‘ग्राहक ही व्यापार, ग्राहक ही मुनाफा’ यह सूत्र ध्यान में रखना चाहिए। ग्राहक को संभालिए, उद्योग संभलता जाएगा। ‘कम मुनाफा अधिक व्यापार’ यह सूत्र उत्पादक और ग्राहक दोनों के लिए फायदे का होता है।
उद्योग- व्यवसाय करने के लिए जो अलग-अलग प्रेरणा स्रोत हैं, उनमें से महत्व की प्रेरणा अर्थात आर्थिक लाभ की है। सामान्यत: नौकरी करनेवाला व्यक्ति अपने मालिक के लिए, कंपनी के लिए जितना समय देता है, जितना श्रम करता है, जो कौशल उपयोग करता है, वह सब वह स्वयं के उद्योग-व्यवसाय के लिए करें तो उद्यमी उतने समय में नौकरी करनेवाले व्यक्ति की अपेक्षा निश्चित ही ज्यादा कमाई कर सकता है। यह कमाई अत्यंत ईमानदारी से और गलत रास्तों पर निर्भर न होकर की जाती है, यह आपने पिछले सूत्र में देखा। उसी प्रकार प्रत्येक उद्योग में ‘ईमानदारी की कमाई’ होती है, यह भी हमने देखा। अब इसके बाद का प्रश्न- कोई भी शॉर्टकट न अपना कर, ईमानदारी से उद्योग करने पर उसमें से कितना मुनाफा होना चाहिए?
किसी भी उद्योग-व्यवसाय में मुनाफे का स्तर अनेक बातों से निर्धारित होता है। आप जिस कच्चे माल का उपयोग करते हैं उसकी कीमत, बाजार से दूरी, आपके उत्पाद का स्वरूप (नष्ट होने वाला या टिकाऊ), बाजार में मांग, आपके प्रतिस्पर्धी और उनके उत्पाद ऐसी अनेक बातों पर आपके मुनाफे की मात्रा निर्भर होती है। साथ ही आपका दृष्टिकोण, मुनाफे के बारे में आपकी नीति यह सबसे महत्वपूर्ण होती है। मुनाफा कितना होना चाहिए, यह अंत में उद्यमी को ही तय करना होता है।
टर्नओवर थोड़ा कम हुआ तो चलेगा लेकिन मुनाफा ज्यादा होना चाहिए, ऐसा विचार अनेक नये उद्यमियों के मन में निश्चित ही आता है। कम से कम समय में ज्यादा मुनाफा लेने पर उद्योग में लगा मूल धन मुक्त हो जाएगा, इस विचार से कम टर्नओवर में ज्यादा मुनाफा कमाने का सूत्र अपनाने का मोह अनेक लोगों को होता है। परंतु जैसा कि पहले बताया है उद्योग-व्यवसाय में ‘झटपट’ कुछ नहीं होता है। इसीलिए कम टर्नओवर ज्यादा मुनाफा यह सूत्र बहुत कम समय तक लाभदायक हो सकता है। आज हर क्षेत्र में बहुत तीव्र स्पर्धा है। साथ ही ग्राहक अधिक सतर्क, जानकार और जागरुक हुए हैं। शुरुआत में नये उत्पाद के नाम पर शायद ग्राहक थोड़ी ज्यादा कीमत देने के लिए तैयार हो सकता है, पर बाद में वह दूसरे कम कीमत के उत्पाद की तरफ जाता है। इसीलिए बाजार में टिके रहने के लिए मुनाफे के बदले ज्यादा व्यापार करने पर जोर देना अधिक हित में होता है। शायद आपके उत्पादन के दर्जे, उसकी उपयोगिता से ग्राहकों के सीमित हिस्से में वह स्वीकार भी किया जाएगा लेकिन व्यवसाय वृध्दि के लिए आवश्यक है ग्राहकों का सतत बढ़ता दायरा। आज पर्यटन, भवन निर्माण, घरेलू वस्तुओं का निर्माण, खाद्य पदार्थ, इलेक्ट्रॉनिक सामान, फर्नीचर, कपड़ा, सौंदर्य-प्रसाधन जैसे हर क्षेत्र में ग्राहकों को अपनी तरफ खींचने के लिए और टिकाने के लिए अनेेक प्रयत्न करना होता है। ऐसी परिस्थिति में ‘कम मुनाफा और ज्यादा टर्नओवर’ यह सूत्र आपके उद्योग- व्यवसाय को आगे बढ़ा सकता है। पहली बार में यह सूत्र कुछ लोगों को कुछ पुराना, कालबाह्य लगेगा और इस सूत्र से उद्यमी को कम आर्थिक लाभ होगा ऐसा भी लगेगा। पर अपने अनुभव से मैं भरोसे से बताना चाहता हूं कि यदि आपको लंबे समय तक चलनेवाला उद्योग करना है तो ‘कम मुनाफा और ज्यादा टर्नओवर’ यह सूत्र ही सवोत्तम है। जैसे-जैसे आपका टर्नओवर बढ़ने लगता है वैसे वैसे उस उत्पाद पर आपका ऊपरी खर्च कम होने लगता है। बढ़ते उत्पादन के लिए आप उच्च दर्जे का कच्चा माल अधिक रियायतों पर प्राप्त कर सकते हैं। ग्राहक-वर्ग बढ़ते रहने पर उनसे अपने आप आपके उत्पादन का, सेवा का प्रचार होने लगता है। यह ‘मौखिक प्रचार’ आपके उत्पादन को एक प्रकार से विश्वास और वजन दिलाता है। आपके उत्पादन के प्रचार का खर्च थोड़ा कम करने पर भी चलता है, मतलब मुनाफा कम करके व्यापार बढ़ाने का प्रयत्न करने पर कुछ समय में अपने आप ऊपरी खर्च कम होकर मुनाफे की मात्रा बढ़ती दिखती है। इसके लिए आपको उत्पादन की कीमत बढ़ाने की जरूरत नहीं होती है, मतलब ग्राहकों को वही दर्जेदार उत्पाद कम कीमत में देकर भी आपका मुनाफा बढ़ सकता है। उसके लिए थोड़ा संयम और निरंतर प्रयत्न करना होता है, ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों तक पहुंचने का प्रयत्न करना चाहिए। आपको मुनाफा ग्राहक ही देने वाले हैं, उनकी संख्या जितनी ज्यादा होगी, उनको जितना संतोष मिलेगा, उतना आपका मुनाफा भी बढ़ता जाएगा। कम कीमत में अच्छी वस्तु मिलने से ग्राहकों को होनेवाला आनंद, उनका आशीर्वाद आपके उद्योग को बढ़ाने में बहुत बड़ा हिस्साा निभाता है। उनकी सदिच्छा ही बहुत बड़ा मुनाफा होता है। ‘ग्राहक ही व्यापार, ग्राहक ही मुनाफा’ यह सूत्र ध्यान में रखना चाहिए। ग्राहक को संभालिए, उद्योग संभलता जाएगा। ‘कम मुनाफा अधिक व्यापार’ यह सूत्र उत्पादक और ग्राहक दोनों के लिए फायदे का होता है, इसे न भूलिए।