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बिंदिया क्या बोले

बिंदिया क्या बोले

by अनिता
in अक्टूबर २०११, सामाजिक
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बिंदी का मतलब माथे पर सजी बिंदी। वह मात्र सांैंदर्य प्रसाधन नहीं है, बल्कि समाज में सुहाग के चिह्न के रूप में भी मौजूद हैं। बिंदिया ने वर्तमान समय में न केवल नए आयाम गढ़े हैं, अपितु खुद को स्त्री के व्यक्तित्व से भी जोड़ लिया हैं। जो बिंदी आप लगाती हैं, वह बिना कहे भी बहुत कुछ बोल जाती है। आइए जानते हैं कि किस तरह ये छोटी सी बिंदिया नेत्रियों, अभिनेत्रियों के बीच अपनी लोकप्नियता बनाए हुए हैं।

जुलिया राबट्र्स– हॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री जब ताजमहल देखने आर्इं तो उनके माथे पर भी लाल रंग की बड़ी बिंदिया चमक रही थी। यह तस्वीर अमेरिका की ग्लॉसी मैग्जीन में छपी। उसके अमेरिकी प्रशंसकों ने कहा कि जूलिया पर इंडियन बिंदिया खूब फबती हैं।

उषा उत्थुप– विदेश में आयोजित एक म्यूजिक शो में उषा उत्थुप से मिलने एक विदेशी प्नशंसिका आई, तो उसने गीत की तारीफ के बजाय पूछा कि आप ऐसी बिंदी क्यों लगाती हैं? उषा ने जवाब दिया कि जब मैं बिंदिया लगाती हूं तो अच्छा गाती हूं, बिंदिया मेरा आत्मविश्वास दुगुना कर देती है और ये मेरी पहचान है, दूसरों से अलग दिखने का आसान तरीका हैं।

शोभा डे- शोभा ने बिंदिया के बारे में एक बार कहा था, अपनी धरती पर हमें बिंदिया का बहुत बड़ा प्नभाव नजर नहीं आता, लगभग हर माथे पर बिंदिया किसी न किसी रूप में सजी नजर आ ही जाती हैं, पर हम देश से बाहर जाते हैं तो समझ में आता है कि छोटी सी बिंदिया हमारी संस्कृति और हमारी अस्मिता की पहचान हैं।

डॉली ठाकुर– जब थिएटर कलाकार डॉली ठाकुर ने ‘क्या होगा निम्मो का’ में काम करने की मंजूरी दी, तो उनकी पहली शर्त थी कि वे बिंदिया जरूर लगाएगी, अपने स्टाइल स्टेंटमेंट को नहीं छोडेगी ।

जया जेटली– विल्स लाइफ स्टाइल इंडिया पैâशन वीक के दौरान दर्शक दीर्घा में बैठी जया जेटली भीड़ में बेहद अलग दिख रही थी। बिंदिया की महिमा पर जया कहती हैं, बचपन से ही मैंने बिंदिया का साथ कभी नहीं छोड़ा और मुझे लगता हैं कि किसी भी महिला के ललाट पर बिंदिया उसकी खूबसूरती पर चार चांद लगा देती हैं।

वृंदा करात, अंबिका सोनी, सुषमा स्वराज और रेणूका चौधरी के माथे पर लगी कथई बिंदिया इन नेत्रियों में गजब का आकर्षण पैदा करती हैं। वृंदा करात के अनुसार अब यह बिंदिया उनकी जीवन शैली का एक अभिन्न हिस्सा बन गई है, इसके बिना उन्हें कुछ अधूरा लगता हैं।

ऐसे ही किरण खेर चाहे किसी भी फिल्म में दिखें, उनकी बिंदिया उनका साथ कभी नहीं छोड़ती। नीना गुप्ता ने तो धारावाहिक ‘सांस’ में अपने व्यक्तिगत स्टाइल स्टेटमेंट को सब की पसंद बना दिया। आज भी नीना किसी भी समारोह में नजाकत के साथ साड़ी पहने और बिंदिया लगाए ही दिखती हैं।

