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अग्रवाल समाज का विधिविधान

अग्रवाल समाज का विधिविधान

by हिंदी विवेक
in मार्च २०१2, सामाजिक
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आरंभ से अंत तक अग्रवाल समाज का विधिविधान
जन्म होने पर किये जानेवाले विधी एवं प्रसंग वर्णन

न्हावन पुजा का सामान :
कुमकुम, चावल, हल्दी, गुलाल, पान, सुपारी, खारिक, खोबरा, बदाम, गेहूँ, चांवल, लाल सुपारी, सफेद कपडा, लाल कपडा, पाटा, कलश के लिए लोटा, नारियल, रेती, समीधा गोबरी, घी, राखियाँ, गुड, निरंजनी, मोती, लापसी, चावल, सतीया के लिए गोवर या कुंकू।
एक तरफ सतियां मांडना, एक तरफ छाबडी, सतियां के दो साडी रखना अंगूठियां रखना, छाबडी पर सवा रुपया चिपकाना। जापायती को सूरज भगवान के दर्शन कराना और लडका हुआ तो तणी बांधना।

जलवा पुजा का सामान : घडा, नीम की डाली, पापड़, बडी, साडी, ब्लाऊज, पान-सुपारी, गुड, घुंगरी, मुंग हल्दी, कुमकुम, चावल, मोली। कुंवा पुजने की साम्रगी-पापड, बडी, हल्दी, कुंकू, मुंग, चावल, पान-सुपारी, पानी का गड़वा, कपड़ा।

जापे में लगने वाला सामान :
अजवाइन, सुट, घी, बादाम, खारक, खोबरा, गोंद, पिसी शक्कर, शहद, एरंडी तेल, कायफल, ऐरंड, पिपला मुल, स्याही की दवात (कलम-बोरु), कोरा कागज, जायपत्री, लौंग, लाल सुपारी, सौंफ, कस्तुरी की गोल्या, बावडिंग बालाती शोप।

जापायती का खाने का सामान
अजवाइन का पानी :- पहले अजवान को खुब उकाल देना फिर उसमें घी डालकर हलाकर दे देना।

गोंद की रवि : गोंद घी में तल लेना। तले हुये गोंद में और घी में गरम पानी डालकर उकली आये तब तक होने देना बाद में शक्कर डालना।

अजवान-सामान :- पिसी अजवान, गुड, किसा खोबरा, गोंद, पिसी खारक, कतरे हुये बदाम, घी, पहले घी में गोंद तल लेना। फिर घी में अजवान सेक लेना और सभी सामान मिलाकर आखरी में गुड डालना।

गोंद सुठ के लड्डू-सामान :- सुठ आधापाव, गोंद, खोबरा किसा, किसी खारक, कतरे हुये बदाम, घी, गेंहू का आटा, पिसी शक्कर। पहले घी में गोंद तल लेना। फिर घी अच्छा डालकर आटा सेंक लेना। थंडा होने के बाद उसमें सुठ, बादाम, खारक, खोबरा, गोंद सभी डालकर थंडा करने रख देना। थंडा होने के बाद पिसी शक्कर डालकर लड्डू बना लेना।

पिपला मुल : 1 तोला पिपला मुल कुट लेना फिर उसके तीन भाग कर लेना एक पुडी पाची के दिन गुनगुना पानी करके देना ऊसके पर थोडे से बदाम भी खाने को देना दुसरे दिन न्हिलान नही। 1 पूडी न्हावन को, 1 पूडी जलवा को इसी प्रकार देना।

खसखस का सिरा : खसखस, बदाम अलग अलग रात मे भिगों देना। सुबह दोनो चिज को बाय लेना। अच्छे घी मे सेक लेना। गरम दूध सिख जाने के बाद डाल देना। फिर शक्कर मिला देना।

जापाकी सुपारी :
सामान-सोप, लाल सुपारी, जायफल, जायपत्री, लौग, खरबुज बीज।

विधी : सोप सेक लेना/लाल सुपारी बारीक कुटा लेना। जायफल जयपत्री, लौग को थोडा सा सेक लेना। फिर उसे कुट लेना। सोप को उधर कच्ची पिस लेना। पहले कढई में हलकी सी सुपारी सेक लेना। फिर सामान डाल देना। आखरी में बीज मिलाना।

धुनी का सामान : लसन के छिलके ज्वारी का आटा, वावडिंग, थोडी सी अजवान, बाळशेप, राळ, वायकुंबा।

घुटी का सामान :
बादाम, जयपल, मुरडशेंगा, हल्दी, आम की कोई, केशर कस्तुरीक की गोली, मायफल।
मुरडशेग-बच्चे के पेट में मरोडे आते है तब केशव जायफल-सर्दि के लिए।

हल्दी- सर्दी, खाँसी के लिए बदाम- ताकद के लिए खारक-ताकद और भूक बढाने के लिए कस्तुरी की गोली-सर्दि के लिए आम की कोई-संडास बंद होने के लिए जायफल-घुटी में देते है।
हल्दी- हल्दी को दूध के साथ देते है।

अंगको लगाने का सामान : कडू जीरा, आंबी हळद, बाळशेप एक जैसे प्रमाण मे लेके कुटकर मैदे के चालणीसे छानकर 6,8 दिनसे पाणी मे शिजाकर अंगको लगावे। शामको खोबरे तेल की मालिश करें। राममें सीर में कायफल (कुटके मैदे के चालणी से छान लें) गाय के घी साथ साथ माथे में भर लें।

विवाहादी प्रसंगोपर ध्यान रखने योग्य बाते एवं व्यवस्थापन सूचि
(साभार-संकलन-श्रीमान सांवरमलजी केदारनाथजी मोदी, गोंदीया, महाराष्ट्र, द्वारा-अग्रसेन सेवा समिती, परिचय पुस्तिका, पुणे.)
1 लडका-लडकी सगाई :- पहले वर पक्ष कन्या की गोद (झोला) भरेंगे। तत्पश्चात् कन्या पक्ष वर की गोद भरते है। सगाई के पश्चात् मिलनी का कार्यक्रम होता है।

व्यवस्थाएँ : बैठने की व्यवस्था, बर्तन/क्राँकरी की व्यवस्था, नाश्ता-चाय/शरबत

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