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उद्योगों को सीधा लाभ पहुंचाए सरकार

उद्योगों को सीधा लाभ पहुंचाए सरकार

by विकास जैन
in उद्योग, जून- सप्ताह एक, सामाजिक
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राहत पैकेज में बैंकों से भारी ब्याज पर ॠण मुहैया करने के बजाय सरकार यदि उद्योगों को सीधे लाभ देती तो वह अधिक उपयोगी होता और अर्थव्यवस्था के उठने में सहयोग मिलता। उद्योगों पर पहले से कई तरह के ॠण होते हैं, वे और ॠण लेकर संकट में क्यों पड़ना चाहेंगे।

वर्तमान समय में कैपिटल बिजनेस हो गया है। वॉल्यूम टू कैपिटल ना कि प्रॉफिटेबल। कोविड-19 के पहले की बात कुछ और थी। साल दो साल में धंधा-व्यापार में फायदा नुकसान चलता रहता है। वह बिजनेस का ही एक अंग है। कोविड-19 के संकट में परिस्थितियां पूरी तरह से बदल गई हैं। हमने सरकार से मांग की थी कि हमें सीधा लाभ (डायरेक्ट बेनिफिट) दीजिए। डायरेक्ट बेनिफिट का यह मतलब है कि जैसे 50 लाख से लेकर 100 करोड़ तक की जितनी भी इंडस्ट्रीज हैं। वह सब ऑन रिकॉर्ड है। आपके पेपर में मौजूद हैं। मैं केवल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट की बात कर रहा हूं। मैं ट्रेडर्स की बात नहीं कर रहा हूं। उनके टर्नओवर का 5 % आप उन्हें सीधे लाभ देते तो यह ज्यादा उपयोगी सिद्ध होता। मान लीजिए किसी का 10 करोड़ का टर्नओवर है। उन्हें आप 50 लाख देते तो वह कामगारों को भी कुछ पैसे देकर उन्हें रोककर रखता। बकायदा समय पर मजदूरों को वेतन देता। इस तरह वह सभी के परिवार को संभालता। कच्चे माल की व्यवस्था करता। बैंकों को समय पर किश्त भरता। उनके जो अन्य खर्चे हैं, उसका भी प्रबंध करता आदि अनेक प्रकार के जरूरी खर्चों में वह पैसों का सदुपयोग करता। इससे वह पैसा सीधे बाजार में ही आता। वह उसके जेब में या घर में नहीं जाता। आज डिजिटल कामों का चलन है। घर बैठे सीधे पैसों का आदान – प्रदान आसानी से हो जा रहा है। ज्यादातर व्यापारियों की मांग थी कि हमें वर्ष भर के लिए बिना ब्याज का लोन दिया जाए, जिसे हम एक वर्ष बाद में तीन किस्तों में भर देंगे। एक वर्ष बाद हम पूरा पैसा आपको लौटा देंगे। इससे वह पैसा फिर से बाजार में आता, उद्योगों को गति मिलती और सरकार को जीएसटी मिलती। मंदी और लॉकडाउन के समय में भी यदि सरकार को जीएसटी मिलती रहती तो सरकार को तो लाभ ही होता। देश की अर्थव्यवस्था चलती रहती लेकिन अफसोसजनक बात है कि सरकार ने तो ऐसा कुछ किया नहीं।
सरकार ने तो कहा कि आप बैंकों से सीधा ॠण उठा लीजिए। ॠण उठाने के पहले ही उसके खुद के पहले से इतने ॠण चल

रहे हैं कि वह इस भारी भरकम ब्याज दरों के साथ ॠण लेने का साहस कैसे करें? बेहद कम संख्या में ऐसी कंपनियां हैं जो अपने पैसों से कारोबार कर रही है। बाकी सभी तो ॠण के आधार पर ही व्यापार कर रही है। सरकार को उनके बारे में तो सोचना चाहिए। सरकार उन्हें तो कोई लाभ नहीं दे रही है।
अर्थव्यवस्था हमेशा ऊपर से नीचे की ओर आती है लेकिन हमारे देश में उल्टा होता है। यहा तो अर्थव्यवस्था नीचे से ऊपर की ओर जाती है। जैसे सरकार किसान, मजदूर आदि जरूरतमंदों को सीधा लाभ पहुंचाती है। उसी तर्ज पर उद्योगों को भी इसी तरह की सुविधाएं देनी चाहिए। जो व्यापारी, उद्योगपति, इंडस्ट्रीज सरकार को सालों से टैक्स दे रहा हैं उसी टैक्स से सरकार देश का विकास कर रही हैं। नए भारत की नींव डाली जा रही है। लेकिन दुर्भाग्य की बात तो यह है कि जब आज वही करदाता कारोबारी संकट में है, ऐसे समय में सरकार ने उसे क्या दिया?