इसी तरह सुधा चंद्रन ने भी एक धारावाहिक में काम करके बिंदिया को पैâशन स्टेटमेंट बना दिया था। इला अरूण का टे्रड़मार्वâ भी बिंदिया और कलात्मक आभूषण ही हैं। नृत्यांगना मल्लिका साराभाई की बिंदिया भी किसी से कम नहीं। यह कहना गलत नहीं होगा कि लाखों की भीड़ में अपने व्यक्तित्व को अलग दिखाने की चाह में सभी सेलीब्रेटीज नया कदम उठाती हैं।

आपके चेहरे की शान

बिंदिया किसी भी चेहरे की शान होती हैं, बिंदिया के बिना तो सोलह श्रृंगार भी अधूरा हैं्न। चेहरे पर दो भौंहों के बीच लगे इस भाग्यशाली वुंâकुम से किसी भी चेहरे पर अनोखा नूर आ जाता हैं। अगर आप रोज बिंदिया लगाती हैं, तो आपको कब वैâसी बिंदिया लगानी हैं, शायद इसमें कोई दिक्कत न आती हो। लेकिन जो लड़कियां शौकिया बिंदिया लगाती हैं, उन्हें हमेशा सोचना पड़ता है कि वैâसी बिंदिया में अच्छी लगेगी? बिंदिया लगाने से पहले यदि आपको इस बात का अंदाजा हो कि आपके चेहरे का शेप वैâसा है, तो आपकी आधी परेशानी खत्म हो जाएगी। चलिए सबसे पहले आपको बताते हैं कि आप अपने चेहरे का शेप वैâसे तय करें? अपने पूरे बाल पीछे करके पोनी टेल बांध लें, अब शीशे के सामने खड़े होकर अपने चेहरे की आउटलाइन बना लें, बस जिस तरह का शेप शीशे पर बना हैं आपके चेहरे का भी वैसा ही शेप हैं। अब आपको यह तय करना है कि आप किस तरह की बिंदिया लगाए जिससे आप और सुंदर लगें।

गोल चेहरा

अधिकांशत: गोल चेहरे की विशेषता होती है कि यह जितना चौड़ा होता है उतना ही लंबा होता है। इस चेहरे का सबसे चौड़ाई वाला हिस्सा गोल होता है। इस चेहरे के लिए छोटी और लंबी बिंदिया आदर्श होती है। ऐसी बिंदिया चेहरे पर एक अनोखी आभा पैदा करती है। गोल चेहरे वाले गोल और बर्फी के आकार की चौड़ी बिंदिया लगाने से बचें।

अंडाकार चेहरा

इस चेहरे में माथा ठोड़ी से ज्यादा चौडा होता है। गाल की हड्डियां कुछ दबी हुई होती हैं। गाल की हड्डियां कम चौडी होने से चेहरा संकरा और सुंदर दिखने लगता है। इस चेहरे पर सही अनुपात की किसी भी तरह की बिंदिया अच्छी लगती है। अंडाकार चेहरे पर बहुत भरी-भरी डिजाइन वाली बिंदिया से बचना चाहिए।

चौकोर चेहरा

इस चेहरे में माथा और गालों की हड्डियां समान रूप से चौड़ी होती हैं। गाल और जबड़े वाला भाग एक जैसा चौड़ा होता हैं। जिससे चेहरा चौकोर दिखाई देता हैं। नाजुक, लंबी, गोल और बहुत घुमावदार बिंदिया चौकोर चेहरे पर अच्छी लगती है। चौड़ी और ज्यामीतीय आकार की बिंदिया निश्चित तौर पर चेहरे की सुंदरता बढ़ती है।

तिकोना आकार लिए चेहरा

इस चेहरे में जबडे की हड्डियां माथे से ज्यादा पैâली हुई होती हैं। गालों की हड्डियां भौंह के ऊपर की हड्डियों से चौड़ी और संकरी होती हैं। इसलिए बड़े आकार की बिंदिया चेहरे की सही आकार को दिखाने में काफी मदद करती है।

विवाहिता को बिंदिया लगाना क्यों जरूरी है?

