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विशाल अमर है

विशाल अमर है

by जे. नंदकुमार
in सामाजिक, सितंबर- २०१२
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‘हमारा विशाल अस्पताल के सधन चिकित्सा कक्ष (आई.सी.यू.) में भर्ती है…लगता है अब वह नहीं रहा।’’ यह बताते हुए किरन की आवाज भावुक और दबी हुयी थी। 16 जुलाई की देर रात आया वह फोन चेगंनानूर के जिला प्रचारक किरन का था यद्यपि शाम को टीवी के समाचार चैनेल के ‘न्यूजफ्लैश’ में मैंने देखा था। कि चेंगनानूर के समीप एक कालेज में एक विद्यार्थी को बुरी तरह मारा-पीटा गया है। किन्तु मैंने यह सोचकर उसे महत्व नहीं दिया कि कालेज खुलने पर इस तरह की घटनायें होती रहती हैं। लेकिन घटना के बारे में विस्तार से जानकारी रात में किरन से ही मालूम हो सकी। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं पर कालेज के ‘कैम्पस फ्रंट आफ इण्डिया’ के बर्बर लोगों द्वारा यह एक सुनियोजित आक्रमण था। ‘कैम्पस फ्रंट आफ इण्डिया’ बदनाम ‘पापुलर फ्रंट आफ इण्डिया’ की छात्र इकाई है, जो प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन सिमी का बदला हुआ नाम है।

विशाल वेणुगोपाल अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की नगर समिति का सदस्य और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का नगर शारीरिक शिक्षण प्रमुख था। क्रिश्चियन कालेज में नये छात्र-छात्राओं के स्वागत में आयोजित समारोह में वह अपने सहयोगियों के साथ शामिल था। वहां पर कैम्पस फ्रंट के भी तीन-चार कार्यकर्ता थे। सब कुछ अच्छी तरह से सुचारु रूप से चल रहा था कि सुबह लगभग 11.00 बजे एकाएक मुस्लिम लोगों का एक समूह कालेज के बाहर से आया और वे कालेज के गेट पर खड़े होकर अ.भा.वि.परिषद और भगवती सरस्वती को गाली देने लगे। विशाल और अन्य लोगों ने कार्यक्रम में व्यवधान डालने से उन्हें मना किया। ये लोग मुस्लिमों के मन्तव्य को समझ भी नहीं पाये थे, तभी बाहर से आये हुए लोगों नें एकाएक परिषद के कार्यकर्ताओं पर घातक हथियारों, नई डिजाइन की चाकुओं और अन्य मारक हथियारों से हमला कर दिया। विशाल, विष्णु और श्रीजीत गंभीर रूप से घायल से हो गये। अत्यंत गंभीर रूप से घायल विशाल की शाम के 5.00 बजने तक मृत्यु हो गयी। अन्य दोनों कार्यकर्ताओं को भी अस्पताल के सधन चिकित्सा कक्ष में भर्ती किया गया।

यह कोई आकस्मिक घटना नहीं थी। पिछले कुछ दिनों से इस तरह की कई घटनायें हो चुकी हैं। सभी घटनायें एक ही तरह की हैं। काफी दिनों से पापुलर फ्रंट द्वारा राज्य में आतंक फैलाने की साजिश चल रही है। ये घटनायें उनकी सोची-समझी रणनीति का ही हिस्सा हैं। ये सारे आतंकी कार्य पापुलर फ्रंट द्वारा सुनियोजित तरीके से किये जा रहे हैं।

घटना के पश्चात केरल सरकार ने उच्च न्यायालय को बताया कि पापुलर फ्रंट का सीधा संबंध प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन सिमी से है और यही संगठन राज्य में आरएसएस और सीपीएम के कार्यकर्ताओं पर हुए 7 हमलों के लिए जिम्मेदार है । 4 जुलाई, 2010 को तालीबानी तरीके के हमले में प्रो. टी. जे. जोसेफ के दाहिने हाथ को धारदार हथियार से पापुलर फ्रंट की राजनीतिक इकाई सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया के कार्यकर्ताओं द्वारा काट डाला गया था। कारण बताया गया था कि प्रो. जोसेफ ने परीक्षा के प्रश्न-पत्र में मोहम्मद साहब के बारे में एक प्रश्न पूछ लिया था। नेशनल इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी इस मामले में जांच कर रही है। पापुलर फ्रंट ने जांच के निष्कर्ष की प्रतीक्षा किये बिना ही घटना को अंजाम दे दिया।

