‘‘भारत के इतिहास में इतना सशक्त प्रधानमंत्री आज तक नहीं हुआ, जितने कि हमारे मनमोहन सिंह है।’’ भोलाराम ने कहा।
‘‘क्या प्रमाण है?’’
‘‘प्रमाण? क्या प्रमाण चाहिए तुम्हें? आज ही तो उनका अपना वक्तव्य आया है।’’
‘‘यदि व्यक्ति का अपना ही वक्तव्य प्रमाण माना जा सकता तो हमारे सारे राजनीतिक नेता सत्य और निर्मल आचरण के पुतले हैं। किसी के आचरण में कहीं कोई धब्बा है ही नहीं।’’ रामलुभाया ने कहा, ‘‘कारागार में बंद सारे अपराधी निरपराध हैं; पागलखाने में बंद पागलों में से कोई पागल है ही नहीं।…और तो और पाकिस्तान के मन में भारत के विरुद्ध तनिक भी मैल नहीं है।’’
‘‘तुम्हारे लिए उन लोगों के वक्तव्य और भारत के प्रधानमंत्री के वक्तव्य में कोई अंतर ही नहीं है?’’ भोलाराम बौखला गया, ‘‘तुमने उनका वक्तव्य पढ़ा भी है?’’
‘‘पूरी तरह से पढ़ा है।’’ रामलुभाया ने कहा, ‘‘मैं बहुत मजबूत प्रधानमंत्री हूं। बस मेरे वश में कुछ नहीं है। कोई मुझे पूछता नहीं है। कोई मुझे कुछ बताता नहीं है। कोई मेरी बात नहीं मानता।’’
‘‘यह सब कब कहा उन्होंने?’’
‘‘और क्या कहा है।’’ रामलुभाया बोला, ‘‘गुवाहाटी से आ रही गाडी दुर्घटनाग्रस्त हो गई। प्रधान मंत्री ने रेल राज्य-मंत्री को ओदश दिया कि वे दुर्घटना-स्थल पर पहुंचे। राज्य-मंत्री ने कहा ‘मैं कोलकाता में हूं और यहीं प्रसन्न हूं। जनता की सेवा कर रहा हूं।’ जो शब्दों में नहीं कहा, वह यह है कि ‘तुम में साहस है तो तुम आसाम चले जाओ। इस समय तो रेल मंत्रालय भी तुम्हारे ही पास है; और आसाम से चुनाव भी तुमने ही जीता है।’ मजबूत प्रधानमंत्री ही अपने मंत्री से ऐसा उत्तर सुन कर विचलित नहीं होता। दृढ़ता से मौन रह जाता है।’’
‘‘तो और क्या करे प्रधान मंत्री? स्कूल मास्टर के समान बच्चों को दंडित करता फिरे?’’ भोलाराम ने कहा।
‘‘नहीं स्कूल माास्टर के समान दंडित क्यों करे, मॉनीटर के समान शिकायत लेकर 10 जनपथ चला जाए।’’ रामलुभाया ने कहा।
‘‘देखो, मुझे ये सब बातें अच्छी नहीं लगतीं।’’
‘‘क्या?’’ रामलुभाया ने पूछा।
‘‘तुम लोग एक भले आदमी को बदनाम करते रहते हो।’’ भोलाराम बोला, ‘‘वे मजबूत हैं। मजबूत प्रधानमंत्री हैं। तुम मुझे बताओ कि आज तक कौन सा प्रधानमंत्री इतने आरोप झेल पाया है। किस प्रधानमंत्री के काल में इतने घपले हुए हैं? चोर बाजारी, काला बाजारी, काला धन, महंगाई…इतने धडल्ले से यह सब कब हुआ है? इतनी हत्याएं, डकैतियां और बलात्कार कोई और प्रधानमंत्री करवा पाया कभी? किस प्रधानमंत्री में साहस हुआ कि वह कह सके कि बाबा रामदेव के साथ जो कुछ हुआ, वह दुर्भाग्यपूर्ण था : किंतु हम क्या करते? हमारे पास सौभाग्यपूर्ण तो कुछ है ही नहीं। हम पडौंसियों से पिटते रहते हैं और अपनी निहत्थी जनता को पीटते रहते हैं। है किसी और प्रधानमंत्री में इतना साहस कि यह सब करे और फिर भी निर्लज्जता से अपनी कुर्सी पर बैठा रहे।’’
‘‘बात तो तुम्हारी पक्की है भोलाराम।’’ रामलुभाया सहमत होता गया, ‘‘मैंने तो कभी ऐसे सोचा ही नही।’’
‘‘तो सोचो न।’’ भोलाराम बोला, ‘‘है किसी प्रधानमंत्री में साहस कि जिस आतंकवादी को उच्चतम न्यायालय ने मृत्युदंड दे दिया हो, उसे वर्षों तक बचाए रखे और अंतत: ऐसी स्थिति उत्पन्न कर दे कि वह आतंकवादी छोड़ दिया जाए।’’
‘‘नहीं। ऐसा कानून-विरोधी काम कोई प्रधानमंत्री नहीं कर सकता।’’ रामलुभाया ने कहा।
‘‘है कोई इतना मजबूत प्रधानमंत्री जो लालू के डाकू-राज को वर्षों तक टिकाए रखे? है कोई और जो एक सदस्यीय पार्टी वाले मधु कोड़ा को झारखंड का मुख्यमंत्री बनाए रखे?’’
‘‘नहीं। इतना मजबूत तो कोई नहीं है।’’ रामलुभाया को स्वीकार करना पड़ा।
भोलाराम मुस्कराया, ‘‘अब मत कहना कि मनमोहन सिंह कमजोर प्रधानमंत्री हैं।’’
‘‘नहीं। कभी नहीं।’’