बिंदिया लड़कियों का सोलह श्रृंगार में से एक माना गया हैं। इसलिए बिंदिया किसी भी लड़की की खूबसूरती में चार चांद लगा देती है। लड़कियां इसका उपयोग सुंदरता बढ़ाने के उद्देश्य से करती हैं और विवाहित महिलाओं के लिए यह सुहाग की निशानी मानी जाती हैं। हिंदू धर्म में शादी के बाद हर स्त्री को माथे पर लाल बिंदिया लगाना आवश्यक परंपरा माना गया है।

बिंदिया का सम्बंध हमारे मन से भी जुड़ा है। योग शास्त्र के अनुसार जहां बिंदिया लगाई जाती है, वहां आज्ञा चक्र होता हैं। यह चक्र हमारे मन को नियंत्रित करता है। हम जब भी ध्यान लगाते हैं तब हमारा ध्यान यही वेंâद्रित होता है। यह स्थान काफी महत्वपूर्ण माना गया हैं। मन को एकाग्र करने के लिए इसी चव्नâ पर दबाव दिया जाता है। लड़कियां बिंदिया इसी स्थान पर लगाती है। बिंदिया लगाने की परंपरा आज्ञा चक्र पर दबाव बनाने के लिए प्नारंभ की गई ताकि मन एकाग्न रहे। महिलाओं का मन अति चंचल होता हैं। अत: उनके मन को नियंत्रित और स्थिर रखने के लिए बिंदिया बहुत कारगर उपाय हैं। इससे उनका मन शांत और एकाग्र रहता है।

किसी भी लड़की के माथे पर चम-चम चमकती बिंदिया किसी का भी मन मोह लेती है। कोई भी इसके आकर्षण से बच नहीं पाता। इसलिए वह स्त्रियों के श्रृंगार में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। दक्षिण एशिया, भारत, बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका देशों में खास कर बिंदिया का इस्तेमाल किया जाता हैं। बिंदिया को स्टीकर बिंदिया भी कहा जाता हैं। वह बहुत सारे कलर, डिजाइन, साइज और मटेरियल्स में उपलब्ध है। बिंदिया हमेशा ही लाल रंग में नहीं होती। बिंदिया को कुमकुम, तिलक भी कहते हैं। इसे पुरुष, पुजारी, साधू, उपासक, जैन और बुध्द उपासक अपने माथे पर लगाते हैं। इसके अलावा खास पूजा या उत्सव जैसे शादी, आरती ,भाईदूज, करवाचौथ, पाड़वा, दशहरा या आंदोलन इत्यादि में तिलक का इस्तेमाल करते हैं।

बिंदिया सिर्पâ पैâशन का जरिया नहीं है, बल्कि भारतीय परंपरा को आगे बढ़ाने का तरीका भी है। बिंदिया को ताकत और सच्चाई का प्नतीक माना जाता है। बिंदिया को हर त्योंहार, उत्सव में शगुन के रूप में लगाया जाता है।

हाल के समय में बांग्लादेश की मुस्लिम महिलाओं ने भी बिंदिया लगाना शुरू किया। लाल बिंदी सम्मान, प्यार, सौभाग्य का प्नतीक समझी जाती है। सरल अर्थ में कह सकते हैं कि बिंदिया खूबसूरती को बढ़ाने का एक जरिया हैं। धर्म गुरुओं के अनुसार कुमकुम लगाना अपने गुरु को सम्मान देने का तरीका है। विवाह के समय महिलाएं खास तौर पर सिंदूर और बिंदिया लगाती हैं और विधवा होने के बाद इसे उतार देती हैं। मध्य एशिया की कुर्दिश महिलाएं अपने माथे पर टैटू बनवाती हैं अपने समुदाय की पहचान के लिए। मोरक्को की महिलाएं शगुन के लिए टैटू बनवाती हैं।

बिंदिया के कितने नाम-

बिंदिया को तमिल और मलयालम में पोटू कहते हैं।

तेलगू में तिलकम या बोटू कहते हैं।

कन्नड़ में तिलक या बोटू कहते हैं।

मराठी में टिकली कहते हैं।

बंगाली में तीप कहते हैं।

गुजराती में चंदालों कहते हैं।

पंजाबी में टिक्का कहते हैं।

इस तरह बिंदिया हर जगह मौजूद है अलग– अलग रूपों में!र्र्र्

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