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नेतृत्व का प्रेरणा केंद्र और उसका प्रभाव

नेतृत्व का प्रेरणा केंद्र और उसका प्रभाव

by अमोल पेडणेकर
in अगस्त-सप्ताह तिसरा, विशेष
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स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आत्मविश्वास से भरा सम्बोधन सुनने के बाद देश की जनता के मन में एक चैतन्यमय आत्मविश्वास निर्माण हुआ है। यह उद्बोधन ऐसे नेता का था जिसका अधिष्ठान राष्ट्र विचारों से जुड़ा है, इसलिए देश के जनमन में विचारों की लहरें उठना स्वाभाविक ही है।

भारतीय स्वतंत्रता दिवस मनाते वक्त भारत की जनता 74 सालों से देश के अब तक के प्रधानमंत्री को सुनती आई है। भारत के लाल किले की प्राचीर से देश के प्रधानमंत्री द्वारा समस्त देश को संबोधित करने की परंपरा रही है। इस वर्ष स्वंतत्रता दिवस के अवसर पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने लाल किले की प्राचीर से अपना सातवां भाषण प्रस्तुत किया था। इस संपूर्ण भाषण में नरेंद्र मोदी जी 86 मिनटों तक देश की जनता से संवाद करते रहे। नरेंद्र मोदी जी का संपूर्ण भाषण सकारात्मकता को समर्पित और साथ में विश्व को भी उत्साहित करने वाला था। उनके भाषण में देश को एक नई दिशा और उत्साह देने का काम किया हुआ है।

उनके संपूर्ण भाषण में ग्राम विकास, वोकल फॉर लोकल, स्वदेशी, एल ओ सी से एलएसी तक आंख उठाने वाले को भारतीय सेना द्वारा मुंहतोड़ जवाब देने वाली बात, एमएसएमई सेक्टर को मजबूत करने वाली बात, दूरस्थ गांव को ऑप्टिकल फाइबर जैसे संचार तंत्र से जोड़ने वाली बात, स्वदेशी क्षेत्र को बढ़ावा देने का विषय, राम मंदिर के समाधान का जिक्र और कोरोना संक्रमण को रोकने वाला वैक्सीन इस प्रकार के विभिन्न विषयों पर जिवंत भाष्य किया गया। कश्मीर में धारा 370 को खत्म करने, तीन तलाक और नागरिक संशोधन कानून जैसे विषयों के संदर्भ में उन्होंने अपने विचार रखें। नई शिक्षा नीति, ऑनलाइन शिक्षा नीति जैसे विषयों पर अत्यंत उत्साह पूर्ण वाणी में उन्होंने भारतीय जनता को संबोधित किया। भारतीय जनता के साथ संवाद करते वक्त नरेंद्र मोदी जी बेहद आत्मविश्वास के साथ अपना विषय प्रस्तुत कर रहे थे। नरेंद्र मोदी जी ने अपने भाषण में जो मुद्दे उठाए हैं उन मुद्दों के बारे में आने वाले दिनों में चर्चा तो होती रहेगी। लेकिन उन मुद्दों को प्रस्तुत करते वक्त नरेंद्र मोदी जी के आवेश में जो विश्वास था, उनकी भाषा में जो आत्म विश्वास था, उनकी प्रस्तुति में भारत देश को आत्मनिर्भर बनाने का जो जज्बा था वह बात भारतीय जन जन के मन तक पहुंच रही थी।

नरेंद्र मोदी जी ने अपने वक्तव्य में हिंदुत्व, हिंदू इन शब्दों का उल्लेख कही भी नहीं किया। लेकिन जिस आवेश से वह अपना विषय रख रहे थे, जिस तरह का परिधान उन्होंने पहना था, अपने सिर पर केसरी साफा, कंधे पर केसरिया गमछा, उनका यह पेहराव भी भारतीयता का संदेश दे रहा था। इस परिवेश के साथ उनके मुख से संबोधित होने वाला प्रत्येक शब्द, उनके अंदर के आत्मविश्वास का परिचय दे रहा था। नरेंद्र मोदी जी ने स्वंतत्रता दिवस के अवसर पर देश की जनता को संबोधित करते हुए विकास, स्वास्थ्य और सुरक्षा इन विषयों को लेकर अपने विचार प्रकट किए हैं।

