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वेब सीरीज पर सेंसर जरूरी

वेब सीरीज पर सेंसर जरूरी

by मुकेश गुप्ता
in जुलाई - सप्ताह एक, ट्रेंडींग, सामाजिक
1

विदेशी फंडिंग से बनाई जाने वाली वेब सीरिज में मनोरंजन के नाम पर केवल सेक्स ही नहीं परोसा जा रहा बल्कि हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुुंचाई जा रही है तथा भारतीय सैनिकों को भी अपमानित किया जा रहा है। किसी एजेंडे के तहत यह सब हो रहा है। इस पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है।

भारत में वेब सीरीज की बाढ़ सी आ गई है। मनमाने ढंग से अश्लीलता, हिंसा, अपराध एवं बलात्कार जैसे सीन खुलेआम मनोरंजन के नाम पर परोसे जा रहे हैं। गालीगलौज़ का अत्याधिक मात्रा में प्रयोग किया जा रहा है। इसके अलावा किसी एजेंडे के तहत भारत के हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं एवं देश की रक्षा में तल्लीन सैनिकों का अपमान किया जा रहा है। क्या किसी भी देश में वहां के बहुसंख्यक समाज व उसकी धार्मिक भावना का अपमान किया जा सकता है? क्या किसी देश की सेनाओं के खिलाफ वहां के लोगों द्वारा अपमान व आपत्तिजनक दृश्य दिखाए जा सकते हैं?

नहीं, ऐसा किसी भी देश में नहीं होता। दुनिया में एकमात्र भारत ही ऐसा देश है जहां पर देश के मुख्य बहुसंख्यक हिन्दू समाज की धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया जाता है। दुनिया के सबसे सहिष्णु हिंदू समाज को असहिष्णु बताकर उसे ही निशाना बनाया जाता है। हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान की बात करें तो वहां पर यदि कुरान, मोहम्मद पैगंबर या इस्लाम धर्म के संबंध में किसी भी प्रकार की आपत्तिजनक बातें कह दी जाए तो ईशनिंदा के आरोप में उसे फांसी की सजा दे दी जाती है। लेकिन भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर इन असामाजिक व राष्ट्र विरोधी तत्वों को छोड़ दिया जाता है। क्या अब समय आ गया है कि पाकिस्तान की ईशनिंदा कानून की तर्ज पर ही भारत में भी हिंदू धर्म के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने वालों के खिलाफ सख्त कानून बनाया जाए? ताकि कोई भी व्यक्ति देश के बहुसंख्यक समाज की धार्मिक भावनाओं का अपमान न कर सके। इसके साथ ही तत्काल प्रभाव से वेब सीरीज को लगाम लगाने के लिए उन्हें सेंसर करना बेहद जरूरी है।

भारतीय संस्कृति सभ्यता पर आघात

पाताल लोक फिल्म की निर्माता अनुष्का शर्मा एवं निर्देशक और पटकथा लेखक सुदीप शर्मा दर्शाए गए हैं लेकिन फिल्म का कंटेंट देखकर लगता है कि वेब सीरीज के असली फाइनेंसर शायद दुबई, सऊदी अरब या पाकिस्तान से हो। पाताल लोक वेब सीरीज देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कैसे भारतीय संस्कृति व सभ्यता पर आघात किया जा रहा है।

भारत में सती सावित्री के नाम को कौन नहीं जानता? भारतीय नारियां सदियों से सती सावित्री से प्रेरणा लेकर उनके पद चिह्नों पर चलने का प्रयास करती रही है और उन्हें आदर्श मानकर पतिव्रत धर्म का पालन करती है। हमारे यहां सावित्री कहते ही धर्म पत्नियों व माताओं की एक अलग ही छवि हमारे मन में प्रकट होती है। लेकिन इस फिल्म में एक कुतिया का नाम सावित्री रखा गया है। इस आपत्तिजनक नाम से आक्रोशित होकर अभिनेत्री पायल रोहितगी ने तो यहां तक कह दिया कि कुतिया का नाम अनुष्का होना चाहिए।

इसके बाद कई लोगों ने अपने कुत्ते का नाम विराट और कुतिया का नाम अनुष्का रख दिया। सोशल मीडिया पर उक्त नाम सबसे ज्यादा चर्चाओं में था।

