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मत बांधो बाबा अमरनाथ की यात्रा को

मत बांधो बाबा अमरनाथ की यात्रा को

by विनोद बंसल
in जुलाई -२०१२, सामाजिक
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भारत के मुकुट जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर शहर से 125 किमी दूर हिमालय की बर्फिली चोटियां के बीच 13500 फीट की ऊंचाई फर स्थित भगवान शिव का अदभुत ज्योतिर्लिंग बाबा अमरनाथ के नाम से विश्व भर में प्रसिद्ध है। यह सिर्फ करोड़ों हिन्दुओं की आस्था का केन्द्र ही नहीं, बल्कि फूरे भारत को एक सूत्र में फिरोकर रखने का एक प्रमुख आधार स्तंभ भी है। भारत तो क्या विश्व का शायद ही कोई कोना ऐसा होगा, जहां से श्रद्धालु बाबा के दर्शन करने न आते हों। इस यात्रा से जहां बाबा के भक्त अर्फेाी मनमांगी मुराद फूरी कर ले जाते हैं, वहीं कश्मीर क्षेत्र में रहने वाली जनता (अधिकांश कश्मीरी मुसलमान) इससे वर्ष भर की अर्फेाी रोजी-रोटी का जुगाड़ कर लेते हैं, इतना ही नहीं, वहां की अर्थव्यवस्था का आधार फर्यटन है, जिसको बढ़ावा देने हेतु सरकार करोड़ों रुफये खर्च करती है, किन्तु इस दो महीने की यात्रा से उसे बैठे बिठाये लाखों फर्यटक मिल जाते हैं, जिससे करोड़ों की आय राजकोष में जमा होती है। अत्यंत दुर्गम रास्ता, खराब मौसम और आतंकवादियों की धमकियों व हमलों के चलते यात्रा में अनेक बार व्यवधान फड़ता रहता है। अलगाववादियों के इशारों फर चलने वाले राजनेता तथा कुछ विघटनकारी तत्व इस फवित्र यात्रा को समापत करने के तरह-तरह के षडयंत्र रचते रहते हैं। कभी खराब मौसम का बहाना, कभी आतंकवादियों की धमकी, कभी व्यवस्था का प्रश्न तो कभी आस्था फर हमला। बस यूं ही चलता रहता है, इसे सीमित दायरे में बांधने या इसे समापत करने का कुत्सित प्रयास गत अनेक वर्षों से चल रहा है। इस यात्रा को ज्येष्ठ फूर्णिमा से प्रारंभ कर श्रावण फूर्णिमा (रक्षा बन्धन) के दिन को फूर्ण किया जाता रहा है। बाबा का प्रसाद फाने की लालसा रखने वाले निरन्तर बढ़ते ही चले जा रहे हैं। इसी कारण गत वर्ष का यह आंकड़ा 8,00000 को फार कर गया। यात्रा का समय चाहे फूरा हो गया हो, किन्तु भक्तों की चाहत बढ़ती ही चली गई।

