हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
दिल और दिमाग में जब टकराव हो तो दिल की सुनें- स्वामी विवेकानंद

दिल और दिमाग में जब टकराव हो तो दिल की सुनें- स्वामी विवेकानंद

by हिंदी विवेक
in ट्रेंडींग, विशेष, सामाजिक
0

हमारे देश में महापुरुषों और विद्वानों की बहुत बड़ी लिस्ट है। यह महापुरुष सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी विख्यात है। इन महापुरुषों ने जो तर्क और ज्ञान दिया था उन्हे आज भी याद किया जाता है। इन्ही महापुरुषों में से एक स्वामी विवेकानंद भी है वैसे तो स्वामी विवेकानंद की ख्याति से सभी वाकिफ है और इन पर कई पुस्तकें भी लिखी जा चुकी है लेकिन इसके बाद भी हम इनके जीवन परिचय और कुछ महत्तपूर्ण घटनाओं पर फिर से लिखने का प्रयास करने जा रहे है। दरअसल 12 जनवरी को विवेकानंद जी की जयंती है जिसके लिए उनके जीवन से संबंधित कुछ लेख लिखे जाते है जिससे देश की मौजूदा युवा पीढी भी इनके योगदान और सनातन धर्म के प्रचार को समझ सके। स्वामी विवेकानंद जी का जन्म 12 जनवरी 1863 को बंगाल के एक छोटे से परिवार में हुआ था। स्वामी जी के बचपन का नाम नरेंद्र दत्त था और इनके पिता का नाम विश्वनाथ दत्त था।

विश्वनाथ दत्त अंग्रेजी सभ्यता को मानने वाले थे और नरेंद्र दत्त को भी अंग्रजी शिक्षा देकर उन्हे नौकरी के लिए विदेश भेजना चाहते थे लेकिन यहां नरेंद्र दत्त को तो कुछ और ही मंजूर था। स्वामी विवेकानंद जी के खून में देश प्रेम और धर्म प्रेम कूट कूट कर भरा था। स्वामी विवेकानंद बचपन से ही प्रभु को पाने की लालसा में घूमते नजर रहे और मात्र 25 वर्ष की आयु में ही उन्होने गेरुआ वस्त्र धारण कर लिया और पैदल ही पूरे भारत की यात्रा कर डाली।

स्वामी विवेकानंद गुरु की तलाश में रामकृष्ण परमहंस के पास पहुचें जहां परमहंस ने स्वामी विवेकानंद को देखते ही पहचान लिया कि यह वहीं शिष्य है जिसकी तलाश काफी दिनों से थी। परमहंस को अपना गुरु बनाने के बाद इन्हे आत्म-साक्षात्कार हुआ और यह बाकी शिष्यों में प्रमुख हो गये जिसके बाद रामकृष्ण परमहंस ने इन्हे “स्वामी विवेकानंद” नाम दे दिया।

स्वामी विवेकानंद ने 1883 में अमेरिका के शिकागो में विश्व धर्म परिषद में भाग लिया था जहां उन्होने भारत का प्रतिनिधित्व किया था हालांकि तब भारत एक गुलाम राष्ट्र था जिससे दुनिया भारत को हीन भवना से देखती थी। विश्व धर्म परिषद में बहुत से लोग यह चाहते थे कि स्वामी विवेकानंद को बोलने का मौका नही दिया जाए लेकिन कुछ लोगों के प्रयास से जब स्वामी जी को स्टेज पर बोलने का मौका मिला तो उनका भाषण सुन बाकी विद्वान दंग रह गये। स्वामी विवेकानंद के इस भाषण के बाद से अमेरिका में उनके भक्तों का एक बड़ा समुदाय हो गया और उनका अमेरिका में स्वागत भी बड़े पैमाने पर किया गया। अमेरिका में रामकृष्ण मिशन की अनेक शाखाएं भी खोली गयी जहां से भारत का प्रचार प्रसार भी किया गया। स्वामी विवेकानंद करीब 3 साल तक अमेरिका में रहे और भारत और सनातन धर्म के ज्ञान को लोगों को पहुचाया। स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि आधात्यम विद्या और भारतीय दर्शन के बिना पूरा विश्व अनाथ हो जायेगा।

स्वामी विवेकानंद ने हमेशा से भारत के गौरव को ऊंचा रखा और देश-विदेश में इसकी ख्याति को फैलाया। 4 जुलाई 1902 को उन्होने इस दुनिया का विदा कह दिया हालांकि उनकी मौत की असली वजह को लेकर भी संशष है उनके उपर लिखी एक किताब में दावा किया गया है कि उनकी मौत मष्तिष्क की नस फटने से हुई है जबकि उनके भक्तों का कहना है कि उनकी मौत ब्रह्मरंध की वजह से हुई है। देश और विदेश में आज भी स्वामी विवेकानंद जी को उनके योगदान और देश प्रेम के लिए याद किया जाता है।

नारी सम्मान

एक बार विदेश में स्वामी जी का कार्यक्रम जैसे ही खत्म हुआ एक विदेशी महिला उनके पास आकर बोली कि वह उनके भाषण से बहुत प्रभावित है और उनसे शादी करना चाहती है जिसे उसे भी स्वामी जी जैसे पुत्र की प्राप्ति हो। विवेकानंद ने महिला की बात को बहुत ही ध्यान से सुना और कहा कि वह सन्यासी हैं इसलिए वह शादी नहीं कर सकते है लेकिन अगर वह महिला चाहे तो वह उन्हे अपना पुत्र बना सकती है जिससे महिला की पुत्र की इच्छा पूर्ति हो जायेगी और विवेकानंद की प्रतिज्ञा भी नहीं टूटेगी।

स्वामी विवेकानंद के 10 अनमोल वचन-

  •  उठो जागो और तब तक ना रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो
  • खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है
  • तुम्हे कोई पढ़ा नहीं सकता है कोई आध्यात्मिक नहीं बन सकता है तुमको सब कुछ खुद से सीखना है आत्मा से अच्छा कोई शिक्षक नहीं है
  • सत्य को हजारों तरीकों से बताया जा सकता है फिर भी हर एक सत्य ही होगा
  • बाहरी स्वभाव केवल अंदरुनी स्वभाव का बड़ा रुप होता है
  • ब्रह्मांड की सारी शक्तियां पहले से हमारी है लेकिन वह हम ही है जो पहले से ही अपनी आंखों पर हाथ रख लेते है और फिर रोते है कि कितना अंधकार है।
  • विश्व एक विशाल व्यायामशाला है जहां हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते है
  • दिल और दिमाग में जब टकराव हो तो दिल की सुनों
  • शक्ति जीवन है निर्बलता मृत्यु है विस्तार जीवन है संकुचन मृत्यु है प्रेम जीवन है द्वेष मृत्यु है
  • जिस दिन आप के सामने कोई समस्या ना आये आप सुनिश्चित हो जाए कि आप गलत मार्ग पर जा रहे है

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: breaking newshindi vivekhindi vivek magazinelatest newstrending

हिंदी विवेक

Next Post
वैश्विक सहयोग से होगा महामारी का खात्मा

वैश्विक सहयोग से होगा महामारी का खात्मा

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0