महाराष्ट्र का विनोदी लोकनाट्य : तमाशा

Continue Readingमहाराष्ट्र का विनोदी लोकनाट्य : तमाशा

लोककला को महाराष्ट्र में मूल्यवान वैभव की तरह सम्हाल करके रखा गया है। यहां इन कलाओं का उद्भव ग्रामीण-लोकरंजन और ज्ञानोपदेश के लिए हुआ। यद्यपि कुछ लोक कलाएं धार्मिक व आध्यात्मिक आस्था से भी जुड़ी हैं।

गुरु-भक्त स्वामी विवेकानंद

Continue Readingगुरु-भक्त स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद मुस्कुराये और पाद वन्दन करते हुए विनीत भाव से बोले ‘‘गुरुवर! आप ही ने तो नरेन्द्र को विवेकानंद बनाया था। आप जैसे गुरु का पारस स्पर्श था, जो आपके समक्ष है। आपकी ही प्रेरणा से मैं यहां तक पहुंचा हूं।...’’

बदलती आबोहवा और जल संकट

Continue Readingबदलती आबोहवा और जल संकट

अनुमान है कि इस सदी के मध्य तक अधिक ऊंचाई वाले स्थानों पर अधिक वर्षा होगी। यह अतिरिक्त पानी बह कर सागर में चला जाएगा। कुछ जगह बेहद बारिश होगी तो अन्य जगह बारिश का अभाव होगा। इससे 2050 तक पानी का संकट बढ़ने की संभावना है।

‘कोलावरी डी’ फयूजन या कंफयूजन?

Continue Reading‘कोलावरी डी’ फयूजन या कंफयूजन?

बेहद अमीर हो या सिग्नल पर भीख मांगने वाला गरीब हो, बालक हो या युवा हो, महिला हो या पुरुष हो सभी ‘कोलावरी डी’ गाने पर ठुमका लगाते हुए दिखाई देते हैं। पिछले तीन माह में इस गाने ने सब को मानो पागल कर दिया है।

बारहसिंगा

Continue Readingबारहसिंगा

कैलाश सांखला नामक वन्यप्राणी वैज्ञानिक ने बारहसिंगा की गणना की थी। तब 1977 में कान्हा में उनकी संख्या 130‡140 थी। 1930 में यह संख्या 3 हजार थी। काजीरंगा में लगभग 250 व दुधवा में 3 हजार बारहसिंगा थे।

कम मुनाफा – ज्यादा टर्नओवर

Continue Readingकम मुनाफा – ज्यादा टर्नओवर

‘ग्राहक ही व्यापार, ग्राहक ही मुनाफा’ यह सूत्र ध्यान में रखना चाहिए। ग्राहक को संभालिए, उद्योग संभलता जाएगा। ‘कम मुनाफा अधिक व्यापार’ यह सूत्र उत्पादक और ग्राहक दोनों के लिए फायदे का होता है।

उपभोक्ता कानून के तहत न्याय व्यवस्था

Continue Readingउपभोक्ता कानून के तहत न्याय व्यवस्था

उपभोक्ताओं को शीघ्र और सस्ते में न्याय दिलाने के लिए उपभोक्ता संरक्षण कानून 1986 के तहत तीन स्तर पर न्यायिक मशीनरी यानी उपभोक्ता अदालतें स्थापित की गई हैं।

इतिहास-सत्य का अनावरण करती पुस्तक

Continue Readingइतिहास-सत्य का अनावरण करती पुस्तक

कन्नड़ के प्रसिद्ध उपन्यासकार डॉ. एस. एल. भैरप्पा ने ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर महत्वपूर्ण उपन्यास ‘आवरण’ की रचना की है। मूलत: कन्नड़ के इस उपन्यास के दो वर्षों में ही तेईस संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं।

भाषा की होली

Continue Readingभाषा की होली

होली की भाषा और भाषा की होली दोनों में हम माहिर हैं। होली की भाषा की खासियत यह है कि वह बिना किसी के सिखाए आ जाती है और भाषा की होली खेलना इस बहुभाषी देश की फितरत बन गई है। आइये तीन किस्से सुनाए देते हैं-

अपनी क्षमताओं को पहचानें

Continue Readingअपनी क्षमताओं को पहचानें

हर मनुष्य के जीवन में अनेक बार कठिन क्षण आते हैं। यदि वह सूझबूझ से काम ले तो वह हर परिस्थिति को अपने अनुकूल बनाकर अपने जीवन को सार्थक बना सकता है।

नेता गढ़नेवाला शिल्पकार

Continue Readingनेता गढ़नेवाला शिल्पकार

डॉक्टर साहब का जीवन ऐसा था कि जितना उनके बारे में सोचे उतने नये नये पहलू ध्यान में आते हैं। परिस्थितियां बदलती रहती हैं और नयी परिस्थिति के संदर्भ में कल जो बात ध्यान में नहीं आयी वह बात ध्यान में आती है। डॉक्टर साहब का एक नया दर्शन हो जाता है।

शिव राज

Continue Readingशिव राज

शिवाजी महाराज की जयंती तिथि के अनुसार फाल्गुन कृष्ण व्दितीया को अर्थात 10 मार्च को पड़ती है। इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण।

End of content

No more pages to load