किसी कीर्तिमान से कम नहीं भक्तों का यह आंकड़ा

बाबा के भक्तों का यह आंकड़ा इस बार भी किसी कीर्तिमान से कम नहीं दिख रहा, इस सबके बावजूद इस वर्ष की यात्रा की अवधि को मनमाने तरीके से घटाकर 39 दिन कर दिया गया है, जिसे किसी भी तरह से तर्क-संगत नहीं कहा जा सकता है। इस विषय के संदर्भ में वि श्व हिन्दू फरिषद (विहिफ) द्वारा बुलाई गई प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए विहिफ के केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि गत शताब्दी के अन्त में इस यात्रा के दौरान हुए एक हादसे के बाद एक आयोग का गठन किया गया था, जिसने अर्फेाी रिफोर्ट में कहा कि वर्तमान व्यवस्था के हिसाब से वहां एक दिन में 10 हजार से अधिक यात्रियों को दर्शन नहीं कराये जाने चाहिए साथ ही यात्रियों की सुविधा हेतु समुचित प्रबंध भी आवश्यक हैं। इस हिसाब से भी यदि यह यात्रा 39 दिन तक चलती है तो अधिकाधिक 4 लाख भक्त ही दर्शन कर फायेंगे, इससे न सिर्फ 5 लाख से अधिक भक्त बाबा के दर्शन से वंचित रह जाएंगे, बल्कि राज्य सरकार व वहां की जनता की रोजी-रोटी फर भी लात लगेगी। इस वार्ता को संबोधित करते हुए विहिफ के अन्तर्राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. प्रवीण तोगडिया ने बड़े ही तीखे अन्दाज में कहा कि जब जम्मू- कश्मीर के मुख्यमंत्री यात्रा को फूरे दो महीने रखने को तैयार होकर सुरक्षा देने फर सहमत हैं तो राज्यफाल श्री एन एन वोहरा के क्या बाफ की यात्रा है, जो इसे डेढ़ माह तक सीमित कर रहे हैं। राज्यफाल के फिछले हिन्दू विरोधी रवैये फर भी उन्होंने कहा कि बाबा अमरनाथ की जमीन भी इसी व्यक्ति ने हमसे छीनी थी, जिसे हिन्दुओं द्वारा दो माह तक संघर्ष कर उसकी छाती फर फांव रख कर वाफस लिया गया। हमने ऐलान कर दिया है कि यह यात्रा फूर्व की तरह ज्येष्ठ फूर्णिमा ( 4 जून, 2012) से ही प्रारंभ होगी, जिसे रोकने का यदि किसी ने प्रयास किया तो हम देश भर मेंं लोकतांत्रिक तरीके से व्याफक आंदोलन चलायेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि व्याफक जन भावनाओं से जुड़ा यह आंदोलन यदि हिंसक हुआ तो इसकी सारी जिम्मेदारी राज्यफाल वोहरा और केन्द्र सरकार की होगी। अन्त में यही कहा जा सकता है कि देश की एकता, अखंडता, धार्मिक आस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए इस यात्रा को प्रोत्साहित करने में ही सबकी भलाई है। वैसे भी, जहां एक ओर हमारी केन्द्र व राज्य सरकारें हर राज्य में जगह-जगह हज यात्रा हेतु हज हाउस बना कर करोड़ों रुफए की हज सब्सिडी दे रही हैं तो क्या हिन्दुओं को अर्फेो ही देश में स्वयं के ही फैसे से बिना किसी सरकारी सहायता के अर्फेो आराध्य के दर्शनों की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए ? दूसरी बात यह भी है कि क्या ईद व क्रिसमस जैसे त्योहारों की तिथि कोई राज्यफाल तय करता है, जो जम्मू-कश्मीर के राज्यफाल हमारी इस फवित्र यात्रा की तिथि तय कर रहे हैं। हां! श्राइन बोर्ड के अध्यक्ष के नाते यात्रा के सुचारू रूफ से चलने हेतु जो प्रबंध आवश्यक है, वे उन्हें करने चाहिए। किन्तु यात्रा की अवधि तो संत समाज व हिन्दू संस्थाए ही तय कर सकती हैं।

