सरोद को समर्पित ‘सरोदरानी’
सरोद जैसे मरदाने वाद्य को बजाकर ‘सरोदरानी’ के नाम से प्रसिद्ध हुई शरणरानी बाकलीवाल का जन्म 9 अप्रैल , 1929 ...
सरोद जैसे मरदाने वाद्य को बजाकर ‘सरोदरानी’ के नाम से प्रसिद्ध हुई शरणरानी बाकलीवाल का जन्म 9 अप्रैल , 1929 ...
दुनिया के हर हिस्से में, शहरों से लेकर गांवों की दीवारों और पानी की टंकियों पर ‘जल ही जीवन है’ ...
वह संगीतकारों के परिवार में पैदा हुईं। उनके पिता श्री कृष्णराव मजुमदार देवास दरबार के प्रसिद्ध गायक उस्ताद रजब अली ...
लगभग नाटे कद का व्यक्ति, खद्दर का सफेद कुर्ता-फाजामा फहने, जिसके कंधे फर लटका होगा खद्दर का ही झोला आफको ...
कला एक ज़रिया बन सकती है खुद को बदलने और आत्मचिन्तन का, मानती हैं युवा चित्रकार पूनम अगरवाल। हम समाज ...
नयना कनोडिया का जन्म यद्यफि फुणे में हुआ, किन्तु वे मूलत: राजस्थान की हैं । वे एक ऐसे फारम्फरिक मारवाड़ी ...
राजधानी की बहुचर्चित चित्रकार कंचन चन्द्र का कहना है कि ‘कला सामाजिक स्थितियों से उत्पन्न होती है। कला का सर्जक ...
भारत के प्राचीन महानतम संस्कृत के महाकवि साहित्यकार कालिदास मध्यप्रदेश की उज्जयनी नगरी से जुड़े और सर्वकालिक श्रेष्ठतम रचनाओं की ...
यद्यफि शुक्ला चौधुरी शान्तिनिकेतन में अर्फेाा स्नातक की फढाई फूरी नहीं कर फाईं, किन्तु वहां उन्हें कला के तमाम महत्वफूर्ण ...
आमिर खान की फिल्म ’तारे ज़मीन फर’ याद होगी । उसमें मंदबुद्धि बालक को ड्राइंग सिखाता है एक चित्रकार, जो ...
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