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वस्त्र कामगारों के लिए कल्याणकारी योजनाएं

वस्त्र कामगारों के लिए कल्याणकारी योजनाएं

by हिंदी विवेक
in उद्योग, दीपावली विशेषांक नवम्बर २०२०
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वस्त्र मंत्रालय समय-समय पर वस्त्र कामगारों को लाभान्वित करने वाली योजनाओं की निगरानी करता रहता है। कामगार और उनके लिए बनाई गई विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की लगातार बेहतरी मंत्रालय की सर्वोच्च प्राथमिकता है। केंद्र सरकार ने वस्त्र उद्योग से हर क्षेत्र में ऐसी योजनाएं शुरू की हैं। 

जैसा की विदित है कि वस्त्रोद्योग भारत के प्राचीनतम एवं विशालतम उद्योगों में से एक है। पुरातात्विक अध्ययनों एवं सर्वेक्षणों से ज्ञात होता है कि हड़प्पा सभ्यता के लोगों को कताई एवं बुनाई का ज्ञान था, वस्त्र उद्योग की यह लंबी विकास की यात्रा आज भी जारी है। देश के करोड़ों  कामगारों की आजीविका इस उद्योग से जुड़ी हुई है और करोड़ों नए लोगों को इस उद्योग से जोड़ने का प्रयास जारी है। भारत सरकार का निरंतर प्रयास रहा है कि वस्त्र उद्योग के कामगारों को काम करने के लिए एक स्वस्थ वातावरण मिले ताकि गुणवत्तापरक और प्रतिस्पर्धात्मक उत्पाद उत्पादित करने में सहायक सिद्ध हो सके तथा वह वस्त्र उद्योग से जुड़े सभी कामगारों के लिए कल्याणकारी हो सके। वस्त्र उद्योग का आकार विशाल होने के कारण वस्त्र उद्योग के विभिन्न क्षेत्रों में वहां के कामगारों की आवश्यकताओं के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रकार की कल्याणकारी योजनाएं भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही है, जिनमें सेकुछ मुख्य योजनाएं निम्नलिखित हैं।

विद्युतकरघा क्षेत्र: कल्याणकारी योजनाएं

समूह बीमा योजना (जीआईएस):

विद्युतकरघा क्षेत्र के कामगारों की निम्नतम आय एवं अस्वस्थकर जीवन स्थितियों के कारण वे किसी जीवन बीमा या स्वास्थ्य बीमा में शामिल नहीं हो पाते। यह बीमा योजना जुलाई, 2003 में आरंभ की गई थी और 12वीं पंचवर्षीय योजना में भी जारी है। यह योजना, वस्त्र मंत्रालय के सम्बध्द वस्त्र आयुक्त का कार्यालय (मुंबई) द्वारा क्रियान्वित की जाती है जिसके अंतर्गत निम्नलिखित लाभ उपलब्ध है:

क) प्राकृतिक मृत्यु पर 60,000 रुपए

ख) दुर्घटनावश मृत्यु पर 150,000 रुपए

ग) दुर्घटनावश स्थायी विकलांगता पर ,1,50,000 रुपए।

घ) दुर्घटनावश आंशिक विकलांगता पर 75,000 रुपए

इसके अतिरिक्त शिक्षा सहयोग योजना (एसएसवाई) के अंतर्गत बीमित व्यक्ति के दो बच्चों को कक्षा 9वीं से कक्षा 12वीं तक की पढ़ाई हेतु अधिकतम 2400 रुपए प्रतिवर्ष के शिक्षा अनुदान का प्रावधान भी है। इस बीमा योजना के 470 रुपए के वार्षिक बीमा प्रीमियम में से केवल 80 रुपए का अंशदान ही बुनकर को करना है, शेष धनराशि का अंशदान भारत सरकार द्वारा किया जाएगा।

वस्त्र कामगार पुनर्वास निधि योजना

(टीडब्ल्यु आरएफएस): इस योजना के अंतर्गत किसी वस्त्र इकाई या उसके किसी आंशिक हिस्से के स्थाई रूप से बंद होने के कारण वहां कार्यरत कामगारों के बेरोजगार होने की स्थिति में उन कामगारों को अंतरिम राहत प्रदान करने का प्रावधान है। अगस्त 2016 तक भारत के विभिन्न राज्यों में बंद पड़ी 98 मिलों के 1,17,751 कामगारों को 319.66 करोड रुपए की राहत का वितरण किया गया है।

हथकरघा क्षेत्र: कल्याणकारी योजनाएं

विद्युतकरघा क्षेत्र की भांति हथकरघा क्षेत्र के बुनकरों की आर्थिक एवं सामाजिक परिस्थितियां भी लगभग एक समान हैं। हथकरघा बुनकरों का विस्तार देश के सुदूर जनजातियों आदिवासी क्षेत्रों तक फैला हुआ है। इस वजह से इनका सामाजिक सुरक्षा जीवन अधिक जटिल होता है। भारत सरकार द्वारा हथकरघा के बुनकरों की सामाजिक सुरक्षा को सुनिश्चित करने हेतु विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं जिनमें से मुख्य योजनाएं निम्नलिखित हैं:

महात्मा गांधी बुनकर बीमा योजना

(एमजीबीबीवाई): महात्मा गांधी बुनकर बीमा योजना का मुख्य उद्देश्य हथकरघा क्षेत्र के बुनकरों को बीमा सुरक्षा प्रदान करना है।

