बिहार-पटना के पाटलीपुत्र क्रीडा संकुल में महिला विश्वचषक कबड्डी स्पर्धा 2 मार्च से 4 मार्च 2012 तक संपन्न हुई। बिहार राज्य स्थापना दिन के अवसर पर बिहार कबड्डी असोसिएशन की ओर से इस स्पर्धा का आयोजन किया था। बिहार राज्य स्थापना के शताब्दी वर्ष के अवसर पर पहिली महिला विश्वकप कबड्डी स्पर्धा में रविवार दि. 4 मार्च 2012 को अंतिम मुकाबले में ईरान को 25-19 से हराकर भारत की महिला कबड्डी टीम विश्वविजेता बन गयी और भारत का तिरंगा फिर उंचाइयों के आसमान पर लहराया।
भारत, ईरान, इंडोनेशिया, जापान, बांग्लादेश, थायलैण्ड, दक्षिण कोरिया, श्रीलंका, तायवान, मलेशिया, इटली, मेक्सिको, कनाडा आदि 16 देशों ने इस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था।
ईरान के खिलाफ फायनल मुकाबला खेलते वक्त भारत की महिला खिलाड़ी ‘खूब लड़ी मर्दानी’ के आवेश में रुद्रावतार धारण कर खेल रही थीं। ईरान के खिलाडियों ने भी पूरी ताकत के साथ संघर्ष किया। टॉस भारत ने जीता। महाराष्ट्र की सुवर्णा बारटक्के ने पहली चढाई में पहला अंक प्राप्त कर भारत की जीत का शुभशकुन किया ईरान की गजला ने बोनस अंक प्राप्त कर बराबरी साधी। ईरान की महिला खिलाड़ी ऊंचाई और शारीरिक गठन में मजबूत, भारत के लिए चुनौती की दीवार बारबार खड़ी कर रही थी।
2010 में चीन के गुवांग झाऊ के एशियाई क्रीडा प्रतियोगिता में ईरान की महिला कबड्डी टीम ने अपने जुझारू खेल का परिचय दिया था। इसलिए भारत की महिला कबड्डी टीम सावधानी से खेल रही थी। पहले दांव में भारत ने ईरान पर एक लोन चढाकर हाफ टाइम तक 1911 की बढ़त हासिल की थी। दूसरे दांव में भारत ने धीमा खेल किया। भारत ने 25 अंकों में 15 अंक चढाई के (जिनमें 2 अंक बोनस) 2 अंक एक लोन के और 8 अंक पकड के थे। ईरान ने कुल 19 में से 13 चढाई के (जिनमें 6 बोनस के) 6 अंक पकड़ के थे।
भारत की संघनायिका 5 फुट 10 इंच ऊंचाई की ममता पुजारी ने सर्वाधिक 8 अंक (1 बोनस) कमाये। ईरान ने तीन बार उनकी मजबूत पकड़ से ममता को पकड़ा था। ईरान की सालिमेह अब्दुल्लालक्ष ने केवल दो खिलाड़ियों में भी ममता की गजब की पकड़ कर दिखायी। हिमाचल प्रदेश की प्रियंका नेगी और रेल्वे की अभिलाषा म्हात्रे में से हरेक ने तीनतीन अंक प्राप्त किये। बायीं मध्यरक्षक प्रियंका ने 5 लाजबाब पेड़ से दर्शकों की वाहवाही लूटी। दायां कोना संभालनेवाली कविता देवी ने 3 आकर्षक पकड़ कीं और सराहना की पात्र बनीं। भारत की उपकप्तान पुणे की दीपिका जोसेफ ने भी शानदार खेल किया।
ईरान की गजल खलाज ने अपने चतुराईपूर्ण खेल से चढाई के 7 अंक (जिनमें 3 बोनस) अंक अर्जित किये। सालिमेह अब्दुल्ला और सेदिगेह जाफरीकेलामकेल ने भी ईरान की टीम का शानदार खेल दिखाया।