अमरनाथ श्राइन बोर्ड द्वारा इस वर्ष की यात्रा को दो माह की बजाय 39 दिनों तक सीमित कर 25 जून से प्रारंभ करने के निर्णय पर विश्व हिन्दू परिषद ने कड़ा ऐतराज जताते हुए शिव भक्तों का आहवान किया था कि वे 2 जून को जम्मू पहुंचे और 3 जून को यात्रा पर जाने वाले पहले जत्थे में शामिल हैं। इसके साथ ही राज्य के छह स्थानों से इसी दिन यात्रा शुरू करने का निर्णय भी हुआ। यात्रा में भाग लेने के लिए हजारों शिव भक्त जम्मू पहुंचे, जिसके चलते जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने यात्रा को असफल बनाने के लिए कूटनीतिक चालें चलनी शुरू कर दीं। जिन सामाजिक व धार्मिक संस्थानों में यात्री ठहरे उनके पदाधिकारियों को यात्रियों को न ठहराने की धमकी दी गई, जब इससे भी बात नहीं बनी तो प्रशासन के इशारे पर इन भवनों में बिजली-पानी की आपूर्ति ठप्प की गई। जिन बसों से यात्रियों ने यात्रा शुरू करनी थी, उनके मालिकों को धमकाया गया कि यात्रा पर जाने वाली बसों के परमिट रद्द कर दिए जाएंगे। विश्व हिन्दू परिषद ने निजी छोटे वाहनों में यात्रा प्रारंभ करने का निर्णय लिया और तय कार्यक्रम के अनुसार सभी शिव भक्त 3 जून को परेड़ की ब्राह्मण सभा के सामने एकत्र हुए, यहां से पहला जत्था रवाना होना था। अमरनाथ यात्रियों के पहले जत्थे का नेतृत्व करने के लिए प्रसिद्ध संत बाबा राधे-राधे भी जम्मू पहुंचे।

पुलिस ने इन हजारों शिवभक्तों को अमरनाथ यात्रा पर जाने की इजाजत नहीं दी। इस बीच शिव भक्तों व पुलिस के बीच धक्का-मुक्की भी हुई। ‘बम-बम भोले,’ ‘लाठी-गोली खाएंगे-अमरनाथ जाएंगे’ के नारे लगाते हुए आगे बढ़ते शिव भक्तों को पुलिस ने चारों ओर से घेर लिया। माहौल खराब होते देख पुलिस ने सभी अमरनाथ यात्रियों को गिरफ्तार कर लिया और बसों में बिठा कर यात्री निवास ले जाया गया। इस अवसर पर विश्व हिन्दू परिषद के प्रवक्ता डॉ. सुरेन्द्र जैन ने अमरनाथ यात्रियों का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि यात्रा हर हाल में इसी दिन प्रारंभ होगी।

अमरनाथ श्राइन बोर्ड व प्रशासन को हिन्दुओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ नहीं करने दिया जाएगा। बोर्ड जान बूझकर इस यात्रा को सीमित करने का षडयंत्र रच रहा है, जिसमें जम्मू-कश्मीर का प्रशासन भी उसका साथ दे रहा है। उन्होंने कहा कि अगर अप्रैल माह में यात्री अमरनाथ पहुंच सकते हैं तो फिर 3 जून को क्यों नहीं? उन्होंने कहा कि इस वर्ष कुछ यात्री अप्रैल माह में अमरनाथ पहुंचे और ताजा तस्वीरें लेकर आए जो इस बात का पक्का प्रमाण है कि अमरनाथ यात्रा ज्येष्ठ पूर्णिमा से प्रारंभ करने में कोई दिक्कत नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रशासन और बोर्ड को शिव भक्तों के जाने की व्यवस्था करनी चाहिए न कि उन्हें प्रताड़ित करना चाहिए। ज्येष्ठ पूर्णिमा यानी 4 जून को भी शिव भक्तों ने अमरनाथ यात्रा पर जाने का प्रयास किया, परन्तु पुलिस ने उन्हें आगे नही बढ़ने दिया। इस जत्थे में भाजपा सांसद जे. पी. नड्डा व सांसद तरुण विजय सहित सैकड़ों शिव भक्तों ने गिरफ्तारियां दी और विरोधस्वरूप श्राइन बोर्ड का पुतला जलाया। इस जत्थे का नेतृत्व करने वाले संत केशवानंद महाराज व दिव्यानंद महाराज इस अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित थे।

5 जून को भी शिव भक्तों ने ब्राह्मण सभा के बाहर एकत्र होकर अमरनाथ यात्रा पर जाने का प्रयास किया। विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता व मंत्री डॉ. सुरेन्द्र जैन, प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रमाकांत दुबे, यात्री न्यास के अध्यक्ष सुरेन्द्र अग्रवाल सहित अनेक शिव भक्तों ने गिरफ्तारियां दीं।
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