चीनी शासन का क्रूरतम रुप, सरकार की आलोचना करने पर 18 साल की सज़ा

china's leader


वामपंथी, माओवादी, तानाशाही और शासन की ग़लतियों या मुखिया की लापरवाहियों को सामने लाना ही अपने आप में बड़ी गलती मानी जाती है। हर जगह केवल एक विचार, एक राय, एक नेता और एक चेहरा ही सभी पर थोपा जाता है और आज पूरा विश्व भी उसी तानाशाही के अड़ियल रवैया की गलती भुगत रहा है। चीन से शुरू हुआ कोरोना वायरस आज पूरी दुनिया के लिए महामारी बन कर मौत का तांडव खेल रहा है। यह महामारी सिर्फ चीन की कम्युनिस्ट माओवादी सरकार की गलत नीतियों की वजह से पूरी दुनिया में फैल रही है अगर सही समय पर इसकी जानकारी दी गयी होती तो यह पूरी दुनिया में कभी नहीं फैलता। चीन ने आज तक यह नहीं माना है कि कोरोनावायरस चीन से शुरु हुआ है बल्कि चीन की ग़लतियों को उजागर करने के आरोप में चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने एक डॉक्टर को रहस्यमय तरीके से मौत के घाट उतार दिया, इतना ही नहीं ना जाने और कितने ही ऐसे गुमनाम लोग हैं जिन्हें सच्चाई सामने लाने की सजा भुगतनी पड़ी है।

चीन में फिर एक ताजा मामला सामने आया है जब सरकार ने सत्ता के खिलाफ बोलने वाले एक बिजनसमैन को 18 वर्ष की सजा सुना दी गयी है और उन पर 4 मिलियन से अधिक का जुर्माना भी लगाया गया है। चीनी सरकार ने उन पर भ्रष्टाचार और पद के गलत इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया गया है इसके अलावा घुसखोरी और पब्लिक फंड के गबन का दोषी बताया है। चीन इस बड़े बिज़नेस टायकून को द कैनन के नाम से पुकारा जाता था वैसे इनका नाम रेन झिक़ियांग है।
रेन झिंकियांग काफी समय से कम्युनिस्ट सत्ता की आलोचना कर रहे थे क्योंकि रेन पहले कम्युनिस्ट पार्टी का हिस्सा रह चुके है जिससे वह सरकार की नीतियों को भलिभांति जानते है। रेन झिंकियांग ने कोरोना वायरस को लेकर भी चीनी सरकार पर हमला बोला था और उन्हे इस मामले में दोषी बताया था। रेन ने यह भी लिखा था कि चीन में शासन करने वाली कम्युनिस्ट पार्टी जिस तरह से फ्री स्पीच और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सख्त पाबंदी लगा रही है इससे कोरोना को बढ़ने में और मदद मिलेगी। इसके साथ ही इस बिज़नेस मैन यह भी दावा किया था कि चीन की कम्युनिस्ट सरकार उन लोगों को बुरी तरह से प्रताड़ित कर रही है जो लोग कोरोना वायरस से जुड़ी जानकारी लोगों तक पहुंचा रहे हैं। रेन ने यह भी आरोप लगाया था कि चीन की सरकार कोरोना वायरस के प्रकोप को पूरी दुनिया से छुपा रही है।


