल जोडा पहने करवाचौथ का व्रत खोलना हो सुषमा स्वराज ने ये त्यौहार कैसे मनाए इसे दिखाने के लिए मीडिया हमेशा ही उत्साहित रहता था।
उनके भाषण चाहे वे सदन में दिए गए हों या बाहर विभिन्न कार्यक्रमों में हमेशा ही मंत्रमुग्ध करनेवाले होते थे। हिंदी और अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं पर उनकी अच्छी पकड थी। यही नहीं संस्कृत का भी उनको गहरा ज्ञान था। सन 2017 में शंकराचार्य स्वामी जयेंद्र सरस्वती की उपस्थिति में सम्पन्न हुए एक कार्यक्रम में सुषमा स्वराज ने संस्कृत की वैज्ञानिकता को सिद्ध करने वाले उदाहरण दिए थे जो ये सिद्ध करते थे कि उनका संस्कृत का ज्ञान कितना गहरा था।

 

उनके ज्ञान और वक्तव्य शैली को देखकर ही विदेश मंत्री रहते हुए वे ऑर्गनाईजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन का गेस्ट ऑफ ऑनर चुना गया था। ओआईसी विश्वभर के मुस्लिम देशों का संगठन है और यह पहली बार हुआ है जब कोई मुस्लिमेतर व्यक्ति और वह भी कोई महिला इसकी गेस्ट ऑफ ऑनर चुनी गईं हों।
सदन में दिए गए उनके भाषण उनके द्वारा किए गए ‘होमवर्क’ का परिचायक होते थे। संदर्भों और तथ्यों के आधार पर दिए जाने वाले उनके भाषणों में आक्रामता तो होती थी परंतु उन्होंने भाषा की मर्यादा का उल्लंघन कभी नहीं किया। उनके व्यंग्यों ने विरोधी पक्ष के नेताओं को भी हंसाया परंतु उनकी भावनाओं को कभी ठेस नहीं पहुंचाई। कुल मिलाकर वे राजनीति का एक साफ सुथरा चेहरा रहीं जिसने केवल देशहित में ही कार्य किया।
इन सभी से इतर सुषमा स्वराज को एक अच्छे व्यक्ति के रूप में जाना जाएगा। राजनीतिक विरोधियों में भी शायद ही कोई ऐसे होंगे जिनसे उनका कोई व्यक्तिगत विरोध होगा। सभी लोग उन्हें एक आदर्श महिला, राजनेता, पत्नी, मां के रूप में हमेशा याद रखेंगे।

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Tags: hindi vivekhindi vivek magazineselectivespecialsubjectivesushma swaraj

pallavi anwekar

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दृढनिश्चयी और मानवतावादी भारतीय महिलाओं का चेहरा….  सुषमा स्वराज.                             

दृढनिश्चयी और मानवतावादी भारतीय महिलाओं का चेहरा....  सुषमा स्वराज.                             

Comments 4

  1. R S Deshpande says:
    6 years ago

    आदरणीय स्वर्गीय सुषमा स्वराजजी का कम शब्दों में किन्तु प्रभावशील चित्रण।
    सुषमाजी का चरित्र उज्ज्वल था, उन की वाणी मधुर थी। वे उत्कृष्ठ प्रशासक थी।
    जनहित के सभी विषयों का उन का ज्ञान असामान्य था व सामान्य लोगों से उन्हें हृदय से लगाव था। ऐसा नेता मिलना हमारा सौभाग्य था।

    Reply
  2. प्रदीप गणोरकर says:
    6 years ago

    रखर वक्ता,अजातशत्रु व्यक्तीमत्व आज नही रहा.
    भावपूर्ण श्रध्दांजली.

    Reply
  3. मुकेश गुप्ता says:
    6 years ago

    भावपूर्ण श्रद्धांजलि

    Reply
  4. परिणीता सिन्हा says:
    6 years ago

    बढ़ियाँ आलेख ၊सुषमा जी का चरित्र हमारे लिए बहुत प्रेरणादायी है၊ आपने बड़ी सजीवता से चित्रण किया है၊ अश्रुपूर्ण श्रद्धांजली

    Reply

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