कोरोना संकट के दौर में वर्तमान मे जो अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है, उन्ही विषयों का जिक्र नरेंद्र मोदी जी के संपूर्ण वक्तव्य में था। लाल किले की प्राचीर से भारत माता की जय का ललकारा लगाने वाला यह अनोखा प्रधानमंत्री है। भारत माता की जय यह घोषणा अनेकों को खटकने वाली हो सकती है। देश हमारे लिए सब कुछ है… समस्त भारतीयों तक नरेंद्र मोदी जी ने अपने संबोधन से यह संदेश पहुंचाया है।

वर्तमान में देश का मूड किस प्रकार से है? देश की जनता क्या चाहती है? इस पर हम ध्यान दें तो हमें मालूम होगा कि देश की जनता विकास चाहती है। देश का युवा अपने भविष्य की ओर टकटकी लगा कर बैठा हुआ है। अपनी शिक्षा, करिअर, स्वास्थ्य, सुरक्षा, घर इन विषयों के संदर्भ में देश का आज का युवा अपनी चिंतन और चिंता रखता है। आज की पीढ़ी भावनाओं से ज्यादा अपने भविष्य के संदर्भ में सचेत हो गई है। युवाओं की इस सोच में व्यक्ति, समाज और राष्ट्र के विकास की सोच भी जुड़ी हुई है। इन्हीं बातों को महसूस करते हुए नरेंद्र मोदी जी ने प्रस्तुत किया भाषण देश के विकास के संदर्भ मे भारत की समस्त जनता को आश्वासित करने वाला था।

जब देश की जनता आश्वासित होती है तो उसका सीधा मतलब यह होता है कि देश का नेतृत्व देश की जनता के मन की बात समजता है। राष्ट्र, समाज और व्यक्ति के हित के विषय से एक आदर्श नेतृत्व गुणों वाला नेता अपने आप को निरंतर जोड़कर रखता है। उस नेतृत्व में देश का आत्मसम्मान, समाज के विकास, व्यक्ति के कल्याण के संदर्भ में निच्चित विकास योजना होनी चाहिए। तय हुई विकास योजनाओं को भविष्य में किस प्रकार से अमल में ला सकते हैं, इस बात को लेकर स्पष्ट नियोजन भी होना चाहिए। राष्ट्र को हम किस दिशा में ले जाने वाले हैं इसकी योजना भी स्पष्ट होनी चाहिए। इन सब बातों को देश के जन मानस तक ले जाने के लिए नेतृत्व में भी दुर्दम्य आत्मविश्वास होना अत्यंत आवश्यक होता है। नेतृत्व अपने आत्मविश्वास के माध्यम से ही देश की समस्त जनता तक अपने विचार ले जाता है। वर्तमान में इस प्रकार के नेतृत्व गुणों के कारण ही देश की जनता उस नेतृत्व पर पूरा भरोसा रखती है। देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी वह इसी प्रकार के दुर्दम्य नेतृत्व क्षमता और कौशल्य वाले नेता हैं।

देश के नेतृत्व का आत्मविश्वास दो तरह से प्रकट होता है। एक अहंकार के माध्यम से प्रगट होता है। मैं ही सब कुछ हूं, यह एक विचार अहंकार भाव में होता है। और दूसरा नेतृत्व इस प्रकार का होता है जो विचारधारा के माध्यम से निर्माण होता है। मैं जिस राष्ट्र विकास की विचारधारा को लेकर चल रहा हूं, वह विचारधारा सत्य पर आधारित है। वह विचारधारा सभी को न्याय देने वाली है। वह विचारधारा विश्व का कल्याण करने वाली है। इस प्रकार का विश्वास उस नेतृत्व के मन में होना अत्यंत आवश्यक है। अपने विचारों में भी इन बातों की स्पष्टता होनी अत्यंत आवश्यक है। अपने इन्हीं विचारों के कारण नेता अपनी कृति से समस्त मानव जाति को विश्वास देने में योग्य साबित होता हैं।