चीन के इस बिजनेसमैन ने अपने एक लेख में लिखा था कि चीन के नेता शी जिनपिंग एक सत्ता लोलुप क्लोन की तरह है हालांकि चीनी बिजनेसमैन की तरफ से लिखे गए लेख में कहीं पर भी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का नाम अंकित नहीं था लेकिन उनका लेख यह साफ-साफ बता रहा था कि यह सभी लेख कम्युनिस्ट सरकार के खिलाफ लिखा गया है और इसके बाद से ही बिजनेसमैन रेन की तकलीफें बढ़नी शुरु हो गयी क्योंकि उन्होने सत्ता के खिलाफ कुछ लिखने का साहस किया था।
चीन सरकार और चीन समर्थित दुनिया भर के वामपंथी माओवादी और मार्क्सवादी शी जिनपिंग को एक हीरो के रूप में देख रहे हैं लेकिन खुद चीनी समुदाय से लेकर चीनी प्रशासन के अधिकारी चीनी सरकार के इस रवैया से नाराज़ हैं और चीनी सरकार द्वारा लोगों की आवाज़ को दबाए जाने को लेकर गुस्सा है क्योंकि विश्व 20वीं सदी में किसी भी तरह से गुलाम नहीं रहना चाहता है। विश्व का हर नागरिक खुद को स्वतंत्र देखना चाहता है। चीनी बिजनेसमैन रेन भी पहले कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य थे लेकिन वर्ष 2016 में उन्हें शी जिनपिंग के प्रचार नीतियों की आलोचना करने के लिए 1 वर्ष तक निगरानी में रखा गया था। रेन ने इसके बाद सोशल मीडिया और माइक्रो ब्लॉगिंग के सहारे कई बार कम्युनिस्ट नीतियों की आलोचना की जिसके बाद चीन की कम्युनिस्ट माओवादी सरकार ने रेन पर गहनता से निगरानी रखी और उनके देश छोड़ने पर भी रोक लगा दी गयी। चीन की वामपंथी सरकार ने उन्हे देश के अंदर ही कैद कर दिया।
यह सभी को ज्ञात है कि चीन में मीडिया पर भी कम्युनिस्ट पार्टी का पूरा अधिकार है और मीडिया सरकार और शासक के खिलाप कुछ भी नहीं लिख सकती है। चीन के बिजनेसमैन रेन ने चीनी मीडिया की स्वतंत्रता पर भी टिप्पणी की थी। वर्ष 2016 में लिखे अपने एक लेख में रेन ने लिखा था कि चीनी मीडिया को आम जनता की सेवा करनी चाहिए ना कि शी जिनपिंग के कम्युनिस्ट पार्टी की। ऐसी कई घटनाएँ सामने आयी है जब सरकार के खिलाफ लिखने की उन्हे सज़ा मिली है।


चीनी बिजनेसमैन टायकून के अलावा शी जिनपिंग हाल के दिनों में कई बड़े चीनी बुद्धिजीवियों और एक्टिविस्ट समूह के निशाने में आए हैं जिसका सबसे बड़ा कारण है कि चीन लगातार दुनिया भर के वामपंथी प्रोपेगेंडा मशीन के द्वारा अपने किए गए कर्मों पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहा है। बीजिंग में लॉ के प्रोफेसर झू झाग्रेन ने अपने लिखे लेख में चीन की कम्युनिस्ट सरकार की आलोचना करते हुए लिखा था, इस महामारी ने चीन के शासन के खोखले को उजागर कर दिया।

उपरोक्त सभी घटना बताती है कि कैसे चीन लगातार अपनी गलतियों ढकने के लिए क्रूरता का सहारा ले रहा है। चीनी सरकार की गलतियों को छुपाने के लिए पहले एक डॉक्टर को मार दिया गया क्योंकि उसने कोरोना की सच्चाई बाहर लाने की कोशिश की थी। इसके बाद एक चीनी बिजनेसमैन को शी जिनपिंग की आलोचना करने पर 18 साल की सजा सुनाई गई है और सरकार की सच्चाई दिखाने पर एक एक्टिविस्ट को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। चीन में यह सब उस समय हो रहा है जब दुनिया भर के कम्युनिस्ट मार्क्सवादी और माओवादी भारत जैसे लोकतंत्र में फ्री स्पीच और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात करते हैं लेकिन हजारों मौतों और लाखों करोड़ के वैश्विक नुकसान के बाद भी चीन का समर्थन करते हैं।

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