भारत में कबड्डी खेल की परंपरा बहुत पुरानी है। कबड्डी के इतिहास के बारे में यह कहा जाता है कि यह चार हजार साल पुराना खेल है। भगवान श्रीकृष्ण भी यह खेल खेल चुके हैं। कबड्डी कुश्ती के बहुत नजदीक है। यह खेल उच्च श्रेणी का फुर्तीला खेल है। कबड्डी भारतीय संस्कृति का सब से पुराना खेल है। इस खेल मे ताकत और समय पर निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है। इस खेल से सांस लेने की क्षमता बढती है, दिमाग चुस्त होता है, डर भाग जाता है और साहस की प्रवृत्ति बढ़ती है। खिलाड़ी फुर्तीला बन जाता है।
यह संतुलन, फुर्ती और शक्ति का खेल है। महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश में ‘हुतूतू’, कठियावाड कच्छ में ‘बाडी बाडी’, तमिलनाडु व कर्नाटक में ‘चीडू गुडु’, ‘चेढ चिट गुडु’, बंगाल में डोन्डो, केरल में ‘वडीकली’, उत्तर भारत और पाकिस्तान में ‘कबड्डी’, बांग्लादेश में ‘डून्डू’, श्रीलंका में ‘गुरुथी चूब’, इंडोनेशिया में ‘थी चूब’, नेपाल में ‘सुरा सुरा’, ‘डून्डू’, मलेशिया में ‘चेडू गर्ड’, पंजाब में ‘झबर गनान’ इन विविध नामों से यह मैदानी खेल खेला जाता है।
आजकल यह खेल मैट पर स्पोर्टस् शूज पहनकर खेला जाता है। 1982 में दिल्ली में नवम् एशियाड में कबड्डी के प्रदर्शनीय अंतरराष्ट्रीय मुकाबले आयोजित किये थे। भारत की पुरुष और महिला दोनों टीमें एशिया
ड की सुवर्णपदक विजेता टीमें हैं। अब ऑलिपिंक की ओर यह खेल बढ़ रहा है। यशवंतराव चव्हाण, शरद पवार, बुवा सालवी, अजित पवार आदि महानुभावों ने इस खेल को अंतरराष्ट्रीय खेल बनाने के लिए जीतोड मेहनत की। कबड्डी भारत का पुरुष दल अब तक 1990 बीजिंग एशियाड से उदांगझाऊ (चीन) के एशियाड तक कबड्डी का विश्वचषक सुवर्णपद विजेता रहा है। भारत की महिला कबड्डी टीम ने भी ग्वांगझाऊ (चीन) एशियाड में सुवर्णपदक जीता है।
‘कबड्डी’ खेल को भी क्रिकेट जैसा लोकप्रिय और महत्वपूर्ण खेल बनाने के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण और उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने महाराष्ट्र की तीन महिला कबड्डी खिलाड़ियों में से प्रत्येक को सुवर्णा बारटक्के, अभिलाषा म्हात्रे, दीपिका जोसेफ को एकएक करोड़ रुपयाेंं का पुरस्कार घोषित किया है तथा प्रशिक्षक रमेश भेंडगिरी को 25 लाख रुपयों का इनाम भी घोषित किया है। हर राज्य अपने खिलाडियों को इस तरह प्रोत्साहित करे तो देशी खेलों का भविष्य उज्ज्वल है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने तो इन खिलाड़ियों को ‘अ’ श्रेणी की शासकीय नौकरी देने की घोषणा भी की है जिससे कबड्डी खिलाड़ियों का हौसला और बढ़ गया है। खेल का विकास ही राष्ट्र का विकास है। कबड्डी के क्रीडा अधिकारी और खिलाड़ी तथा कबड्डी संगठन अनुशासन और बढाएं और ऑलिपिक की तैयारी करें।