इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठ आजादी के महायज्ञ में प्रथम आहुति दी अग्रवंशी ने

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यह तो सभी जानते हैं कि स्वाधीनता प्राप्ति के बाद अग्रवाल समाज का राष्ट्र के नव निर्माण व विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है मगर इस ऐतिहासिक तथ्य से कम ही लोग अवगत हैं कि आजादी के महायज्ञ में अपने जानमान की प्रथम आहूति देने वाला महापुरुष महाराज अग्रसेन का ही वंशज था।

मानवता के देवदूत अग्रसेन-गांधी-लोहिया

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अक्टूबर का महीना जहां नवरात्रे तथा दशहरा के लिए महत्वपूर्ण है वहीं यह महीना 3 महान विभूतियों की स्मृति भी कराता है। प्रथम नवरात्रै 12 अक्टूबर महाराजा अग्रसेन की जयंती पर्व है।

अग्रवाल समाज का विधिविधान

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हल्दी- सर्दी, खाँसी के लिए बदाम- ताकद के लिए खारक-ताकद और भूक बढाने के लिए कस्तुरी की गोली-सर्दि के लिए आम की कोई-संडास बंद होने के लिए जायफल-घुटी में देते है।

अग्रवाल एक जाति नहीं, सांस्कृतिक आंदोलन है

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कुछ लोग या समाज ऐसे होते हैं जो अपने अतीत के गौरव को गाकर अपना गुनआन करते रहते हैं। कुछ ऐसे होते हैं जो अपने वर्तमान पर जिंदा रहते हैं। किंतु अग्रवाल समुदाय देश का ऐसा समाज है जिसका अतीत भी गौरवशाली रहा है और वर्तमान भी देश में अपना एक विशेष स्थान बनाये हुए है।

अग्रे-अग्रे अग्रवाल

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वैश्य किसी भी राष्ट्र के आधार होते है। भारतीय राष्ट्र के निर्माण में भी इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था के तो ये आधार है। कृषि, गोरक्षा, वाणिज्य इनके प्रमुख कर्तव्य माने गए थे।

अग्र-अग्रसेन-अग्रोहा की कुलदेवी माँ महालक्ष्मी

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लक्ष्मी सृष्टि नियंता भगवान विष्णु की पत्नी हैं। वह क्षीरसागर शायिनी हैं। समुद्र से उत्पन्न इस सृष्टि का सबसे श्रेष्ठ रत्न हैं। जब-जब इस पृथ्वी पर भगवान का अवतार होता है, वे उनके साथ अवतरित होती हैं। वे जगादाधार शक्ति का साक्षात् रूप है। उनके रूप-ऐश्वर्य एवं स्वरूप का वर्णन करते हुए कहा गया है-

धर्मधुरंधर महाराजा अग्रसेन

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दिव्य ज्ञान का प्रकाश सारे विश्व में सर्वप्रथम धर्म-भूमि भारत से ही विस्तारित हुआ। भारत-भूमि सदैव ही अवतारों और महापुरुषों की जन्म और उनकी क्रीडा-स्थली के रुप में विख्यात रही है।

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