महाराष्ट्र बैंक सेवानिवृत्त संगठन का सामाजिक दृष्टिकोण

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बैंक में काम करने वाले कर्मचारी को सार्वजनिक संपत्ति का संरक्षक माना जाता हैं। यही कर्मचारी सेवानिवृत्ती के बाद अपनी कार्यशक्ति का विनियोग समाज के दुर्बल घटकों के हितों के लिये करता है। इतना ही नहीं उनके लिये कल्याणकारी योजनायें बनाने के लिये सदैव प्रयत्नशील रहता है। इसी तरह के एक आदर्श समाजसेवी संगठन ‘बैंक ऑफ महाराष्ट्र सेवानिवृत्त कर्मचारी संगठन’ के कुशल कार्य का वृत्तांत-

भारत का प्रहरी नाबम अतुम

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हमारे देश में सूर्य की प्रथम किरण अरुणांचल प्रदेश की भूमि पर पड़ती है। यहां के ऊंचे-ऊंचे गगनचुम्बी पर्वत शिखर, कल-कल, बहती-सियांग, सुबनसिरी, कॉमेड जैसी नदियां, मानो यह भारत का स्वर्ग ही है। यह प्रदेश भारत की उत्तर-पूर्व सीमा पर प्रहरी जैसा खड़ा है।

म्यांमार में लोकतंत्र की आहट

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क्या सचमुच हमारे पड़ोसी देश म्यांमार में लोकतंत्र की स्थापना होने जा रही है। वहां के लोकतंत्र की योद्धा आंग सान सू ची तो घोषणा कर चुकी हैं कि ‘म्यांमार में एक नए युग की शुरुआत हो चुकी है।’ मगर उनकी इस घोषणा को वास्तविक माना जाए या नहीं, इसे लेकर पूरी दुनिया में संशय बना हुआ है।

समाचार, आशय तथा पथ्यपालन!

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इसका सही उत्तर किसी के पास नहीं होता। भाजपा के साथ- साथ गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए सहानुभूति का भाव रखने वाला बहुत बड़ा वर्ग वर्तमान में देश में है, वह ऐसे समाचारों को पड़ कर काफी बेचैन हो जाता है।

नेशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ बैंक ऑफिसर्स की उपलब्धियां

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1955 में स्थापित किए गए भारतीय मजदूर संघ की कामगार क्षेत्र में शानदार सफलता अर्जित की थी। कामगारों को सभी क्षेत्रों में प्रवेश दिया जा रहा था। दत्तोपंत कामगारों के मार्गदर्शक थे। कार्यकर्ताओं के समक्ष उनके सादे जीवन तथा उच्च विचार का आदर्श रहता था।

पेड -पौधों के साथ बानाईये भावनात्मक रिश्ते

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भारत के ऋषि मुनियों ने प्राचीन काल से पर्यावरण के बारे में विचार किया था। भारत वासी नदी, तालाब, कुओं, पीपल, बरगद, आम, नीम, चिचिडा, कैथा, बेल, ऑवला, अर्जुन और अशोक के वृक्षों को पूजनीय और वंदनीय मानते हैं।

सहकार क्षेत्र में मौलिक योगदान

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संयुक्त राष्ट्र संघ ने सन 2012 को अंतर्राष्ट्रीय सहकार वर्ष के रूप घोषित किया है। जो कि सहकार क्षेत्र की असीम ऊर्जा और सुप्त सामर्थ्य की गवाही देने के लिये पर्याप्त है।

बिजली कामगार निधि संस्था ने पूरे किए डेढ दशक

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विद्युत विभाग में कार्यरत मजदूरों के कल्याण के लिए काफी संघर्ष के बाद एक ऐसी योजना अमल में लाई गई, जिसके आधार पर दुर्घटना की स्थिति में मजदूरों के परिजनों को आर्थिक मदद दी जा सके।

अखिल भारतीय वनवासी ग्रामीण मजदूर महासंघ

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अखिल भारतीय वनवासी ग्रामीण मजदूर महासंघ का गठन सुप्रसिद्ध चिंतक स्व. दत्तोपंत ठेंगडी की प्रेरणा से किया गया। सन् 2002 में मुम्बई में हुई इसकी प्रथम बैठक में 10 प्रदेशों से 20 कार्यकर्ता उपस्थित थे जिसमें महासंघ के प्रथम अध्यक्ष श्री गोविन्द सिंह अलावा धार (म. प्र.) व महामंत्री श्री अरविन्द मोघे थे।

एन.ओ.बी.डब्ल्यू. (नेशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स)

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बैंक उद्योग में भारतीय मजदूर संघ की विचारधारा तथा कार्यप्रणाली का प्रतिनिधित्व करते हेतु नेशनल ऑर्गनाइजेेशन ऑफ बैंक वर्कर्स (एन.ओ.बी.डब्ल्यू.) नामक महासंघ की शुरूआत सन् 1965 में हुआ।

भारतीय मजदूर आन्दोलन का चिन्तन बदल गया

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कारगिल के युद्ध के समय देश में गोला-बारूद की कमीं हो गयी थी। पुणे की आर्डिनेन्स फैक्ट्री के भा. म. संघ के कार्यकर्ताओं ने बिना साप्ताहिक अवकाश लिए, बिना घर गये 18-18 घण्टे काम करके देश की सेना को गोला बारूद की आपूर्ति की। उन्होने ओवर टाइम भत्ता भी नहीं लिया।

भारतीय रेल्वे मजदूर संघ

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सन् 1962 में चीनने यकायक भारत की उत्तरी क्षेत्रपर आक्रमण किया। चीन के प्रधानमंत्री श्री. चाड एन. लाय. कुछही दिन पहले भारत में आए थे। भारत की सभ्यता, स्वभाव और संस्कृती के अनुसार उनका यथोचित स्वागत किया गया।

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