हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
मातृत्व

मातृत्व

by दिशा पेडणेकर
in नवम्बर- २०१२, सामाजिक
0

फूल-सा नाजूक, जल-सा पवित्र, चांदनी-सा निर्माल होता है, शिशु का नाजुक स्पर्श और उससे भी कहीं पवित्र, महान और अनमोल होता है मां बनने का एहसास, जिसे सिर्फ एक मां ही समझ सकती है।

मां बच्चे का प्राथमिक आहार-स्त्रोत ही नहीं होती, बल्कि स्पर्श अनुभव, संवेदनाओं और भावनाओं की पहली पाठशाला भी होती है।

शिशु फूल की तरह कोमल व नाजुक होते हैं। ऐसे मे जरूरी है उनकी सही देखभाल और उचित परवरिश की, जिसके लिए जरूरी है मां का प्यार और गहरी समझ। शिशु की हरकतों एवं खामोशिया के जरिए, उसकी जरुरतों एवं इच्छाओं को समझने का।

देखते ही देखते नवजात शिशु इतना बड़ा हो जाता है कि वह आपको तोतली भाषा में मम्मा कहना भी सीख लेता है। यदि आप भी उसकी विकासावस्था को जानना चाहती हैं तो थोड़ासा धैर्य व तेज नजर चाहिए बस।

मां के रक्त माज की डोर से बंधा शिशु पूर्णतया मां पर ही निर्भर होता है। यद्यपि पूरा परिवार शिशु की परिचर्या के लिए आतुर होता है, किंतु माँ जैसा स्नेह, सुरक्षा व देखरेख कोई चाहकर भी नहीं कर सकता, नवजात शिशु की मां रातों को भी जाग-जाग कर होती है, कहीं नन्हे का पाव तो नही दब गया। कहीं नन्हा गीले बिस्तर में तो नहीं पड़ा। ऐसी अवस्थ में जब शिशु बोलना नही जानता व यहां तक कि अपने संकेतों से भी मन की बात कह पाने में असमर्थ होता है तो मां उसके बिना कुछ कहे ही सारी बात जान लेती है। शिशु रोकर, बैचैन होकर या दूध न पीकर अपनी मां से क्या कहता है। मां झट से इन लक्षणों को पहचान कर प्राथमिक उपचार देती है। धीरे-धीरे बच्चा बड़ा होता है, उसकी समझ, जरूरतें बढ़ती हैं। माता-पिता भी उसे खुशी-खुशी पूरा करते हैं, परंतु कितनी बार बच्चे के स्वभाव में कुछ ऐसी बातें आ जाती हैं, जिन्हें समझना माता-पिता के लिए कठिन हो जाता हैं।

पुरुषों में छिपा ममत्व

सिर्फ माता में ही नहीं पिता में भी अपने बच्चों के लिए मातृत्व छिपा होता है।

आज की पीढ़ी को जानकर अचरज होगा कि आज से पहले चार-पांच पुरानी पीढ़ी वाले पुरुष अपने बच्चों की देखभाल तो दूर उन्हें गोद में उठाना तक अपनी मर्दानगी के खिलाफ समझते थे। उनके लिए पुरुष से पिता होने का सफर घर को एक चिराग या वारिस देने से ज्यादा और कुछ नहीं था। पुरुष कमाता और औरत घर चलाती। पुरुष का पुरुष होना उसके पिता होने तक ही सीमित था। लेकिन आज वक्त बदल गया है, ममता एवं वात्सल्य जैसे शब्दों का अर्थ पिता के बाते में भी दर्ज होने लगा है। पिता आज सिर्फ दो जून की रोटी की दौड में ही नहीं बच्चों की परवरिश में भी योगदान दे रहा है। समय के चलते पिता के भीतर स्त्री का हृदय एवं मां की ममता भी उभर कर सामने आने लगी है। आज पुरूष खाना बनाने से लेकर बच्चों की देखभाल करने तक सब कुछ हंसी-खुशी करता है। उसकी मर्दानगी काम और जिम्मेदारियों में विभाजित नहीं होती। शायद यही कारण है कि आज पुरुष भी दफ्तर के साथ-साथ घर की ओर भी उन्मुख हो रहा है।

आज का पुरुष स्त्री कि जिम्मेदारियों को समझता है, उसकी मेहनत एवं जीवन में उसके महत्व तथा योगदान को पहचानता है, उसे इस बात को बोध होने लगा है कि एक अच्छे संबंध एवं जीवन में स्त्री-पुरुष रथ के पहिए के समान हैं। जिसमें दोनों का एक साथ चलना बेहद जरुरी है।

आज पुरुष पिता होने का अर्थ जानता है। इस उपलब्धि में छिपी अपनी भूमिका व जिम्मेदारियों को न केवल उठाने का दम रखता है, बल्कि उसमे आनंद भी पाता है। बच्चे के प्रति पुरुष की यह स्थिति एवं लक्षण पिता में आए बदलाव एवं छिपी ममता को दर्शाते है।

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: babychildhindi vivekhindi vivek magazinemothermotherhood

दिशा पेडणेकर

Next Post
गणित का चमत्कार ‘श्रीनिवास रामानुजन’

गणित का चमत्कार ‘श्रीनिवास रामानुजन’

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0