विशाल निशाने पर था-विशाल, संघ का समर्पित युवा कार्यकर्ता। उन्होंने अपने गांव में संघ का कार्य शुरू किया और समीपवर्ती गांवों में भी नयी शाखा शुरू की थी। उसके संपर्क के परिणामस्वरूप वहां के हिन्दू दुष्प्रवृत्ति वाले मुस्लिम संगठनों के खिलाफ लामबंद होने लगे थे। उन्होंने ‘लव जिहाद’ के खिलाफ लोक जागरण अभियान शुरू किया था। जिहादियों ने ग्रामीणों का जीना दूभर कर रखा था। नशीले पदार्थों की तस्करी कर रहे थे। तमाम प्रकार की असामाजिक गतिविधियों में शामिल लोगों के कार्यों के खिलाफ विशाल और उनके अन्य साथी ग्रमीणों की भरपूर सहायता कर रहे थे। उन्होंने उनकी कई योजनाओं को ध्वस्त किया था। विशाल ने विद्यालयों में सांप्रदायिक प्रचार के खिलाफ अभियान चला रखा था। इन सब कारणों से वे आतंकियों के निशाने पर थे। मुस्लिम जिहादियों ने उन्हें समाप्त करने का फरमान जारी कर दिया था, जो उनकी हत्या के रूप में घटित हुआ।

संघ को समर्पित- संघ की विचारधारा के प्रति विशाल पूरी तरह निष्ठावान और समर्पित थे। वे सदैव संघ कार्य की चिंता करते रहते थे। उनका जीवन, उनकी शिक्षा, उनका कार्य सब कुछ संघ और उसके माध्यम से राष्ट्र के लिए था, वे यथाशीघ्र प्रचारक बनना चाहते थे। संघ कार्य की व्यस्तता के चलते उनकी पढ़ाई रुक गयी थी, यद्यपि वे कुशाग्र बुद्धि के छात्र थे। संघ के अधिकारी उन्हें पहले पढ़ाई पूरी करने के लिए कहते रहते थे। सबकी इच्छा थी कि वे कम से कम पोस्ट ग्रैजुएशन पूरा कर लें। सबकी सलाह पर उन्होंने कोन्नी कॉलेज में बी. एससी. में प्रवेश ले लिया था। परीक्षा के लिए केवल 45 दिन बचे थे। वे पूरी तन्मयता से परीक्षा की तैयारी कर रहे थे।

जड़ों की तलाश- विशाल का जीवन अचंभों से भरा था। उनका जन्म सऊदी अरब में हुआ था और प्राथमिक शिक्षा लंदन में शुरू हुयी थी। किन्तु उनका सात्विक हृदय वहां की भोगवादी जीवन शैली से कभी भी प्रभावित नहीं हुआ। अपने खाली समय में वे इंटरनेट पर भारत में अपनी जड़ों को ही तलशते रहते थे। भारतीय संस्कृति, संस्कृत भाषा और पवित्र परंपराओं का सूक्ष्म ज्ञान प्राप्त करते रहते थे। युवा विशाल ने देश की सांस्कृतिक परंपरा और प्राचीन धरोहरों के कल्याण के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित करने की शपथ ले रखी थी। अपने व्यापक संपर्क और अध्ययन से उन्होंने यह जान लिया था कि लक्ष्य की ओर बढ़ने में उनको आधार भूमि देने वाला एक ही संगठन है- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ। इसके माध्यम से ही वे अपना स्वप्न साकार कर सकते हैं। इसलिए उन्होंने अपने माता-पिता से भारत आकर अपने गांव में निवास करते हुए शिक्षा ग्रहण करने और संघ के माध्यम से राष्ट्र की सेवा करने की अनुमति मांगी। यद्यपि उनके माता-पिता नहीं चाहते थे कि वे उन्हें छोड़कर भारत आये, किन्तु विशाल के हठ के आगे उन्हें झुकना पड़ा। विशाल के माता-पिता उनसे अलगाव सहन नहीं कर पा रहे थे, इसलिए बार-बार उन्हें लंदन ले जाते थे। अन्ततोगत्वा उन्होंने विशाल को भारत में रहकर कार्य करने की पूरी छूट दे ही दी। उनके पिता श्री वेणुगोपाल दु:खी मन से कहते हैं। ‘‘हमारा बेटा हमेशा अपनी माताजी से कहा करता था कि वृद्धावस्था में वह उनकी सेवा नहीं कर पा रहा है। यही बात उनकी माताजी को ज्यादा कष्ट पहुंचा रही है।’’ विशाल अपने पिताजी से कहा करते थे कि भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद और स्वामी विवेकानंद इत्यादि केवल अपने परिवार की चिंता करते और उनके लिए ही कार्य करते, तो क्या भारत को स्वतंत्रता मिल सकती थी। उनकी सोच और कार्य उनकी उम्र के बच्चों की सोच से बहुत आगे थी। एक बार विशाल को पता चला कि उनका एक मित्र धन के अभाव में अपनी पढ़ाई जारी नहीं रख पा रहा है। उन्होंने अपनी नई मोटर साइकिल बेच दी और उससे मिला पैसा अपने मित्र को पढ़ाई के लिए दे दिया। इसी तरह वे चार गरीब बच्चों की पढ़ाई का पूरा खर्चा वहन कर रहे थे।

