हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
असम की गांठ और कांग्रेस को लपेट!

असम की गांठ और कांग्रेस को लपेट!

by प्रमोद पाठक
in सामाजिक, सितंबर- २०१२
0

असम में फिर से अशांति का माहौल है। कोकराझार और धुबरी जिलों में स्थानीय बोडोे और बांग्लादेशी घुसपैठियों के बीच सुलगे दंगे में लगभग 60 लोगों की हत्या की गई। लंबा अरसा बीतने पर भी उसको काबू में लाया नहीं लाया गया। असम में जारी हिंसा के मुद्दे को लेकर 11 अगस्त को मुंबई में जो उपद्रव हुआ, उससे पूरे महाराष्ट्र में भय व्याप्त हो गया। रजा अकादमी की ओर से असम मेंं मुसलमानों पर हो रहे अत्याचार के बारे में मीडिया द्वारा ठीक ढ़ंग से समाचार न प्रकाशित किए जाने के मुद्दे पर उनका ध्यान आकृष्ट कराने के लिए आजाद मैदान में रैली निकाली। इस रैली आये मौैलवियों ने वहां पहुंचे 20 हजार से ज्यादा युवाओं के बीच ऐसे उत्तेजक भाषण दिए कि उनका माथा ठनका और उन्होंने प्रेस तथा पुलिस के वाहनों को अपना निशाना बनाया। इस उपद्रवियों ने कई वाहनों को कांच तोड़े तो कुछ वाहनों को आग के हवाले कर दिया। न सिर्फ मुंबई, पुणे, नासिक जैसे शहरों में भी असम में हिंसा की प्रतिक्रिया में हुई घटना से भयभीत विद्यार्थी अपनी पढ़ाई छोड़कर अपने गांव को ओर जाना पसंद किया। असम की हिंसा की आग ने महाराष्ट्र की राजधानी, पुणे, नासिक, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ समेत पूरे देश को प्रभावित किया है। शहर ही नहीं, गांव-गांव में इस हिंसा की आग फैली, जिससे लोगों में असुरक्षा की भावना उत्पन्न हुई। संसद में भी इस मुद्दे की गूंज रही।

हिंसा की चपेट में कई शहर

असम में जारी हिंसा को लेकर मुस्लिम संगठनोें का विरोध कई अन्य बड़े शहरों से होते हुए मुंबई तक पहुंचा। मुंबई के बाद बंगलौर, पुणे तथा अन्य कई शहरों को हिंसा की इस आग ने अपनी चपेट में ले लिया। यहां अध्ययन रत तथा नौकरी के लिए ईशान्य भारत के युवकों-युवतियों ने अपनी मूल निवास स्थान की ओर कूच किया। बताया जा रहा है कि असम में रहने वाले ईशान्य भारतीय लोगों पर हिंसा कराने का आरोप मढ़कर उन पर प्राणांतिक हमले किए गए। ईशान्य भारतीयों पर स्थानीय मुस्लिम या बांग्लादेश से आए मुसलमानों ने ही कराए हैं। इन हमलावरों पर पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई? कांग्रेस शासित असम राज्य में इन हमलावरों पर कोई कार्रवाई न किए जाने स वहां रहने वाले ईशान्य भारत के लोगों में भय व्याप्त हुआ, इस कारण अन्य ईशान्य भारतीय नागरिकों ने जो भी सुविधा मिली, उससे उन्होंने अपने घर की ओर प्रस्थान किया। इस घटना से भयभीत बंगलूर के 5 हजार से ज्यादा ईशान्य भारतीय असाम की ओर रवाना हुए। जहां एक ओर इस क्षेत्र के लोगाेंं का एक बहुत बड़ा वर्ग असाम की ओर पलायन कर रहा है, तो दूसरी ओर असम से मुस्लिम लोग मुंबई आए। मुंबई से प्रकाशित एक अंग्रेजी दैनिक में असम से पलायन करके मुंबई आई एक मुस्लिम महिला की व्यथा के बारे में एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी। इस रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख नहीं किया गया था कि असम में उक्त महिला से पहले तथा बाद कितनी महिलाओं के खिलाफ अत्याचार किया गया था। रिपोर्ट में यह भी उल्लिखित नहीं किया गया था कि असम में जिन युवतियों को दर्द भरा जीवन पड़ा है, उनमें कितने असमी तथा कितने बांग्लादेशी घुसपैठिए हैं। इस संबंध में रजा अकादमी का कहना है कि असम में मुस्लिम लोगों की हालत का रमजान महीने के आरंभ में ही यह दंगा शुरू हुआ। चार बोडोे युवकों को दिन-दहाड़े मौत के घाट उतारा गया। असम के कोकराझार जिले में जयपुर गांव की आबादी में से अधिकांश मुस्लिम घुसपैठिए उनके हत्यारे थे। उस कत्लेआम की प्रतिक्रिया तुरंत कोकराझार जिले में उमड़ी तथा पास वाले चिरांग और धुबरी जिलों तक वह फैली। कोकराझार समेत अन्य स्थानों में स्थानीय मुस्लिमों पर हुए हमलों पर भी समाचार-पत्रों ने कोई खास महत्व नहीं दिया।

