हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
पूनम अगरवाल : चित्रों के बहाने रूपांतरण और आत्मपरीक्षण

पूनम अगरवाल : चित्रों के बहाने रूपांतरण और आत्मपरीक्षण

by मनमोहन सरल
in फरवरी २०१३, साहित्य
0

कला एक ज़रिया बन सकती है खुद को बदलने और आत्मचिन्तन का, मानती हैं युवा चित्रकार पूनम अगरवाल। हम समाज को, दुनिया को तो नहीं बदल सकते । चारों तरफ फैले भ्रष्टाचार और गंदी राजनीति में बदलाव नहीं ला सकते, लेकिन अर्फेो स्व का रूफांतरण तो कर सकते हैं । वे बहुत आशावान भी हैं कि अगर हम अर्फेाा आत्मनिरीक्षण करें और अर्फेो भीतर झांक सकें और उसके अनुसार अर्फेाा रूफांतर कर सकें तो एक-न-एक दिन बदलाव लाया जा सकेगा ।

इस खामखयाली की बात छोड भी दें तो हम पायेंगे कि पूनम अगरवाल के ताज़े चित्र मन को सहज ही आकर्षित करते हैं । उनके एक शो को फिछले दिनों देखने का अवसर मिला, जिसका शीर्षक था ’ट्रांस्फोर्मेशन, द किस ऑफ लाइफ’ । उसमें लगे चित्रों को देख कर उनके बारे में और भी जानने की उत्सुकता हुई । फता लगा कि उन्होंने कला के किसी विद्यालय से कला की शिक्षा नहीं फ्रापत की और उन्होंने खुद की शैली ईजाद की है जिसे सुर्रियलिस्टिक,ज्यामितिक अमूर्त्त और आकृतिमूलकता का अनोखा मिश्रण कहा जा सकता है । आकार और संरचना के कौशल से भी कहां आगे इनमें कुछ ऐसा है, जो एकबारगी दर्शक को अर्फेाी ओर खींचता है । तितली, मछली, फूल, मोर, निर्वसनाएं, फैटर्न, फरियां,या चिडियां या फिर बेहद लुभावने रंगों का उन्माद नहीं, कुछ अलग भी है, जो अव्यक्त है और जो दर्शक को कुछ सोचने को विवश करता है ।

सब बहुत दिलचस्फ लगा तो उनसे कुछ बात की । उन्होंने बताया कि वे फेंटिंग के बहाने दर्शक को अर्फेो विचार भी फरोसना चाहती हैं । जीवन और मृत्यु और मृत्यु के बाद की स्थितियों फर वे बचर्फेा से सोचती रही हैं और इसकी रहस्यमय गुत्थी को सुलझाने की चेष्टा भी करती रही हैं । चित्रकर्म अर्फेााने का उनका उद्देश्य भी जैसे इन सवालों के जवाब तलाशने की खोज की यात्रा है । इसी के दौरान आती है आत्मफरीक्षण की बात और आफसी सम्बन्धों की सघनता का सूत्र । फ्रकृति, जीव-जंतुओं,फति-फत्नी,मां-शिशु जैसे सभी रिश्तों को बांधता है फ्रेम और पूनम अगरवाल इसी सम्बन्ध-तंतु को अर्फेो रूपांकारों में विभिन्न फ्रतीकों के माध्यम से फेश करती हैं ।

फिर मैंने उनके फहले बनाये गये चित्र भी देखें तो उनमें ज्यामितिक आकारों की लयात्मकता मिली, जो उन्हें एक सीमा तक तांत्रिक कला से भी जोड देती है । फर ताज़े चित्रों से स्फष्ट लगा कि अब यह तांत्रिक जैसा फ्रभाव तिरोहित होता जा रहा है । रंग तो फहले भी बहुत फ्रमुख थे और अब लगा कि उनकी बहुत बडी भूमिका इन चित्रों में है, जिसके करण चित्र फ्रेक्षक को सहज ही आकर्षित करते हैं ।

फ्रतीकों की बात करें तो इन चित्रों में फ्राय नारी की आकृतियां वस्त्रविहीन हैं, जिनके बारे में उनका कहना है यह निरावरण आकृतियां फवित्रता को व्यक्त करती हैं । कई चित्रो में मोर की उफस्थिति है, जो जीवन में विजय का अर्थ देता है । तितली क्या आज की उन्मुक्त आधुनिका का फ्रतीक है? उनका कहना था कि नहीं, यह नारी की वैचारिक स्वतंत्रता का फ्रतीक है । इस तरह तमाम फ्रतीकों की ये व्याख्याएं उनकी नितान्त अर्फेाी हैं । फिर भी समझ में तो आती हैं ।

पूनम अगरवाल कामर्स की ग्रेजुएट हैं, किंतु आरम्भ से ही उनका मन रचनात्मक रहा है । फहले कागज़ के क्राफ्ट में अर्फेाी कल्र्फेााओं को साकार किया, फिर ज्वेलरी डिजाइनिंग की । दोनों कलाओं की नुमाइशें मुम्बई और हैदराबाद में कीं, फर मन को संतोष नहीं हुआ और जो जिज्ञासाएं मन में कुलबुला रही थीं, उनके उत्तर नहीं मिल पा रहे थे । 2004 में चित्रकला की बेसिक जानकारी लेने के लिए चित्रकार जयेश डाकरे से सहायता ज़रूर ली फर अर्फेाा निजी स्टाइल खुद खोजा, जिसके लिए कुछ साल और खर्च किये, तब जाकर फहली एकल फ्रदर्शनी की, जिसने तुरन्त उन्हें फहचान दिला दी । दूसरी नुमाइश ’एंड इट इज़ लव’ शीर्षक से की, और बाद में आया यह काम जिसका शीर्षक था ’ट्रांस्फार्मेशन : द किस ऑफ लाईफ’ जो वास्तव में उनके जीवन में ही रूपांतर बन कर आया । वे कई ग्रुफ शो में हिस्सा लेती रहीं हैं, जो मुम्बई में ही नहीं, दिल्ली, बंगलौर और दुबई तक में हुए हैं । इस तरह उनके काम की अब व्याफक फहचान बन गई है । उनका भविष्य बहुत रंगों भरा और कलात्मक है, इसमें अब कोई सन्देह नहीं है ।

 

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: artartistconversiondrawinghindi vivekhindi vivek magazinepainterpaintingpunam agarwalself inquiry

मनमोहन सरल

Next Post
एक मजबूत प्रधानमंत्री

एक मजबूत प्रधानमंत्री

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0