अप्रत्यक्ष रूप से योगी आदित्यनाथ पर प्रहार किया गया है। असल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी को ही हिंदू धर्म का सबसे बड़ा चेहरा माना जाता है। जिसे हिंदुत्व का फायर ब्रांड नेता भी कहा जाता है। राष्ट्र व समाज विरोधी तत्वों को यह भय सताता है कि यदि योगी जी केंद्र की राजनीति में आ गए तो उनका क्या होगा? इसलिए उनकी छवि को खराब करने के लिए भ्रामक दृश्य दर्शाए गए हैं। कोर्ट में यह साबित हो जाने के बाद भी कि जुनैद की मौत ट्रेन की सीट के लिए एक झगड़े के चलते हुई थी। उसमें गोमांस का एंगल डालकर लींचिंग करार दिया जा रहा है। इस फिल्म में शुक्ला नामक जाति के ब्राह्मण पात्र को दिखा रहे हैं कि वह व्यभिचार व कुकर्म करते समय अपने कान पर जनेऊ चढ़ाता है। मंदिर के पुजारी और महंत मंदिर में मांस खा रहे हैं। मुस्लिम महिला जब हिंदू महिला को पानी पिलाना चाहती है तो वह पानी पीने से इंकार कर देती है। इस सीन में यह दिखाने का प्रयास किया जा रहा है कि इस्लाम धर्म के अनुयाई शांति व प्रेम के पुजारी हैं और हिंदू धर्म के लोग भेदभाव करते हैं। सारे दुर्दांत अपराधी गुंडे शुक्ला, त्रिवेदी, द्विवेदी और त्यागी दिखाए गए हैं यानी ब्राह्मण मतलब नष्ट भ्रष्ट करने वाला समाज है। इसमें एक मुस्लिम कैरेक्टर इमरान भी है जो कर्तव्यदक्ष निष्ठावान पुलिस सब इंस्पेक्टर की भूमिका में है लेकिन हिंदू पुलिसकर्मी उस पर छींटाकशी करता है। आर्यावर्त नामक देश में मोमिनों को पानी पीने तक की भी आजादी नहीं है ऐसा दिखाया गया है। साधु – संत मां, बहन की गालियां बकते दिखाए गए हैं। मारकाट के लिए गुंडे चित्रकूट से बुलाए जाते हैं। अप्रत्यक्ष रूप से वर्तमान सरकार को तानाशाही शासन बताया जा रहा है। अनेकों बार भगवा कपड़ों में जय श्री राम बोलते लोगों को गुंडागर्दी करते दिखाया गया है।

उदाहरण के लिए हमने यहां पाताल लोक वेब सीरीज का उल्लेख किया है। न जाने कितनी वेबसीरीज इसी तरह की बनाई गई हैं और लगातार बनाई जा रही हैं। इससे समाज में नफरत और विभाजन की लम्बी रेखा खींची जा रही है। समय रहते जितना जल्दी हो सके वेब सीरीज पर नियंत्रण किया जाना चाहिए वर्ना इसके भयंकर परिणाम सामने आ सकते हैं।

सेक्स, अश्लीलता व गालियां की भरमार

भारतीय वेब सीरीज देख कर तो ऐसा लगता है कि जैसे हमारे समाज में गाली और सेक्स ही आकर्षण का केंद्र है। बस यही दुनिया है हमारी। जबकि यह वास्तविकता से परे है। समाज की सच्चाई दिखाने के नाम पर बेतहाशा अभद्र गालियां व अश्लीलता परोसी जा रही है। समाज की सच्चाई से इसका कोई लेना देना नहीं है। वेब सीरीज के नाम पर सॉफ्ट पोर्न फैलाया जा रहा है। गालियां तो इस तरह प्रचारित की जा रही है जैसे कि यह स्टेटस सिंबोल हो और गाली गलोज करना शान की बात।
बता दें कि पश्चिमी देशों में भोग विलास को महत्व दिया जाता है। खाओ, पीओ और मजा करो। लेकिन भारत में ऐसा नहीं है। भारत भोग नहीं, योग की भूमि है। तप, जप, व्रत एवं यज्ञ की भूमि है। भारत की महान परंपरा को नष्ट भ्रष्ट करने तथा भारतीय युवाओं को पथभ्रष्ट करने के लिए यह सारा षड्यंत्र भरा खेल खेला जा रहा है।

