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भारतीय मजदूर आन्दोलन का चिन्तन बदल गया

भारतीय मजदूर आन्दोलन का चिन्तन बदल गया

by चंद्रकांत धुमाल
in जुलाई -२०१२, साक्षात्कार
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आप भारतीय मजदूर संघ के पूर्णकालिक कार्यकर्ता और महाराष्ट्र प्रान्त के महामन्त्री हैं। पिछले दो दशक में मजदूर आन्दोलन में जो बदलाव आये हैं, वे किस तरह के हैं?

भारतीय मजदूर संघ की 1955 में स्थापना हुई। उस समय देश में चार बड़े केन्द्रीय श्रम संगठन थे। मजदूर यूनियनों में कम्यूनिस्टों का दबदबा था। उद्योगपतियों और मजदूरों के अपने-अपने हित थे। जिनमें हमेशा टकराव बना रहता है। वर्ग संघर्ष की स्थिति बन गयी थी। देश की चिन्ता किसी को नहीं थी। मा. दत्तोपंत ठेगड़ी जी ने मजदूरों का हित उद्योग और देश के हित के साथ जोड़ा। वही चिन्तन आज सर्वश्रेष्ठ माना जा रहा है। कम्यूनिस्ट भी हमारा नेतृत्व स्वीकार करने और भारत माता की जय बोलने लगे हैं।

महाराष्ट्र इस समय मजदूर आन्दोलन की क्या स्थिति है?

एक समय था जब महाराष्ट्र में बड़े उद्योग धन्धे थे। उनमें लाखों की संख्या में संगठित मजदूर थे। मुंबई मजदूर आन्दोलन का केन्द्र था। कम्यूनिस्ट और काँग्रेस की यूनियन इंटक का बोलबाला था। देश की आर्थिक नीति बदली, उद्योग धन्धे बन्द हो गये। संगठित क्षेत्र के मजदूर बचे नहीं है। तो उनके मजदूर संगठन भी सिकुड़ गये। महाराष्ट्र में मजदूर अब भारतीय मजदूर संघ के नेतृत्व में एक जुट हुए हैं। ग्रामीण, वनवासी, खेतिहर, घरेलू, आंगनबाडी, नगरपालिका, सफाईकर्मचारी, सहकारी क्षेत्र लघु उद्योग, मलेरिया उन्सूलन, विद्युत इत्यादि में भारतीय मजदूर संघ का एकमेव कार्य है। यह असंगठित मजदूरों का युग है। भारतीय मजदूर संघ उनके साथ मजबूती से खड़ा है।

आपको सातारा अधिवेशन में प्रदेश महामन्त्री का दायित्व सौंपा गया। अपने अपनी क्या रणनीति बनायी है?

भारतीय मजदूर संघ में शुरू से ही सामूहिक निर्णय की परम्परा है। जलगांव में सम्पन्न राष्ट्रीय अधिवेशन में ‘चलो गाँव की ओर’ का लक्ष्य तय किया गया है। उसी के अनुरूप महाराष्ट्र में भी ग्रामीण मजदूरों को संगठित करने, उनके हित के लिए संघर्ष शुरू करने, उनके लिए कानून बनवाने. सुविधाएं दिलवाने का कार्य किया जा रहा है। इस समय नरेगा दोपहर का भोजन आदि में बड़ी संख्या में मजदूर लगे हैं, लेकिन उनके लिए कोई कानूनी व्यवस्था नहीं है। विश्वकर्मा सेक्टर- बढ़ई, लोहार, मोची, सोनार, राजगीर, कारीगर, बुनकर, धुतिया इत्यादि को संगठित करने का संकल्प लिया गया है। उसी को आगे बढ़ाया जाएगा।

भारतीय मजदूर संघ का महाराष्ट्र में कैसा कार्य चल रहा है?

भारतीय मजदूर संघ के जितने भी महासंघ है, जैसे- रेलवे, प्रतिरक्षा, स्टेट ट्रान्सपोर्ट, विद्युत, बैंक, टकसाल, मिल, बीड़ी उद्योग, खदान इत्यादि का कार्य पूरे देश की ही तरह महाराष्ट्र में भी बहुत अच्छी तरह से चल रहा है। प्रान्तीय स्तर पर विगत् 15-20 वर्षों में काम में गुणात्मक तेजी आयी है। मा. उदयराव पटवर्धन जब प्रदेश के महामन्त्री थे, उस समय उन्होंने ‘हन्ड्रेड डेज आन हवील’ कार्यक्रम किया है। प्रदेश भर के कार्यकर्ता पूरे सौ दिन सायकिल और मोटर सायकिल से गाँव-गाँव में गये थे। वहाँ से एकदम दूर-दराज के क्षेत्र में हम पहुँचे। जहाँ मजदूर आन्दोलन की कल्पना नहीं की जा सकती थी, वहाँ हमने कार्य खड़ा किया। इन्ही ग्रामीण मजदूरों की बदौलत भारतीय मजदूर संघ सबसे बड़ा संगठन बना है।

भारतीय मजदूर संघ क्या कोई सामाजिक कार्य भी करता है?

भारतीय मजदूर संघ ने समाज बदलने की भूमिका अपनाया है। सामाजिक समरसता मंच, सर्वपन्थ समादर मंच, पर्यावरण मंच, स्वदेशी जागरण मंच के कार्यों के रूप में समाज के विभिन्न क्षेत्रों में हमारा कार्य फैला है। देश के हित में जो कार्य है, वह सब हम कर रहे हैं।

कोई उदाहरण?

कारगिल के युद्ध के समय देश में गोला-बारूद की कमीं हो गयी थी। पुणे की आर्डिनेन्स फैक्ट्री के भा. म. संघ के कार्यकर्ताओं ने बिना साप्ताहिक अवकाश लिए, बिना घर गये 18-18 घण्टे काम करके देश की सेना को गोला बारूद की आपूर्ति की। उन्होने ओवर टाइम भत्ता भी नहीं लिया। अस समय कम्यूनिस्ट यूनियन नेता हमें सलाह दे रहे थे कि अपनी मांगे सरकार से मनवाने का यही सबसे उचित समय है। हमने कहा यह देश पर आये संकट से निपटने का समय है। अपनी माँगे हम फिर कभी आन्दोलन करके मनवा लेगें। आज हमें अपना कर्तव्य निभाना है। दुनिया में ऐसी मिशाल कहीं नहीं मिलेगी।

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Tags: agitationdirection of protesthindi viveklabor protestlaborermagazineworkers

चंद्रकांत धुमाल

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