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बरसो बाद जीत…

बरसो बाद जीत…

by प्रा. सुरेंद्र बाजपेई
in अक्टूबर २०११, खेल, सामाजिक
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हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल है। लेकिन विश्व स्तर रैंकिंग में हॉकी खेल में आस्ट्रेलिया का शीर्षस्थान और भारत का स्थान नौवां रहा है। अगस्त 2010 में अंतराष्ट्रीय हॉकी महासंघ (एफ.आई.एच.) द्वारा जारी विभिन्न राष्ट्रों की हॉकी की विश्व रैंकिंग में आस्ट्रेलिया का स्थान सर्वोच्च था जब कि आठ बार के ओलिंपिक चैम्पियन भारत का स्थान इसमें नौवां था। अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ की रैंकिंग में पहले दस स्थानों पर रहे राष्ट्रों की सूची निम्नलिखित है

हॉकी इडिया और भारतीय हॉकी महासंघ के झगडों से भारतीय हॉकी संकट में है। 1925 से 1964 तक भारत ने हॉकी का सुवर्ण युग अनुभव किया था। इन सालों में भारत आठ बार ओलिंपिक स्वर्ण पदक विजेता रहा था। लेकिन 2008 के बीजिंग ओलिंपिक के लिए भारतीय हॉकी टीम ’अपात्र’ रही। अस्सी सालों के बाद भारत को अपने राष्ट्रीय खेल में अपमानित होना पडा था। 1980 में आखिरी स्वर्ण पदक भारत ने जीता था। पिछले वर्ष फरवरी में विश्वचषक स्पर्धा में भारत को आठवें स्थान पर संतोष करना पड़ा था। राष्टमंडल खेलों में दूसरा स्थान प्राप्त किया। लेकिन हाल ही में एशियाई चैम्पियन बनकर फिर हॉकी के सुनहरे दिनों का सपना हम देख सकते हैं।

रैंक                                            राष्ट्र                                                   अंक
1                                           आस्ट्रेलिया                                             284
2                                           जर्मनी                                                    237
3                                          इंग्लैण्ड                                                   224
4                                          हॉलैण्ड                                                    221
5                                           स्पेन                                                     204
6                                     दक्षिण कोरिया                                             188
7                                          न्यूजीलैण्ड                                              176
8                                         पाकिस्तान                                               152
9                                        भारत                                                         146
10                                       कनाडा                                                      131

ओडोंस में गोलकीपर पी.आर. श्रीजेश के शानदार प्रदर्शन की बदौलत भारत की युवा हॉकी टीम ने बेहद रोमाचंक फाइनल में पाकिस्तान को पेनल्टी शूट आऊट में 4-2 से हराकर पहली एशियाई चैम्पियन ट्रॉफी जीत ली है। पाकिस्तानी टीमे कोच स्टेडियम की छत पर खड़े होकर भारतीय खिलाड़ियों को लगातार अपशब्द कहते रहे। भारतीय टीम से जब भी कोई मूव बनता तो वह भद्दी गाली देने लगते। जब अंपायर भारत के खिलाफ कोई निर्णय देते तो वे फुर्ती से ’थैंक्यू’ कहते थे।

भारत के नये कोच आस्ट्रेलिया के माइकल नोब्ज के कुशल मार्गदर्शन में भारत के युवा खिलाड़ी यह पहला टूर्नामेंट बडे जोर-शोर और उत्साह से खेल रहे थे। भारत के लिए पेनल्टी शूट आऊट में कप्तान राजपाल सिंह, दानिश मुज्तबा, युवराज वाल्मीकि और सरवनजीत सिंह ने गोल किए। जब कि पाकिस्तान के मोहम्मद रिजवान और वसीम अहमद ने गोल दागे। निर्धारित और अतिरिक्त समय के बाद भारत पाकिस्तान दोनों टीमें गोल रहित बराबरी पर थीं। पिछली सारी नाकामियों और

