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सुरक्षा व्यवस्था का ध्यान रखकर उद्योग शुरू हों

सुरक्षा व्यवस्था का ध्यान रखकर उद्योग शुरू हों

by अनिल अंबर्डेकर
in उद्योग, मई - सप्ताह चार
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वसई, विरार यह औद्योगिक क्षेत्र है। वसई इंडस्ट्रियल असोसिएशन नवघर में औद्योगिक क्षेत्र वसई (पूर्व) में स्टेशन के नजदीक है। वसई-विरार में 1980 में इंडस्ट्रीज प्रारंभ हुईं। 1980 से 1988-89 तक यह प्रक्रिया चलती रही। 1991 तक नवघर इंडस्ट्रियल इस्टेट पूरी तरह तैयार हो गया। वसई इंडस्ट्रियल इस्टेट के अंतर्गत करीब 20-25 यूनिट है और कम से कम 10-15 स्वतंत्र उद्योग के प्लॉट्स है, जहां उनकी खुद की इंडस्ट्रीज हैं।

धीरे-धीरे वसई हायवे तक वालीव, गोखिवरा, सातिवली इंडस्ट्रियल इस्टेट के रूप में विकसित हो गये। अब वहां ‘गोखिवरा, वालीव, सातिवली असोसिएसशन’ के अंतर्गत ‘वसई तालुका इंडस्ट्रियल को-ऑपरेटिव हाउजिंग सोसायटी’ भी है। इस प्रकार से वसई औद्योगिकसमूह विकसित हो गया। अब इन इंडस्ट्रीज मेंं लगभग 15 से 20 हजार माइक्रो, मध्यम उद्योग, इंडस्ट्रीज यूनिट्स और लगभग 1 लाख मजदूर हैं। गोखिवरा, वालीव, सातिवली  क्षेत्र में मीडियम इंडस्ट्रीज हैं और हमारे वसई इंडस्ट्रियल असोसिएशन मेंं माइक्रो स्मॉल इंडस्ट्रीज है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा बिजली बिल का भुगतान यहीं से होता है।

कोरोना के कारण प्रधान मंत्री जी ने रात को भाषण में सूचना दी की लॉकडाउन शुरू हो गया है। जिस प्रकार एक घोषणा में इंडस्ट्रीज बंद हो गईं उससे बहुत ज्यादा दिक्कतें आ गईं। आज की तारीख में भी वसई-विरार के लगभग 15-20 हजार इंडस्ट्रीज में से 150 इंडस्ट्रीज चालू है। वो भी महाराष्ट्र सरकार के 30% कामगार के नियम के साथ चालू है। नाम के लिए इंडस्ट्रीज चल रही है। उससे उद्योग में कुछ फायदा नहीं है। क्योंकि हर एक इंडस्ट्री का काम करने का तरीका होता है। अगर सारे मजदूर फॅक्टरी में नहीं होते तो सर्कल पूरा नहीं होता। उसका असर प्रोडक्शन पर होता है।एक तो लॉकडाउन में ढ़ाई महीना इंडस्ट्रीज बंद रहने के कारण नुकसान हुआ है। बडी संख्या में मजदूर अपने अपने गांव चले गए। आज की तारीख में यही सबसे बडी समस्या है। आगे जब इंडस्ट्रीज को शुरु करने की सरकार से मंजूरी मिलेगी तब बहुत ही कठिन होगा। जहां तक मेरा अनुभव है, जिसके पास आर्थिक क्षमता है वही उद्योग आगे चलेंगे। बाकी के बंद हो जाएंगे। छोटे-छोटे उद्योग जहां कम लोग काम करते है। वो उद्योग भी उतने ही महत्वपूर्ण
हैं। उनकी वजह से ही बड़े उद्योग चलते हैं। नीचे से लेकर ऊपर तक की चेन है। उसे हम नजरअंदाज नहीं कर सकते।हमने सरकार से निवेदन किया है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को उद्योग शुरु करने की इजाजत दे। हमने माना है कि कोरोना को लेकर ही हमें चलना है। घर पर बैठकर काम होने वाला नहीं है। अब जितना जल्दी हम इसे मानकर चलें उतना अच्छा होगा। तो हम सब ने अपनी-अपनी यूनिट में सेफ्टी फैक्टर पर ध्यान देना प्रारंभ कर दिया है। प्रत्येक उद्योग का मालिक अपने-अपने कर्मचारियों की कोरोना से सुरक्षा के लिये ज्यादा से ज्यादा ध्यान देगा। जिस दिन हमारे इन्डस्ट्रीयल असोशियशन के उद्योग चालू होंगे उस दिन से सभी अपने कर्मचारियों की सेहत का पूरा ध्यान रखेंगे ऐसी सूचना सभी को दी गई है। पूरी फैक्ट्री को सेनिटाइज करने के निर्देश दिए गए हैं। गत तीन महीने से उद्योग बन्द पडे हैं, आर्थिक लेन-देन बन्द पड़े हैं। इस कारण कई लोगों को आर्थिक समस्याएं आ रही है। उद्योग बन्द हैं, पर कर्मचारियों को पगार देना है।

सरकार ने छोटे मध्यम उद्योगों के लिये रियायत जाहीर की है, लेकिन अगर उसकी प्रक्रिया सही समय पर नहीं होगी तो 100% रिजल्ट नहीं आएगा। दूसरी बात आज अगर पैसा लेकर उसपर बैंकों में ब्याज भी भरना है तो वो मार्केट में कॉम्पिटेटिव कैसे होगा। सरकार ने ऐसा तो नहीं कहा है कि जिसको सहायता दी है उनका व्याज बैंक माफ़ करेगी। भले ही सरकार ने पैकेज की घोषणा की है लेकिन निचले स्तर तक मध्यम उद्योगों तक उसका वितरण कैसे हो इस बात की स्पष्टता अब तक नहीं है। उससे अच्छा सरकार को डायरेक्ट बेनिफिट जैसे जी एस टी, अथवा इन्कमटैक्स में छूट आदि देना चाहिये थी।अगर उद्यमियों को बैंक से समय पर सहायता के रूप में पैसे मिलते हैं तो उद्यमी अपने कर्मचारियों का सैलरी दे सकेंगे, अन्य लेन देन कर सकेंगे। ऐसा हुआ तो ही उद्योग चक्र फिर से शुरु हो सकता है।

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अनिल अंबर्डेकर

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