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उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा राहत पैकेज

उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा राहत पैकेज

by फिलिप मैथ्यू
in उद्योग, जून- सप्ताह एक, ट्रेंडींग, सामाजिक
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राहत पैकेज उम्मीदों पर खरा उतरता नजर नहीं आ रहा है। इसलिए झारखण्ड सरकार को चाहिए कि वे हमारे स्थिर खर्चों- मजदूरों पर व्यय, बिजली की दर और बैंक ब्याज- पर राहत दिलाए।

झारखण्ड स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (जसिआ) से मैं जुड़ा हुआ हूं। हमारे एसोसिएशन में लगभग 500 सदस्य हैं। ज्यादातर स्टील इंडस्ट्रीज एवं फैक्टरी इंडस्ट्रीज से सम्बंधित हैं। कुछ लोग ़फूड इंडस्ट्रीज से भी जुड़े हुए हैं।

कोविड – 19 के पहले ही मार्केट स्लो डाउन था। बाजार में मांग की कमी थी। जैसे ही मार्केट में डिमांड बढ़ी और तेजी आई वैसे ही कोविड – 19 ने हमारे देश में दस्तक दी। कोविड ने सारे इंडस्ट्रीज का सत्यानाश कर दिया। सभी काम अचानक बंद हो गए। ़फूड और फार्मा आदि अत्यावश्यक सेवाओं में शामिल लगभग 15 प्रतिशत ही इंडस्ट्रीज चालू रहे। बाकी के 85 प्रतिशत इंडस्ट्रीज पूरी तरह से बंद पड़ गईं। सरकार से मंजूरी मिलने के बाद धीरे – धीरे इंडस्ट्रीज शुरू हो रही हैं लेकिन इसकी ऱफ्तार काफी सुस्त है। शहरों में दुकानों को खोलने की अनुमति अभी नहीं मिली है। इसलिए इंडस्ट्रीज में बनाए जा रहे सामान, उत्पाद आदि बिक नहीं रहे हैं। यह एक प्रमुख समस्या इंडस्ट्रीज के सामने खड़ी है।

इंडस्ट्रीज के फिक्स खर्च में की जाए कमी

हमारा जो फिक्स खर्च है जैसे लेबर पेमेंट, बिजली का फिक्स चार्ज और बैंक का ब्याज आदि यह हम पर बहुत ही भारी पड़ रहा है। झारखण्ड राज्य सरकार द्वारा बिजली के रेट में कोई कमी नहीं की गई है। सरकार ने जो कर्मचारियों का पीएफ भरने की बात कही है वह स्वागत योग्य कदम है। हमारी उम्मीद यह थी कि हमारे बिजनेस में जो हमें नुकसान हुआ है सरकार उसकी भरपाई करेगी। ॠण की ब्याज दरों में कुछ छूट देगी। हम देख रहे हैं

कि अमेरिका, यूरोप आदि देशों ने अपने यहां के उद्योगों को बचाए रखने के लिए बेहद कारगर कदम उठाए हैं। उसी तरह की आशा हमें भारत सरकार से थी। सरकार के गारंटी लेने के आधार पर हमें लोन लेने में सुविधा जरुर होगी लेकिन लोन का तो हमें ब्याज देना पड़ेगा। मैं मानता हूं कि देश पर कोरोना वायरस का जो राष्ट्रीय संकट आया है उसे हमें मिलकर ही हराना होगा। हमें जो सरकार से उम्मीद थी, भले ही सरकार उस पर खरी नहीं उतरी लेकिन इससे हम निराश नहीं है। जो सक्षम है वह अपने दम पर फिर से खड़े हो जाएंगे और जो सक्षम नहीं है वह लोन लेकर अपने व्यवसाय को खड़ा करने का प्रयास करेंगे।

हमारी इंडस्ट्रीज ने एक स्वर में यह मांग की थी कि बिजली रेट का फिक्स चार्ज निकाल दिया जाए। इतनी छूट देना सरकार के लिए कोई बड़ी बात नहीं थी लेकिन हमारे लिए यह बहुत मायने रखता है। दूसरी प्रमुख मांग थी कि लोन की ब्याज दरों में कमी की जाए या ख़त्म किया जाए, ताकि हमें कुछ राहत मिल सके।

पीएफ के नियमों व शर्तों में सुधार की आवश्यकता

सरकार ने जो कर्मचारियों के हित में पीएफ का प्रावधान किया है, उसमें तत्काल सुधार किए जाने की आवश्यकता है। सरकार को उस प्रावधान में 90 प्रतिशत की शर्त नहीं रखनी चाहिए थी। यदि सरकार यह भी प्रावधान कर देती कि जितने भी 15 हजार से कम वेतन प्राप्त करने वाले कर्मचारी हैं, उन सभी को हम पीएफ प्रदान करेंगे तो यह भी बहुत ही अच्छा कदम होता लेकिन सरकार ने ऐसा न कर यह नियम व शर्त लगा दी कि जिन कंपनियों में 90 प्रतिशत कर्मचारी का वेतन 15 हजार से कम है, उन्हें ही पीएफ का लाभ दिया जाएगा। जबकि वास्तविकता यह है कि अधिकतर कंपनियों में जो कामगार सालों से काम कर रहे हैं, उनका वेतन तो बढ़कर 15 हजार पार कर चुका होगा। ऐसे में बेहद कम कम्पनियां सरकार के 90 प्रतिशत प्रावधान का लाभ ले पाएंगी। वैसे उम्मीद बेहद कम ही है।

मजदूरों की श्रमशक्ति का लाभ उठाए झारखण्ड सरकार

हम सरकार से इस बारे में बात कर रहे हैं कि राज्य में निवेश को आकर्षित करने के लिए कुछ उपाय योजना कीजिए। बाहर से आने वाले उद्योगों के लिए अनुकूल वातावरण बनाया जाए। स्थानीय निवासियों को इन इंडस्ट्रीज में रोजगार दीजिए। अन्य राज्यों से जो प्रवासी मजदूर अपने गृह राज्य झारखण्ड में आए हुए हैं, उनकी श्रमशक्ति का लाभ उठाए। उन्होंने अन्य राज्यों एवं शहरों को समृद्ध बनाया है, वह हमारे झारखण्ड को भी विकसित करने की सामर्थ्य रखते हैं।

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Tags: breaking newshindi vivekhindi vivek magazinelatest newstrending

फिलिप मैथ्यू

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