यह कोई आकस्मिक घटना नहीं थी। पिछले कुछ दिनों से इस तरह की कई घटनायें हो चुकी हैं। सभी घटनायें एक ही तरह की हैं। काफी दिनों से पापुलर फ्रंट द्वारा राज्य में आतंक फैलाने की साजिश चल रही है। ये घटनायें उनकी सोची-समझी रणनीति का ही हिस्सा हैं। ये सारे आतंकी कार्य पापुलर फ्रंट द्वारा सुनियोजित तरीके से की जा रहे हैं।

त्याग हमारा राष्ट्रीय मूल्य- इसी 15 जुलाई को विशाल ने शाखा के समीप गुरुपूजन समारोह में हिस्सा लिया था। इसके एकदम 24 घण्टे बाद ही जिहादी आतंकियों द्वारा उन पर प्राणघातक हमला किया गया। गुरुपूजन समारोह में उन्होंने बच्चों को प्रेरणादायी बौद्धिक दिया था। उन्होंने त्यागपूर्ण जीवन को देश की वास्तविक विशेषता बताया। हिन्दू जीवन में उसे ही सदैव स्मरण किया जाता है, जो अपनी मातृभूमि और जननी के लिए सर्वस्व न्यौछावर कर दे। शाखा के जिन स्वयंसेवकों ने उनका बौद्धिक सुना, उन्हें आज भी उनके कथन याद हैं।

यह एक दु:खद सत्य है कि विशाल अब हमारे बीच में नही रहे। उनकी अंतिम यात्रा में हजारों लोग शामिल हुये थे। लंदन से उनके माता-पिता भी आ गये थे। उस समय हर जगह दु:खद माहौल में भी उनके जीवन से प्राप्त प्रेरणा की ही झलक मिल रही थी। अंतिम संस्कार के उपरांत विशाल के बड़े भाई विपिन ने दबे स्वर में एक गीत गाया। उनके पिता जी ने जब पूछा कि इस गमगीन वातावरण में तुम्हारे मुख से गीत कैसे निकला, तो उन्होंने कहा कि यह गीत उन्हें उनके प्रिय विशाल ने ही सुनाया था। मलयालम गीत है- ‘जीविथम् अम्बे निन पूजायक्काय, मरानम देवी निन महिमायक्काय’ जिसका आशय है- यह जीवन, हे मां! तुम्हारी सेवा के लिए है और मृत्यु, हे मां! तुम्हारी कृपा पर है।

दो दिन के पश्चात जब संघ के प्रांतीय अधिकारी विशाल के पिताजी से भेंट करने उनके घर गये, तो उनके पिताजी ने कहा, ‘‘हम लोग संघ के समर्थक नहीं थे। वस्तुत: हम वामपंथी थे। किन्तु हमारे बेटे ने अपने जीवन और समर्पण के द्वारा हमारा पूरा जीवन ही बदल दिया है, उसका अब तक जो कुछ भी था, वह अब राष्ट्र का है और हम लोग भी अब विशाल के द्वारा दिखाये गये मार्ग पर चलकर संघ के माध्यम से राष्ट्र की सेवा करेंगे।’’

यह एक ध्रुव सत्य है। कोई भी राष्ट्र विरोधी ताकत संघ के कार्य में बाधा नहीं खड़ी कर सकती। इस्लामिक आतंकवादी इस तरह के आपराधिक कार्यों से देशभक्त परिवारों में भय का निर्माण करने का कार्य कर रहे हैं। किंतु वे विशाल के परिजनों, उनके सहयोगियों और अमन पसंद समाज के लोगों के संकल्प के आगे हार गये हैं।

विशाल कहीं गये नहीं हैं, वे अपने अग्रज विपिन के रूप में आज भी संघ में हैं। देश और हिंदू समाज की निःस्वार्थ सेवा का उनका संदेश मजबूती से फैलेगा। त्यागपूर्ण राष्ट्रसेवा के कार्य से उन्हें हम हमेशा अपने बीच महसूस करते रहेंगे। हम देखेंगे कि एक विशाल हजारों जिहादियों का सामना करने के लिए हमेशा तैयार रहेगा।

 

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