हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
विश्व बाजार में उभरता  भारतीय वस्त्र उद्योग

विश्व बाजार में उभरता भारतीय वस्त्र उद्योग

by अरुण आनंद
in उद्योग, दीपावली विशेषांक नवम्बर २०२०
0

सकारात्मक संकेत यह है कि मौजूदा सरकार वस्त्रोद्योग क्षेत्र में ढांचागत सुधार कर इसे फिर से पटरी पर लाकर तेज गति देने की दिशा में प्रयास कर रही है। ’मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के माध्यम से भारत को निर्माण तथा निर्यात का हब बनाने का अभियान चल ही रहा है।

वस्त्र उद्योग औद्योगिक उत्पादन, रोजगार सृजन और निर्यात आय में महत्वपूर्ण योगदान के माध्यम से भारतीय अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस उद्योग द्वारा दुनिया भर को कई प्रकार के उत्पाद निर्यात किए जाते हैं मसलन कपास, प्राकृतिक और मानव निर्मित फाइबर, रेशम आधारित वस्त्र, बुना हुआ परिधान और अन्य सामान। भारत वर्तमान में वस्त्रों के विश्व निर्यात में लगभग 4.5% की हिस्सेदारी रखता है। भारत में कपड़ा व परिधान उद्योग सबसे पुराने उद्योगों में से है। वर्तमान में, इसके सामने अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू चुनौतियों की भरमार है। पड़ोसी देशों जैसे चीन, बांग्लादेश, वियतनाम और तुर्की से बढ़ती प्रतिस्पर्धा एक प्रमुख चुनौती है। इसके अलावा सूती कपड़े, एपेरल और कालीनों जैसे प्रमुख निर्यात उत्पादों की सुस्त होती मांग तो पहले से ही परेशान कर रही थी, अब कोविड-19 के कारण दुनिया भर में आई मंदी से ये मांग और भी सुस्त हो गई है। पूर्व में यूरोपीय संघ व अमेरिका भारत से वस्त्रों व कपड़े के बडे आयातक थे, पर लंबे समय तक उपेक्षा के कारण प्रौद्योगिकी अपग्रेडेशन की कमी, अकुशल बुनियादी ढांचे और खंडित उद्योग संरचना के कारण भारत इस बाजार में कमजोर स्थिति में आ गया था।

लेकिन सकारात्मक संकेत यह है कि मौजूदा सरकार वस्त्रोद्योग क्षेत्र में ढांचागत सुधार कर इसे फिर से पटरी पर लाकर तेज गति देने की दिशा में प्रयास कर रही है। ’मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम के माध्यम से भारत को निर्माण तथा निर्यात का हब बनाने का अभियान चल ही रहा है।

भारत के टेक्स्टाइल सेक्टर को कैसे सुधार जा सकता है, उसके सामने क्या चुनौतियां हैं और उनके समाधान क्या हैं, इस संदर्भ में कपड़ा मंत्रालय की ओर से भारतीय विदेश व्यापार संस्थान (आईआईएफटी), नई दिल्ली ने वैश्विक ब्रांडों के लिए उत्पादों की खरीद और उनके सामने आने वाली मुख्य चुनौतियों की पहचान करने के लिए एक अध्ययन किया है। यह विशेष रूप से बुनियादी ढांचे, कच्चे माल की उपलब्धता, कपड़ों की कीमतों, नेटवर्किंग क्षमता, बड़ी और छोटी मांग के प्रबंधन और नई प्रौद्योगिकी को अपनाने की क्षमता के संदर्भ में आपूर्तिकर्ताओं द्वारा सामना की जाने वाली मुख्य चुनौतियों पर भी गौर करता है। इस अध्ययन ने कुछ ठोस सुझाव दिए हैं, जिसका उपयोग भारत को वैश्विक सोर्सिंग हब बनाने के लिए बेहतर नीति विकसित करने के लिए किया जा सकता है।

भारत के कपड़ा निर्यात सेक्टर का विश्लेषण बताता है कि पिछले 10 वर्षों में देश के विभिन्न कपड़ा और परिधान निर्यात में हिस्सेदारी के अनुसार उत्पाद वितरण में काफी बदलाव आया है। 2013 के बाद से कपड़ा क्षेत्र में विश्व व्यापार में भारत का हिस्सा लगभग 3.5 प्रतिशत से 4.7 प्रतिशत तक पहुंच गया है।

भारत का वस्त्र उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था के सबसे पुराने उद्योगों में से एक है। कई शताब्दियों से यह भारतीय व्यापार का अभिन्न व प्रमुख अंग रहा है। हमारा वस्त्र उद्योग विविधता से परिपूर्ण है। इसमें एक ओर हाथ से बनाया जाने वाला कपड़ा व परिधान हैं, दूसरी ओर मशीनों से निर्मित वस्त्र भी हैं। विकेन्द्रीकृत पॉवर लूम,  होजरी और बुनाई क्षेत्र इस कपड़ा क्षेत्र में सबसे बड़ा घटक है। वस्त्र उद्योग का कृषि (कपास जैसे कच्चे माल के लिए) और वस्त्रों के मामले में देश की प्राचीन संस्कृति और परंपराओं के साथ निकटता का संबंध इसे अन्य उद्योगों की तुलना में अद्वितीय बनाता है। भारत का कपड़ा उद्योग घरेलू तथा विश्व बाजार के लिए विविध उत्पादों का उत्पादन करने की क्षमता रखता है।

