हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
चीन को नाकामयाब करेगी भारत की रणनीति ? 

चीन को नाकामयाब करेगी भारत की रणनीति ? 

by अमोल पेडणेकर
in विशेष
0
जब दुनिया कोरोना वायरस विरोधी लडाई से जूझ रही है और सारे विवाद ठंडे बस्ते में हैं,ऐसे समय मे भारत- चीन की सीमा पर भारत और चीन मे लस्कर स्तर पर बातचीत हो रही हैं। यह बात चित कमान्डर स्तर पर हो रही है। पैगान्ग लेक और फिंगर फ़ोर पर बढती हूई सैन्य गतिविधिया इस मुद्दे को लेकर आज वार्ता हो रही है। भारत और चीन के स्थायी और अस्थायी शेल्टर हटने के संदर्भ मे भी बातचीत का प्रमुख मुद्दा बनाया गया है।
आज वर्तमान मे नेपाल सरकार ने अचानक नया राजनीतिक नक्शा जारी कर एक विवाद उत्पन्न कर दिया था। इस नक्शे में लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख को नेपाल की सीमा में दिखाया गया है। भारत ने नेपाल के इस कदम पर खासी आपत्ति जतायी है। भारत की ओर से लिपुलेख इलाके में सीमा सड़क के उद्घाटन के कुछ दिनों बाद ही नेपाल ने यह कदम उठाया है। यह सड़क भारत के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि लिपुलेख से होकर ही मानसरोवर जाने का रास्ता है। इस सड़क के बनाये जाने के बाद नेपाल ने विरोध दर्ज किया था। नेपाल ने नया नक्शा जारी करते हुए कहा है कि नेपाल अपनी जमीन का एक इंच हिस्सा भी नहीं छोड़ेगा।इसे नेपाल सरकार पर चीन के बढ़ते प्रभाव के रूप में इसे देखा जाना चाहिए।नेपाल के साथ भारत का भूमि विवाद तो बहुत पुराना है। लेकिन ऐसी आक्रामक भाषा का इस्तेमाल पहली बार हुवा है। नेपाल में चीन पांव पसारने का प्रयास लगातार कर रहा है. कुछ समय पहले तक चीन की नेपाल में भूमिका केवल विकास कार्यों का ढांचा खड़ा करने तक सीमित थी, लेकिन अब उसका दखल राजनीतिक ढांचे में स्पष्ट नजर आने लगा है।
कुछ दिनों से लद्दाख सीमा पर भारत और चीन की वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी सैनिकों की बढ़ी उपस्थिति के बीच तनातनी है। इससे पूरे भारत में चीन विरोधी माहौल है। सोशल मीडिया मंचों पर अभियान शुरू हुआ है कि भारतीय दुकानदार और नागरिक चीन में उत्पादित वस्तुओं का बहिष्कार कर उसके ऊपर आर्थिक दबाव बढायें। इसके पहले अक्टूबर, 2016 में पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक के बाद चीन द्वारा पाकिस्तान का साथ देने के कारण भारतीय उपभोक्ताओं ने चीनी माल का बहिष्कार किया था। इसी तरह जुलाई, 2017 में सिक्किम के डोकलाम में चीनी सेना के सामने भारतीय सेना को खड़े करने पर जब चीन ने युद्ध की धमकी दी थी, तो भारत में चीनी वस्तुओं के बहिष्कार का जोरदार परिदृश्य बना था। इन दोनों घटनाक्रमों के बाद भारतीय बाजार में चीनी उपभोक्ता सामान की बिक्री में करीब 25 फीसदी की कमी आयी थी और चीन से आयात की दर भी घटी थी।
दरअसल लिपुलेख का यह इलाका सामरिक नजरिये से काफी अहम है। इसी वजह से कैलाश मानसरोवर जाने के लिए 80 किलोमीटर लंबी सड़क का उद्घाटन हुआ तो चीन सहम गया क्योंकि इस सड़क मार्ग से होकर तिब्बत के भीतर तक भारतीय सैन्य आवाजाही आसानी हो जाएगी। लद्दाख व सिक्किम में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास चीनी सैनिकों ने अचानक आक्रामक  रवैया अपना लिया है। बीते कुछ दिनों में चीन व भारत के सैनिकों के बीच कई बार तीखी झड़प हुई है। दरअसल, भारत की अपनी सीमा में की जा रही रणनीतिक तैयारियों से चीन तिलमिलाया हुआ है।नाराजगी की मुख्य वजह सीम सड़क संगठन (बीआरओ) की एलएसी तक भारत की ओर से युद्धस्तर पर हो रहे आधारभूत ढांचे का निर्माण है। बीते ढाई साल में बीआरओ ने इस योजना के तहत 2304 किलोमीटर सड़क का निर्माण किया।चीन के रुख में अचानक आक्रामकता तब आई जब यह निर्माण कार्य रणनीतिक दृष्टि से बेहद अहम जगहों पर पहुंचा। फिलहाल पूर्वी लद्दाख के गलवां नाला और पैंगोंग झील के पास फिंगर चार इलाके में निर्माण को लेकर विवाद है।  इस बार भारत, चीन के दबाव में नहीं आया। जिस तरह दोकलम में भारत ने चीन की आक्रामकता का जवाब कूटनीति से दिया था, इस बार भी वैसी ही योजना है। हालांकि चीनी सेना के टेंट लगाने के बाद भारत ने एलएसी पर सैनिकों की संख्या में वृद्धि कर चीनी दबाव में न आने का संदेश दे दिया है।