मैदान के बाहर के विवादों का विचार करें तो मिली यह जीत भारतीय हॉकी के लिए ’संजीवनी’ का काम कर सकती है। भारतीय हॉकी टीम के प्रशिक्षक माइकल नोब्ज और उनके मार्गदर्शन में खेलने वाले युवा भारतीय खिलाड़ियों को बार-बार बधाई देनी चाहिए। प्रशिक्षक तो खुशी के आंसू बहा रहे थे और कह रहे थे कि मेरी टीम के युवा खिलाड़ियों ने देश की हॉकी को फिर एक बार गरिमा प्राप्त करा दी है।

’नवनिहाल देश के जब कदम बढाएंगे।
मंजिलों के फासले खुद करीब आएंगे।’

यह मैच पाकिस्तान के साथ जीतना अपने आप में विशेषता है। स्पर्धा की शृंखला मैच में भारत ने पाकिस्तान को 0-2 की पिछाड़ी से 2-2 बराबरी में रोका था। इस फाइनल मैच में   निर्धारित समय और उसके 15 मिनट बाद तक एक भी गोल नहीं हुआ। इसीलिए पेनाल्टी शूट आऊट का उपयोग किया गया। पाकिस्तान के टीम ने इस उत्कंठापूर्ण लड़ाई में प्रांरभ से ही गतिमान खेल खेलकर दबाव बनाए रखा था। विशेषत: उनके तेजतर्रार खिलाड़ी शफीक अब्बासी ने कई बार भारतीय गोलपोस्ट
तक जोरदार गेंद पहुंचाई किंतु वी. रघुनाथ और भारतीय रक्षपंक्ति के खिलाड़ियों ने उसकी चालें रोकीं। 14वें मिनट में पाकिस्तान को पहला पेनल्टी कॉर्नर मिला, मगर वे असफल रहे। उसके बाद भी उन्हें 41वें, 47वें, 48वें, 60वें और 62वें मिनट पर बारबार पेनल्टी कॉर्नर मिले, लेकिन पाकिस्तानी खिलड़ी गोल करने में असफल रहे।

पेनल्टी स्ट्रोक के समय भारत के तेज गोल रक्षक श्रीजेश ने जो रोमहर्षक खेल किया, सफलता दिलाने में वह सहायक बना। भारत के गुरुविंदर सिंह चंडी ने जो शॉट लगाया उसे पाकिस्तान के गोलरक्षक इमरान शाह ने फुर्ती से रोका, तो पाकिस्तान के हसीम अब्दुल खान के पहले स्ट्रोक को भारत के श्रीजेश ने रोका। पहली सफलता भारत को दानिश मुज्तबा ने 1-0 से दिलाई,
किंतु कुछ ही क्षणों में पाकिस्तान के रिजवान ने गोल किया और स्कोर 1-1 बराबरी का हुआ। भारतीय टीम का नेतृत्व करने वाले कर्णधार राजपाल ने 2-1 से भारत की बढोतरी की। पाकिस्तान के शफाकत रसूल के स्ट्रोक को श्रीजेश ने नाकाम किया। मुंबई के युवराज वाल्मीकि ने भारत को 3-1 पर पहुंचाया तो पाकिस्तान केअनुभवी खिलाडी वासीम ने गोल करते हुए स्कोर को 3-2 पर पहुंचाया। सवर्णजिन सिंह ने भारत की सफलता के लिए 4-2 पर स्कोर पहुंचाकर भारत को विजयश्री प्राप्त करा दी। पेनल्टी शूट आऊट के भारतीय युवा खिलाड़ियों के जोशपूर्ण खेल को भुलाया नहीं जा सकता। भारतीय खिलाड़ियों के बारे में कहेंगे

देश की इज्जत- नौजवान
देश की ताकत-नौजवान
देश की दौलत-नौजवान
कहो भाई-नौजवान नौजवान नौजवान

राजपाल को बल्ले-बल्ले कहना है। माइकल नोब्ज भारत के प्रशिक्षक को बधाई। हॉकी इडिया की ओर से पूरी टीम और स्टाफ के हरेक को 25 हजार रूपये पुरस्कार की घोषणा हुई। महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई के 6 बाय 8 फूट के छोटे कमरे में अपने परिवार के साथ रहने वाले युवराज वाल्मीकि को दस लाख और नौकरी देने की घोषणा की है। खेल की सफलता खिलाड़ी का जीवन बदल देती है यही सत्य है।

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