बाजार का आकार

वित्त वर्ष 19 में भारत के कपड़ा उद्योग ने उत्पादन में सात प्रतिशत का योगदान दिया तथा भारत की जीडीपी में दो प्रतिशत का योगदान दिया। भारत की निर्यात आय में इस क्षेत्र का योगदान 15 प्रतिशत था। कपड़ा उद्योग में देश भर में 35.22 लाख हथकरघा श्रमिकों सहित लगभग 4.5 करोड़ अन्य कार्यरत श्रमिक हैं। घरेलू कपड़ा और परिधान का बाजार अनुमानित 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।

निवेश

कपड़ा क्षेत्र में पिछले पांच वर्षों के दौरान निवेश में तेजी देखी गई है। इस उद्योग ने अप्रैल 2000 से मार्च 2020 तक 3.44 बिलियन अमेरिकी डॉलर के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आकर्षित किया।

सरकार की पहल

भारत सरकार कपड़ा क्षेत्र के लिए कई निर्यात प्रोत्साहन नीतियों को लेकर आई है। इसने स्वचालित मार्ग के तहत क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी है। इसके अलावा मोदी सरकार ने इस सेक्टर को वैश्विक बाजार में स्थापित करने के लिए और भी कई कदम उठाए हैं। भारत सरकार द्वारा की गई पहल हैं:

-केंद्रीय बजट 2020-21 के तहत, 1,480 करोड़ रुपये (211.76 मिलियन अमेरिकी डॉलर) के अनुमानित परिव्यय पर 2020-21 से 2023-24 तक की अवधि के लिए एक राष्ट्रीय तकनीकी कपड़ा मिशन प्रस्तावित है।

-आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने वर्ष 2019-20 के लिए जूट सामग्री में खाद्यान्न और चीनी की अनिवार्य पैकेजिंग को मंजूरी दी।

-सितंबर 2019 में, प्री-जीएसटी की अवधि की तुलना में कपड़ा निर्यात में 6.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

-विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने कपड़ा उद्योग के दो सब-सेक्टर – रेडीमेड कपड़ों और व्यापारियों के लिए मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट्स फॉर इंडिया स्कीम (एमईआईएस) के तहत प्रोत्साहन के लिए दरों में संशोधन किया है।

-सरकार ने 2018-2020 के दौरान निर्यात को बढ़ावा देने, एक करोड़ रोजगार के अवसर पैदा करने और 80,000 करोड़ रुपये  (11.93 बिलियन डॉलर) के निवेश को आकर्षित करने के लिए 31 बिलियन अमेरिकी डॉलर के विशेष पैकेज की घोषणा की। अगस्त 2018 तक, इसने 25,345 करोड़ रुपये (3.78 बिलियन डॉलर) और 57.28 बिलियन  रुपये (854.42 मिलियन डॉलर) मूल्य का अतिरिक्त निवेश सुनिश्चित किया।

-भारत सरकार ने 2022 तक 35 लाख लोगों के लिए रोज़गार सृजित करने और 95,000 करोड़ रुपये के निवेश को सक्षम बनाने के लिए अनुमानित प्रौद्योगिकी उन्नति निधि योजना (ए-टफ्स) सहित कई उपाय किए हैं।

-2017-18 और 2019-20 के दौरान गुणवत्ता बढ़ाने और उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से एकीकृत ऊन विकास कार्यक्रम  को मंजूरी दी गई थी।

-आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 2017-18 से 1,300 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ ’वस्त्र क्षेत्र में क्षमता निर्माण योजना’  नामक एक नई कौशल विकास योजना को मंजूरी दी।

इन प्रयासों के चलते पिछले चार से पांच वर्षों में कई उपलब्धियां हासिल हुईं।

पिछले चार वर्षों में सरकार की उपलब्धियां निम्नलिखित हैं:

-2019 तक, भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के अनुसार 348 तकनीकी वस्त्र उत्पाद विकसित किए गए थे।

– आई-एटीएफएस नाम से एक वेब-आधारित दावों की निगरानी और ट्रैकिंग करने वाली व्यवस्था 21 अप्रैल, 2016 को लॉन्च  की गई थी।

-381 नए ब्लॉक स्तरीय क्लस्टर स्वीकृत किए गए थे।

-इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल पार्क योजना के तहत, 59 टेक्सटाइल पार्क स्वीकृत किए गए थे, जिनमें से 22 को पूरा कर लिया गया है।

 

 

 

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: businessbusiness ownerbusinesscoachbusinesslifebusinessmanbusinesswomenhindi vivekhindi vivek magazinemsme

अरुण आनंद

Next Post
फिल्मी वेशभूषा  भानुमति का पिटारा

फिल्मी वेशभूषा भानुमति का पिटारा

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

- Select Visibility -

    No Result
    View All Result
    • परिचय
    • संपादकीय
    • पूर्वांक
    • ग्रंथ
    • पुस्तक
    • संघ
    • देश-विदेश
    • पर्यावरण
    • संपर्क
    • पंजीकरण

    © 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

    0