सरकार ने जो 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज का ऐलान किया है, वह हमारे लिए लाभदायक नहीं है। क्योंकि हमें ब्याज देकर ॠण लेना पड़ेगा तो हमें किस तरह की राहत दी गई है? क्या इसे आप राहत पैकेज मानेंगे? यदि बिना प्याज के ॠण दिया जाता तो इसे राहत पैकेज माना जा सकता था। यदि सीधा लाभ दे दिया गया होता तो बात ही कुछ और होती। देश में कहीं कोई पलायन नहीं करता। देशभर में उद्योग जगत के समक्ष मजदूरों की कमी की कोई समस्या खड़ी नहीं होती। लगभग 95% प्रवासी मजदूर पलायन कर गए हैं।

बैंकों के अनैतिक कार्य

एक मित्र ने मुझे कारोबार से जुड़ी अपनी एक बात बताई थी उसीका मैं जिक्र करना चाहता हूं। उसने एक बैंक से 5 करोड़ का ॠण लिया था। 10% से अधिक ब्याज दर पर वह भर रहा है। उसने बैंक से कहा कि लॉकडाउन के कारण मैं इतना अधिक ब्याज दर नहीं भर पाऊंगा। इसमें मुझे कुछ छूट प्रदान करें। 8 प्रतिशत से ॠण चुकाने को मैं तैयार हूं। तब बैंक ने उन्हें मेल कर बताया कि सर्वप्रथम आप हमें 7 लाख रुपये दीजिए, फिर हम आपको ब्याज दर में छूट देंगे। अब आप सोचिए कि यदि इस तरह के अनैतिक कार्य बैंक करेगी तो कैसे काम चलेगा?

100 में से 10% होते हैं जो गलत काम करते हैं और बचे 90% तो बैंक से ॠण लेंगे नहीं। यही 10% लोग ॠण लेंगे और पैसा भरेंगे भी नहीं। अब बताइए इससे सरकार को घाटा होगा कि नहीं?

सरकार को यह करना चाहिए था कि जो 5 सालों से बराबर टैक्स दे रहे हैं, जिसका बिजनेस रिकॉर्ड अच्छा है, जिसके डाटा सरकार के पास मौजूद है, उसी आधार पर सरकार यदि उन्हें सीधा लाभ देती तो बहुत अच्छा कदम होता। यदि आज भी सरकार अच्छे कदम उठाती है तो देश की अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर आ जाएगी और देश को नया आधार मिलेगा।

राहत पैकेज की पुनः समीक्षा करें सरकार

वर्तमान स्थिति देखिए आज जिस किसी बिजनेस का 10 करोड़ का टर्नओवर है। उसके पास 50 लाख रुपए तो हाथ में होने ही चाहिए। लॉकडाउन में जो आर्थिक नुकसान हुआ है, वह किसी से छुपा हुआ नहीं है इस संकट काल में केवल जावक ही जावक है आवक तो कुछ है नहीं। जो 50 – 60 लाख रुपए उसके पास बचे हुए भी थे वह भी इन दिनों खर्च हो गए होंगे। बिजनेस चलाने के लिए कर्मचारियों को तो मार्च में भी वेतन देना होगा। भाड़ा दिया होगा। जो फिक्स खर्च हैं उसे तो देना ही है।

मेरी सरकार से गुजारिश है कि वह अपनी नीतियों की पुनर्समीक्षा करें। सीधे लाभ देने पर विचार करें। इससे सरकार को बहुत सारे फायदे होंगे, सरकार को नुकसान नहीं होगा। इंडस्ट्रीज के हित में पहल करने से इंडस्ट्री स्वयं ही फिर से अपने कामगारों को वापस बुला लेगी और उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा।

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