बीते माह सुप्रीम कोर्ट ने नेटफ्लिक्स और अमेजॉन प्राइम वीडियो जैसे ऑनलाइन मीडिया प्रसारण की सामग्री को नियंत्रित करने के लिए दिशानिर्देश तय करने की मांग वाली याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब तलब किया था। आरोप है कि बगैर प्रमाणन के अश्लील सामग्री नेटफ्लिक्स एवं अन्य माध्यम प्रदर्शित करते हैं। मंत्रालय ने अपने जवाब में कहा था कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को उसे किसी प्रकार का लाइसेंस लेने की आवश्यकता नहीं है। इस जवाब के बाद याचिका खारिज कर दी गई। बावजूद इसके देश भर में एक स्वर में यह मांग उठ रही है कि वेब सीरीज में दिखाए जाने वाले उत्तेजक आपत्तिजनक सीन को नियंत्रित करने के लिए अलग से सेंसर बोर्ड की स्थापना की जाए।

नेटफ्लिक्स के साथ ही अमेजॉन प्राइम, हॉट स्टार, आल्ट बालाजी, सोनी लाइव, वूट हुट, उल्लू जैसे ऑनलाइन स्ट्रीमिंग एप्प के जरिये वेब सीरीज में इंटिमेट सीन की भरमार हुई है। उसे देखते हुए सरकार को जल्दी ही उचित कदम उठाने चाहिए।

घातक हथियार की तरह प्रयोग

अब तक हम अपने मनोरंजन और टाइमपास के लिए ही वेब सीरीज देखते थे। लेकिन अब सावधान हो जाइए। विदेशी फंडिंग से बनाई जाने वाली वेब सीरीज का प्रयोग एक घातक हथियार के रूप में भी किया जाने लगा है। देश में रह रहे गद्दारों (शत्रुओं) का हौसला इतना बढ़ गया है कि उनके द्वारा देश की सबसे ताकतवर संस्था भारतीय सेना का मनोबल तोड़ने के लिए भी वेब सीरीज का इस्तेमाल किया जा रहा है। अभी हाल ही में एक विवादित वेबसीरीज फिल्म आई थी। जिसमें भारतीय सेना का अपमान जनक दृश्य दिखाया गया था। उसमें सैनिक के वर्दी के साथ आपत्तिजनक सीन दर्शाए गए थे। आप अब तक समझ गए होंगे कि मैं कौन से दृश्य की बात कर रहा हूं। इसको लेकर देशभर में बवाल मचा था और सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया देखी गई थी।

एक कुत्ता (जानवर) भी जिस घर की रोटी खाता है उस घर के प्रति वफादारी दिखाता है। लेकिन भारत का खाकर राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त राष्ट्र विरोधी तत्व (गद्दार) देश के खिलाफ ही भोंकते हैं और काटते हैं। भारत में पाई जाने वाली यह गद्दार गैंग जानवरों से भी गई बीती है। विदेशी ताकतें भी भारतीय सेना का मनोबल नहीं तोड़ पाई लेकिन भारत के कायर गद्दार वेबसीरीज के माध्यम से सेना का मनोबल तोड़ने का प्रयास कर रहे है। जब तक पैसों पर जमीन बेचने वाले गद्दार रहेंगे तब तक ऐसी फिल्म बनाई जाती रहेंगी लेकिन राष्ट्रवादी ताकतों को भी इसके खिलाफ कमर कसकर मुखर होना होगा।
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मुकेश गुप्ता

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गुरु बिन भ्रम ना जासी

गुरु बिन भ्रम ना जासी

Comments 1

  1. Suchita phadnis says:
    4 years ago

    वेब सीरीज भारतीय संस्कृति के विपरीत चिजे दिखा रहा हैं।
    संयम के बजाय भोग,संयमित भाषा की जगह गालियां, विवाह पूर्व गर्भवती होती कुंवारी लडकियां, प्रत्येक महिला को शराब,सिगरेट पीते हुए दिखाया जाता हैं। अपराध ही अपराध
    दृश्य जगत बालमन व युवामन पर गहरा असर करते है।
    बचपन मे सोने से पहले कहानियां सुनाई जाती थी जो अवचेतन मन मे जाकर एक सुदृढ़ व्यकितत्व गढा जाता था। वेबसीरीज जहर घोल रहा हैं देश की पीढी विषाक्त होती जा रही हैं।

    दुर्भाग्य यह है कि वेब सीरीज मे पैसा जिस उद्देश्य से लगाया जाता हैं वो हमारे कलाकार, लेखक पूर्ण करते है।

    एक होता हैं हथियारों से युद्ध
    दूसरा होता हैं संस्कृति दूषित करने का छुपा हुआ एजेंडा।
    दूसरा छुपा हुआ युद्ध अत्यंत घातक हैं।

    इस पर फिल्मों की तरह सैंसर लागू होना चाहिए।

    Reply

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