इस योजना के अंतर्गत बीमित बुनकर को निम्नलिखित लाभ प्रदान होंगे:

क) प्राकृतिक मृत्यु पर 60,000 रुपए

ख) दुर्घटनावश मृत्यु पर 150,000 रुपए

ग) दुर्घटनावश स्थायी विकलांगता पर 1,50,000 रुपए।

घ) दुर्घटनावश आंशिक विकलांगता पर 75,000 रुपए

स्वास्थ्य बीमा योजना (एचआईएस)

12वीं पंचवर्षीय योजना में आर्थिक मामलों संबंधी मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) ने श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (आरएसबीवाई) के पैटर्न पर स्वास्थ्य बीमा योजना को मंजूरी दी है यह योजना अब स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय देख रहा है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने दिनांक 29 मार्च 2016 को हथकरघा बुनकरों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के लाभ पहुंचाने के संदर्भ में एक विस्तृत आदेश जारी किया जिसके तहत अस्पताल में भर्ती रोगी को 30,000 रुपए की बीमा सुरक्षा का प्रावधान है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (आरएसबीवाई) अभी देश के 19 राज्यों में कार्यान्वित है।

इन राज्यों में असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, उड़ीसा,  पंजाब, राजस्थान, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल शामिल है।

मंत्रिमंडल के निर्णय के अनुसार स्वास्थ्य बीमा योजना (एचआईएस) का क्रियान्वयन तमिलनाडु में (जहां पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना कार्यान्वित नहीं है) राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के स्वरूप पर किया गया, जिसके अंतर्गत अस्पताल में भर्ती हुए रोगी को 30,000 रुपए और बाह्य रोगी के लिए 7500 रुपए कि भारत सरकार की सहायता का प्रावधान है दिनांक 01 अक्टूबर,  2015 से अब तक 1,44,294 बुनकर इस योजना में नामांकित हो चुके हैं।

हस्तशिल्प क्षेत्र के बुनकरों के लिए कल्याणकारी योजनाएं

देश के शहरों से लेकर दूरदराज के ग्रामीण एवं जनजातियों आदिवासी इलाकों तक फैले समृद्ध हस्तशिल्प उद्योग से जुड़े शिल्पियों के कल्याण एवं उनको सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने हेतु भारत सरकार हस्तशिल्प उद्योग के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं चला रही है:

राजीव गांधी शिल्पी स्वास्थ्य बीमा योजना:

यह योजना प्रायोगिक आधार पर वर्ष 2006-07 में आरंभ की गई और 11वीं और 12वीं योजना में भी इस योजना को जारी रखा गया है इस योजना का मुख्य उद्देश्य शिल्पी समुदाय तक चिकित्सा सुविधाओं का लाभ पहुंचाना है कि योजना में शिल्पी से 30 रुपए का पंजीकरण शुल्क लिया जाता है, भारत सरकार इस योजना के खर्च का 75 प्रतिशत वहन करती है एवं शेष 25 प्रतिशत खर्च का वहन राज्य सरकार द्वारा किया जाता है। जबकि जम्मू और कश्मीर तथा पूर्वोत्तर राज्य के मामले में कुल प्रीमियम का 90 प्रतिशत खर्च भारत सरकार द्वारा वहन किया जाता है। इस योजना में न केवल शिल्पी को बल्कि उनके परिवार के चार अन्य सदस्यों को भी स्वास्थ्य बीमा का लाभ मिलता है, जिनमें बीमित परिवार के किसी भी सदस्य के अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति में 30,000 रुपए एवं बाह्य रोगी को 7500 रुपए का बीमा सुरक्षा प्रावधान है। इस योजना को अब राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के साथ विलय कर दिया गया है। 1 अप्रैल, 2017 से स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय इस योजना का क्रियान्वयन करेगा। इस योजना में अब तक 23,74,938 शिल्पियों का नामांकन हुआ है।

जबकि वित्त समिति (ईएससी) के अनुमोदन से इस योजना का नाम आम आदमी बीमा योजना (एबीवाई) कर दिया गया। विगत तीन वित्तीय वर्षो (2013-14 से 2015-16) में और वर्तमान वित्तीय वर्ष 2016-17 में (जून 2016) तक 2,83,288 को इसे जोड़ा जा चुका है। वर्तमान में आम आदमी बीमा योजना को प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई) और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) के साथ विलय करने का प्रस्ताव है।

निर्धन शिल्पियों की आर्थिक सहायता :

इस योजना में वृद्धावस्था में शिल्पियों को आर्थिक सहायता तथा शिल्प गुरु पुरस्कार, राष्ट्रीय पुरस्कार, राष्ट्रीय योग्यता प्रमाण-पत्र, धारक हस्तशिल्प में राज्य पुरस्कार प्राप्त करने वाले शिल्पियों को जिनकी आयु 60 वर्ष से अधिक है और जिनकी वार्षिक आय 30,000 रुपए से कम है, ऐसी निर्धन शिल्प गुरुओं को 3,000/- रुपए प्रति माह की आर्थिक सहायता देने का प्रावधान है। वर्ष 2013-14 से 2016-17 तक 1035 शिल्पियों  को इस योजना के अंतर्गत 16,406  लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी गई है।

 

 

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