भारत देश के 74वें स्वतंत्रता दिवस की उपलब्धि में लाल किले के प्राचीर से नरेंद्र मोदी ने दिया हुआ भाषण समस्त भारतीयों को, समस्त मानव जाति को आश्वासित करने वाला था। भारतीय विचारधाराओं में विश्वात्मकता की जो गहराई है, उन गहराइयों को स्पष्ट करने वाला था। नरेंद्र मोदी जी ने आत्मनिर्भर भारत का सपना देश को दिया हुआ है। आत्मनिर्भर भारत के सपने में किसी अन्य देश का द्वेष नहीं है। किसी को नीचे गिराने का मनोदय नहीं है। आत्मनिर्भर भारत में समस्त व्यक्ति के साथ संपूर्ण देश को आत्मसम्मान से जीने के योग्य बनाने का संकल्प है। जब व्यक्ति एवं समाज आत्मनिर्भर बन सकता है, वही दूसरों के हितों की रक्षा करने के विचार कर सकता है। इसी कारण भारत आत्मनिर्भर बनने पर विश्व के मंगल कामनाओं के संदर्भ में अपनी सोच और बढा सकता है।

देश हितों से जुड़ा अपना जो अधिष्ठान है, उस अधिष्ठान की प्रेरणा को लेकर नेतृत्व विकसित होते हैं। नरेंद्र मोदी जी का नेतृत्व भी इसी प्रकार से विकसित हुआ है। नेतृत्व गुणों से अपने निहित कार्य के संपन्न होने के संबंध में भागवत गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है….