पचास लाख घुसपैठिये सिर्फ असम में ही स्थायी रूप में बसे हुए हैं। ‘हुजी’ जैसे आतंकवादी संगठनों के पिट्ठू ‘यूनायटेड मायनॉरिटीज फ्रंट’, ‘ऑल इंडिया मायनॉरिटीज फ्रंट’, ‘मुस्लिम लीग’, ‘असम गण परिषद (प्रगतिशील) जैसे सांप्रदायिक दलों में तथा ‘असम यूनायटेड डेमोक्रॅटिक फ्रंट’ जैसे बाहर से निधर्मी दिखाई देने वाले दलों में काम करते हैंं। असम में कांग्रेस को छोड़कर किसी दूसरे राजनीतिक दल से निकटता बढ़ाने के प्रयास में है। मुस्लिम वर्ग का कांग्रेस के प्रति बढ़ती दूरी का फायदा उठाते हुए समाजवादी पार्टी ने मुसलमानों की सुरक्षा के प्रति विशेष ध्यान देने की तैयारी की है। मुंबई में हुए प्रदर्शन में समाजवादी पार्टी के मुंबई अध्यक्ष अबू आजमी का भी अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि आजमी ने रजा अकादमी को सामने लाकर कांग्रेस को बदनाम करने की कोशिश की है। उल्लेखनीय है कि जब ऐसे किसी मामले में भी राजनीतिक श्रेय लेने की कोशिश करें तो यही संदेश जाएगा कि इस तरह की रैली में हिंसा करने वाले तत्वों का जमावड़ा तो होगा ही। भविष्य में भी मुंबई, भाजपा शासित राज्य बंगलौर समेत अन्य स्थानों पर कुछ-कुछ कारण बताकर दंगे तो होते ही रहेंगे, इस पर अंकुश लगाना जरूरी है।

रमजान महिने के आरंभ में ही यह दंगा शुरु हुआ। चार बोदो युवकों को दिन-दहाडे मौत के घाट उतारा गया। असम के कोक्राझार जिले में जयपूर गांव की आबादी में से बहुसंख्य मुस्लिम घुसपैठिए उनके हत्यारे थे। उस कत्लेआम की प्रतिक्रिया तुरन्त कोक्राझार जिले में उमडी तथा पासवाले चिरांग और धुब्री जिलोंतक वह फैल गई। हमलावरों ने बडे पैमाने पर हत्याएँ कीं और वहां आये हुए घुसपैठ बांगलादेशियों के खदेड हेतु उनकी जो भी कुछ घरबार-जायदाद थी, उसे जला देकर गांव ही गांवो को निर्मनुष्य बना डाला। जुलाई महिने की आखिर तक तो शहराती इलाकों में, खासकर गुवाहाटी के परिसर में बनाये गये तात्कालिक शरणार्थी शिविरों में सहारा लेने वालों की संख्या दो लाख से भी अधिक हो गई। फिर भी समाचार-पत्र केवल मुस्लिम शरणार्थियों के ही छायाचित्र प्रकाशित कर रहे हैं।

घर छोड़ भाग निकले हुए ज्यादा तर बांगलादेशी मुस्लिम हैं, इस यथार्थ के समाचार चारों ओर फैले, तो भी मुख्यमंत्री तरुण गोगाई से उस दंगे के संदर्भ में पूछताछ करने वाला दूरध्वनि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पूरे एक सप्ताह के बाद किया। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह स्वयं पिछले दो दशकों से असम से ही राज्यसभा पर निर्वाचित हो रहे हैं। उन घटनाओं की गंभीरता न जंचते हुए, दूरदर्शन पर उस संदर्भ में हो हल्ला मचा हुआ देखने पर, उन्हें गोगोई से दूरध्वनी पर बातें करने की इच्छा हो, इसे आखिर क्या कहा जाए? उनका सप्ताह भर का मौन ही बातों को खोल देने वाला है। इसके पीछे कांग्रेस की चाल है, यह तो खुले आम दिखाई दे रहा है।

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: assamassamesecongresselectionhindi vivekhindi vivek magazine

प्रमोद पाठक

Next Post
सामाजिक समझ पैदा करने वाला गणेशोत्सव

सामाजिक समझ पैदा करने वाला गणेशोत्सव

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0