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हर सरकारी ऑफिस में बजेगी BSNL व MTNL की घंटी

by हिंदी विवेक
in ट्रेंडींग, राजनीति, विशेष
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भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) और महानगर टेलीफ़ोन निगम लिमिटेड (MTNL) करीब घाटे में ही चल रहे है जिसके बाद केंद्र सरकार ने करीब 90 हजार से अधिक लोगों को वालेंटरी रिटायरमेंट दे दिया। हालांकि सरकार के इस फैसला का जमकर विरोध भी हुआ था लेकिन यही सच्चाई है कि सरकार ने काम ना करने वालों को बाहर का रास्ता दिखा दिया। केंद्र सरकार इन दोनों सरकारी दूरभाष सेवाओं पर करोड़ों रुपये खर्च करती है लेकिन इससे सरकार को कोई भी फायदा नहीं हो रहा था और यह पूरी तरह से घाटे में चल रही थी।

केंद्र ने वीआरएस के फैसले के बाद अब BSNL और MTNL को लेकर एक और बड़ा फैसला किया है। सरकार के इस फैसले के तहत अब सभी मंत्रालय, सरकारी विभागों, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) और महानगर टेलीफ़ोन निगम लिमिटेड (MTNL) की सेवा लेना अनिवार्य कर दिया गया है। सरकार की तरफ से इसके लिए एडवाइजरी भी जारी कर दी गयी है। केंद्र सरकार की तरफ से इस मेमोरेंडम को वित्त मंत्रालय से भी साझा किया गया फिर इसे बाकी मंत्रालयों को भेजा गया है। केंद्र सरकार ने इस ज्ञापन में कहा है कि सभी मंत्रालय, सरकारी विभाग और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को BSNL और MTNL का कनेक्शन लेना अनिवार्य होगा। इस कनेक्शन के तहत लैंडलाइन, लीजलाइन, ब्रॉड बैंड और इंटरनेट की सेवा दी जायेगी।

BSNL और MTNL के लिए सरकार की यह स्कीम बहुत ही फायदेमंद साबित होने वाली है क्योंकि इस स्कीम से जहां सरकार को फायदा होगा वहीं इन डूबती कंपनियों को भी राहत मिल जायेगी। इतना ही नहीं BSNL और MTNL के लगातार गिरते ग्राफ पर भी लगाम लग सकती है। वर्ष 2019-20 में BSNL को 15500 करोड़ का नुकसान हुआ था। इसके साथ ही वायरलाइन कनेक्शन में भी तेजी से गिरावट दर्ज की गयी है। BSNL के पास वर्ष 2008 में कुल 2.9 करोड़ कनेक्शनधारक थे जबकि वर्ष 2020 में यह संख्या घटकर 80 लाख पर आ गयी। वहीं MTNL में भी तेजी से गिरावट दर्ज की गयी है। वर्ष 2019-20 में 3694 करोड़ का घाटा कंपनी को हुआ है जबकि वर्ष 2008 में कनेक्शनधारक की संख्या 35.4 लाख थी जो अब सिर्फ 30.7 लाख बची है।

उपरोक्त आंकड़ो से यह साफ होता है कि BSNL और MTNL दोनों ही टेलिकॉम कंपनियों में तेजी से गिरावट का सफर तय किया है और इसके लिए इसके कर्मचारी और सरकार की नीतियां जिम्मेदार है। टेलिकॉम मंत्रालय की नीतियों के चलते ग्राहक लगातार कम होते है जबकि प्राइवेट टेलिकॉम कंपनियों ने इसका फायदा उठाते हुए जमकर कई हजार करोड़ का व्यापार कर लिया। सूत्रों की मानें तो प्राइवेट कंपनियों को आगे बढ़ाने में कुछ नेताओं ने मदद की थी और उसके बदले में उन्हे मोटी रकम भी दी गयी थी।

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