अधिष्ठानं तथा कर्ता करणं च पृथविगधम् ।
विविधाश्च पृथकचेष्टा दैवं चैवात्र पंचमम्॥

भागवत गीता में मअधिष्ठानफ यह शब्द आया हुआ है। इस अधिष्ठान शब्द का देश के गणमान्य ऋषि-मुनियों और विचारकों ने अपने अपने तरीके से अर्थ लगाने का प्रयास किया है। देश के संदर्भ में जब हम सोचते हैं तो ‘अधिष्ठान’ इस शब्द का अर्थ इस प्रकार से स्पष्ट होता है कि, देश की प्रेरणा, देश का सिद्धांत, देश का संकल्प इन सारे विषयों को पूर्ति तक ले जाने वाला एक ऊर्जा स्रोत होता है। कार्य की नीव से लेकर कलश तक, प्रारंभ से लेकर अंत तक जो विचार या सैद्धांतिक कल्पना अपेक्षित है। उसे ही ‘अधिष्ठान’ कहते हैं। उसी के प्रकाश में देश का विकास होता है। अपनी उन्नत विचारधारा के संकल्पों के अधिष्ठान के कारण ही नरेंद्र मोदी जी प्रतिबद्धता और लगन से अपने नियत कार्य में जुटे दिखाई देते हैं। राष्ट्र को परम वैभव तक ले जाने और वैश्विक सुख की धेय्यवाद को लेकर हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कार्यमग्न हैं।
नरेंद्र मोदी जी के विचारों में राष्ट्र हित सर्वोपरि यह अधिष्ठान दिखाई देता है। जिस अधिष्ठान पर अपना विश्वास होता है उस विचारधारा पर समर्पित होकर हमें जीना पड़ता है। हमें जो भी कार्य करना है अपने अधिष्ठानौं से जुड़े हुए विचारों की पूर्णता के लिए करना है। नरेंद्र मोदी जी के संपूर्ण जीवन प्रवास को हम देखते हैं, तो नरेंद्र मोदी जी का संपूर्ण जीवन प्रवास यही कहता है। भारतीयता से जुड़े हुए जो अधिष्ठान के विषय हैं, उन अधिष्ठान के विषयों की पूर्ति करने के लिए मोदी जी ने अपना संपूर्ण जीवन समर्पित किया है। इसी गुण वैशिष्ट्य के कारण देश की जनता ने उन्हें प्रधानमंत्री पद बहाल किया है। जो सपना देश की जनता ने देखा उसे पूर्ण करने के लिए अपने विराट आत्मविश्वास से प्रयास करने वाला नेतृत्व देश की जनता को अपेक्षित था, जो आत्मविश्वास, इमानदारी से चले, अपने सभी सहयोगीयों को साथ लेकर चले और देश की जनता के मन में विश्वास निर्माण करें। जिसके हाथ में हमने देश की कमान दी है वह पूरी लगन और आत्मविश्वास के साथ देश को चला रहा है। नरेंद्र मोदी जी के पूरे व्यक्तित्व, उनके नेतृत्व की गुणवत्ता, उनके मुख से प्रस्तुत होने वाला संबोधन और उनकी प्रत्यक्ष कृति को जब हम देखते हैं तो देश की जनता को जो चाहिए वे सभी बातें नरेंद्र मोदी देश के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं। नरेंद्र मोदी जी की हम किसी नेता के साथ का तुलना करने का प्रयास नहीं कर रहे। लेकिन देश का नेतृत्व कैसा होना चाहिए? तो देश की जनता को विश्वास देने वाला होना चाहिए। उसकी चाल में, उसकी वाणी में, उसकी प्रत्यक्ष आकृति में चैतन्य होना अत्यंत आवश्यक है। जो बात वे बोलते हैं, जो आश्वासन वे देते हैं उसे वे पूरा करते हैं।

यह बात देश की जनता के मन में एक बार बैठ गई कि हमारा नेतृत्व जो बोलता है उसे सार्थक भी करता है, तो देश की जनता अपने देश के ऐसे नेतृत्व के विचारों को सुनना चाहती है। कोरोना संक्रमण के कालखंड, साथ में चीन की विस्तारवादी नीति से देश की सीमाओं पर उत्पन्न तनाव और आर्थिक संकट के समय में देश की जनता स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में देश के प्रधानमंत्री का संबोधन सुनने के लिए लालायित थी। 15 अगस्त को लाल किले के प्राचीर से प्रधानमंत्री ने दिया हुआ भाषण जनता ने पूरी तरह से सुना है। उनके उदबोधन को सुनने के बाद देश की जनता के मन में एक चैतन्यमय आत्मविश्वास निर्माण हुआ है। 15 अगस्त के संबोधन के बाद समाज के विभिन्न क्षेत्रों में चैतन्य का माहौल महसूस हो रहा है। चर्चा इस प्रकार है कि इसके पहले कभी इस प्रकार से आत्मविश्वास से भरा हुआ संबोधन लाल किले की प्राचीर से हमने सुना नहीं है। उनके नेतृत्व गुणों की सकारात्मकता यह भी है। वे एक महान नेता है। वे महान नेता इसलिए हैं कि वे जानते हैं कि संकट के समय किस प्रकार से देश के सम्मुख उपस्थित रहना चाहिए। जो नेतृत्व संकटों को अपने सीने पर लेता है और उन संकटों में भी विकास के अवसरों को ढूंढ़ निकालता है, वही महान नेता होता है। कोरोना यह वैश्विक संकट है। लेकिन उन संकटों में छुपे अवसरों को नरेंद्र मोदी जी ने ढूंढ़ निकाला है। वह कोरोना को लेकर रोते नहीं बैठे।

