काशी बना भारतीय संस्कृति के गौरव का प्रतीक

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लोकार्पण के साथ इतिहास के एक महत्वपूर्ण अध्याय का निर्माण हुआ। प्रमुख संप्रदायों के संतों की मौजूदगी में महादेव का अनुष्ठान हुआ। गंगा घाटों के साथ शहर की प्रमुख भागों को सजाया गया था। काशी विश्वनाथ मंदिर के सात संपूर्ण कॉरिडोर के…

प्राचीन मंदिरों में विज्ञान

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वैज्ञानिकों ने तकनीकी जांच में पाया कि इन पत्थरों को बनाने के लिए एक आयताकार खाई तैयार की गई, जिसमें ग्रेनाइट पत्थर का चूर्ण, गन्ने से निर्मित चीनी (केन शुगर), नदी की रेत और कुछ अन्य यौगिक डालकर एक मिश्रण तैयार किया। इस मिश्रण से नींव भरी गई और  विभिन्न आकार के छिद्रयुक्त पत्थर तैयार किए गए।

तिबारी बाखली का महत्व

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काश...मैं भी धन्नासेठ बनता व अपनी मध्यकालीन भारतीय शैली में अपने गांव में विशाल तिबारी का निर्माण करवाकर अपने अतिथियों को आमंत्रित कर उनकी आंखें चुन्धियाता..। काश...कि हमारी सरकार विलेज टूरिज्म के बढावे में तिबारी/बाखली प्रमोट करती तो हमारी मध्यकालीन भारतीय सभ्यता ज़िंदा रहती व भौगोलिक व पर्यावरणीय दृष्टि से हम सुकून महसूस करते।

गढ़वाल भ्रातृ मंडल, मुंबई 92 सालों का गौरवशाली सफर

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बांद्रा टर्मिनस, मुंबई से रामनगर उत्तराखंड जानेवाली ट्रेन के समय में मंडल के रेल्वे प्रकोष्ठ के संयोजक बाल कृष्ण शर्मा के प्रयत्नों से रूट में कटौती करके 10 घंटे की कमी की गई। यह मंडल के इतिहास में एक विशिष्ट उपलब्धि रही। साहित्य, कला, संगीत, खेल एवं समाजसेवा आदि क्षेत्र में विशिष्ट योगदान करनेवाले उत्तराखंड के मनीषियों को ‘गढ़रत्न पुरस्कार’ से सम्मानित करना ‘मंडल’ की परंपरा का हिस्सा रहा है।

उत्तरांचल मित्र मंडल-वसई रोड

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उत्तरांचल मित्र मंडल वसई रोड वसई, मुंबई में निवासी उत्तराखंडियों की एक सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन है, जो मानवता की भलाई के लिए मुंबई महाराष्ट्र में विगत 32 सालों से कार्यरत है।

बीज बना वटवृक्ष उत्तरांचल मित्र मंडल, भायंदर

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उत्तरांचल मित्र मंडल एक सामाजिक संस्था है। सन 2003 में कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं की सोच से इस संस्था का जन्म हुआ और 19 नवंबर 2005 को कुछ बुद्धिजीवियों के प्रयास से संस्था का पंजीकरण किया गया।

पर्यटन नहीं तीर्थाटन

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जिस प्रकार मक्का या वैटिकन सिटी पूरे विश्व में अकेले हैं, उसी प्रकार श्री बद्रीनाथ केदारनाथ धाम व हिन्दू धर्म के अन्य धाम भी अपनी तरह के अकेले हैं, जिनका कोई अन्य विकल्प नहीं है। इनको स्विट्जरलैड, थाईलैंड बनाकर सैकेंडरी बना कर यहां पश्चिमी पर्यटन पनपाकर इनकी मोनोपली को क्यों तोड़ें? और सैकेंडरी क्यों बने?

मत बांधो बाबा अमरनाथ की यात्रा को

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बाबा के भक्तों का यह आंकड़ा इस बार भी किसी कीर्तिमान से कम नहीं दिख रहा, इस सबके बावजूद इस वर्ष की यात्रा की अवधि को मनमाने तरीके से घटाकर 39 दिन कर दिया गया है, जिसे किसी भी तरह से तर्क-संगत नहीं कहा जा सकता है।

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