हालांकि चीन ने नेपाल मसले पर कहा है कि यह मसला भारत और नेपाल के बीच का है, इस पर वह कोई टिप्पणी नहीं करेगा। लेकिन चीन की इस मीठी बात कों हलकों में नही लेना चाहिए। चीन पर्दे के पीछे से नेपाल को कालापानी का मसला उठाने के लिए भड़काता रहा है। भारतीय थलसेना प्रमुख जनरल मुकुंद नरवाणे ने एक बैठक को संबोधित करते हुए ठीक ही कहा कि नेपाल किसी के इशारे पर भारत के साथ विवाद खड़ा कर रहा है। जनरल नरवाणे ने किसी देश का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका स्पष्ट इशारा चीन की तरफ था। भारत का डर दिखाकर चीन नेपाल पर अपनी पकड़ मजबूत करता जाएगा। ठीक वैसे ही जैसे उसने पाकिस्तान को अपने चंगुल में ले लिया है। भारत के पड़ोसी देशों में भारत विरोधी हवा बनाने में चीन अब विशेष रुचि लेने लगा है। उसने श्रीलंका के साथ यही किया है लेकिन श्रीलंका के नेता कुछ अधिक समझदार हैं सो वे भारत के साथ भी रिश्तों को अहमियत देते हैं। नेपाल के नेता चीन की गिरफ्त में इस कदर आ चुके हैं कि भारत के लिए उन्हें चीन के चंगुल से निकालना काफी मुश्किल होगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर मध्यस्थता करने की जो इच्छा प्रकट की वह अप्रत्याशित तो है। इसके पहले वह कश्मीर को लेकर बार-बार मध्यस्थता की पेशकश करते रहे। भारत ने दो टूक इन्कार किया है। चीन के साथ सीमा विवाद पर मध्यस्थता की उनकी पेशकश पर भारत की प्रतिक्रिया जिस भी रूप में हो,पर अमेरिकी राष्ट्रपति ने मध्यस्थता की पेशकश करके चीन को नए सिरे से घेरने और साथ ही विश्व समुदाय को यह बताने की कोशिश की है कि चीन पर लगाम कसने की जरूरत है।
आज पूरी दुनिया कोरोना वायरस से परेशान है।। इसकी वजह से मानों दुनिया ठहर सी गई है। मौतें लगातार बढ़ रही हैं। कोरोना की वजह से दुनिया की ज्यादातर देशों की इकॉनमी बुरी स्थिति में है। विकासशील और पिछड़े देशों के साथ-साथ विकसित देशों में भी बेरोजगारी बड़ी समस्या बनकर सामने आ रही है। कुछ लोग, यहां तक कुछ देश भी कोरोना वायरस को प्राकृतिक न मानकर मानव निर्मित मान रहे हैं। चीन पर इसका सीधा आरोप भी लगाया जा रहा है। भारत सहित दुनिया के कई देशों में कोरोड़ों लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। इन स्थितियों के लिए चीन कहीं न कहीं जिम्मेदार जरूर है।
एक ऐसे समय जब चीन की धरती पर पनपे कोरोना वायरस ने दुनिया का बेड़ा गर्क कर दिया है । तब वह विश्व समुदाय से माफी मांगने के बजाय चीन अपने पड़ोसी देशों को परेशान करने में लगा हुआ है । उससे यही स्पष्ट होता है कि चीनी नेतृत्व दुनिया की शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन गया है।
चीन कभी दक्षिण चीन सागर में अपना प्रभुत्व जमाने की कोशिश करता है तो कभी ताइवान को धमकाता है। इतना ही नहीं, वह दुनिया के सबसे गैर जिम्मेदार देशों पाकिस्तान और उत्तर कोरिया को अनुचित संरक्षण देने का भी कोई मौका नहीं छोड़ता। यह साफ है कि वह भारत की सीमाओं पर इसीलिए छेड़छाड़ करने में लगा हुआ है ताकि दुनिया का ध्यान बंटाया जा सके । यह अच्छा है कि अमेरिका चीन की गैर जिम्मेदाराना हरकतों का संज्ञान लेने के साथ उसे कठघरे में भी खड़ा कर रहा है। आज चीन के नापाक मंसूबो को नाकामयाब करने का अवसर भारत को प्राप्त हो रहा है। उस अवसर का लाभ भारत का नेतृत्व जरुर उठायेगा। आज की भारत चीन कमान्डर स्तर की मीटिंग भी इसी मौके का एक पायदान है। भारत इस पर किस प्रकार कुट नीती से अपने पैर जमाता है, उसपर भविष्य की बहुत सारी बाते निर्भर है।

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: hindi vivekhindi vivek magazineselectivespecialsubjective

अमोल पेडणेकर

Next Post
आखिर शिवसेना ने सोनू सूद के कार्यों पर क्यों उठाया सवाल? क्या है सोनू का बीजेपी कनेक्शन

आखिर शिवसेना ने सोनू सूद के कार्यों पर क्यों उठाया सवाल? क्या है सोनू का बीजेपी कनेक्शन

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0