नरेंद्र मोदी जी ने अपनी कार्यपद्धति का ढांचा इस प्रकार से बनाया हुआ है जिसमें समाज और राष्ट्र समर्पित शिक्षा प्रणाली, देशभक्ति से पूर्ण, जातिभेद विरहित, समता युक्त प्रगति की राह पर मार्गक्रमण करने वाला भारतीय समाज निर्माण करने का विश्वास प्रदर्शित होता है। हम देखते हैं कि अनेक नेता आदर्शवाद की केवल ऊंची ऊंची उड़ानें भरते हैं। असल में जमीन की वास्तविक स्थिति उनकी आंखों से ओझल हो जाती है। लेकिन नरेंद्र मोदी जी का व्यक्तित्व जमीनी स्थिति से उलझने का है। देश का सच्चा नेता योग्यता और क्षमताओं से भरा हुआ होता है। इस प्रकार का नेता समाज को अपने से ज्यादा दूर नहीं महसूस होता। वह समाज मन में अपने संदर्भ में अपनत्व और विश्वास का भाव निर्माण करता है। समाज को ऐसा लगता है कि वह हमारे दो कदम ही आगे चल रहा है। अपने इस आदर्श गुणों के कारण ही नरेंद्र मोदी अपने विचारों को बड़ी मात्र में सर्वदूर पहुंचा सकते हैं। नरेंद्र मोदी ऐसे आदर्शवादी नेता हैं जो सिर्फ मौखिक मार्गदर्शन नहीं करते हैं। जैसी वाणी उस प्रकार की कृति के व्यवहार से ही अपनी मूल्यनिष्ठा की प्रेरणा समाज को देते हैं। उनकी एक ही आवाज से देश की जनता में प्रेरणा जागृत हो जाती है। नरेंद्र मोदी जी का प्रेरणामई जीवन करोड़ों देशवासियों में उज्ज्वल भविष्य की ओर मार्गक्रमण करने की प्रेरणा निर्माण करता है। उनके आदर्श व्यक्तित्व और आचरण के कारण उन्होंने इस प्रकार का वायुमंडल निर्माण किया हुआ है। इसी के कारण देश की करोड़ों जनता नरेन्द्र मोदी की दिखाई दिशा से जुड़ जाती हैं।

एक दृष्टि से इस प्रकार का आदर्शवादी नेता एक शक्तिकेंद्र है। जिस प्रकार से ठहरे हुए जलाशय में पत्थर पड़ा तो हलचल पैदा होती है, लहर का एक छोटा सा मंडल निर्माण होता है और फैलता है। इस बात को समझ कर हमें यह बात ध्यान में लेनी है। हमारा प्रभाव स्वयं से ही प्रारंभ होते हुए लहरों के रूप में फैलता हुआ जाता है। इस कारण अपने नेतृत्व का प्रभाव जोशीला होना अत्यंत आवश्यक है। केंद्र स्थान से उठी हुई ये लहरे किनारे तक पहुंचते-पहुंचते क्रमशः क्षीण होती जाती हैं। हमारा केंद्र स्थान जितना बलशाली और जोश से भरा होगा, लहर उसी की तुलना में सचेत और दमदार रहेगी। और किनारे पर उतनी मात्रा में असर निर्माण करेगी। इस प्रकार से नेतृत्व का प्रेरणा केंद्र और उससे निर्माण होने वाले प्रभाव में संबंध होता है। इस कारण नेतृत्व करने वाला नेता राष्ट्र संस्कारों से प्रभावित, प्रबल और देश हित के संबंध में विचार रखने वाला होना अत्यंत आवश्यक है। वर्तमान स्थिति में जब हम सोचते हैं तो हम अपने आपको अत्यंत सौभाग्यशाली मानते हैं कि भारत को नरेंद्र मोदी जैसा नेतृत्व प्राप्त हुआ है। एक ऐसा नेतृत्व जिसका अधिष्ठान राष्ट्र विचारों से जुड़ा हुआ है।
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